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आंटी को शुद्ध दूध नहीं मिला तो युवा अनंत ने दुग्ध का व्यापार करने का बनाया मन

( खरगोन) 4 – वर्ष पूर्व डेढ़ लीटर से शुरू किया दूध का व्यवसाय, आज करीब 4 सौ लीटर तक पहुँचा।

नाबार्ड और मुख्यमंत्री कृषि सिंचाई पम्प योजना के सहयोग से अनंत को मिला सहारा

खरगोन 22 जनवरी 2023 ; अपने लिए जीये तो क्या जीये , तू जी ये दिल जमाने के लिए। कुछ ऐसा ही मंत्र छोटी कसरावद के 28 वर्षीय युवा दूध व्यापारी अनंत जैन का भी है। जो घर-घर पर शुद्ध दूध पहुँचाकर पूरा कर रहे है। जब वे इंजीनियरिंग कर इंदौर में एक कंपनी में 25 हजार रुपये की पगार पर काम करते थे। तब कभी वे अपने घर आते तो दोस्त राहुल और अजय की माताएं घर पर अच्छी चाय के लिए दूध पर बहस छेड़ देती थी।

हमेशा दूध की शुद्धता पर होती बहस से अनंत के मन में इस व्यापार को अपनाने के लिए काफी बल मिला। इस दौरान कोरोना की दस्तक होने से इंदौर से कंपनी की नौकरीं छोड़ कर वो घर आये तो दूध के व्यवसाय को अपनाने की तैयारी शुरू कर दी। नाबार्ड से सहयोग मिला तो अनंत ने देरी नहीं की। 4 लाख रुपये के लोन पर 1.50 लाख रुपये का अनुदान मिलने के बाद , जून 2019 में दूध का व्यापार शुरू कर दिया। अनंत ने मात्र डेढ़ लीटर दूध से काम प्रारम्भ होने के बाद आज करीब 400 लीटर दूध प्रतिदिन निकाल कर व्यापार कर रहे है। अनंत ने बताते हुए कहा कि उनका मात्र एक ही उद्देश्य है कि वो दूध की शुद्धता के साथ उपभोक्ताओं को संतुष्टि दे। इसी की बदौलत आज डेढ़ लीटर से 400 लीटर तक का सफर किया।

पशुओं के आहार प्रबंधन के लिए 46 बीघा खेत मे नेपियर घास उपजा दी।

अनंत ने लोन स्वीकृत होने के बाद 3 भैंस खरीदी और कुछ आवश्यक प्रबंधन किया। इसके बाद 68 हजार रुपये के अनुदान पर मुख्यमंत्री सोलर पम्प सिंचाई योजना से 5.50 एचपी और 7.50 एचपी के सोलर प्लेट में 1.50 का अनुदान मिलने के बाद अपने खेत पर पशुओं के लिए घास उपजाई। उनके 45 बीघा जमीन पर नेपियर ग्रास सीओ-05, सीओ-07 तथा सीओ-11 वर्ष भर लगी रहती है। ये ग्रास भी अपडेटेड है। जिससे 22 प्रतिशत प्रोटीन मिलता है। इसके अलावा अंनत अपनी 27 गाय (गिर और साहीवाल) तथा 32 भैंस (मुर्रा व जाफरा) के लिए प्रतिमाह 2.50 लाख रुपये सिर्फ आहार के लिए खर्च करते है।

कसरावद नगर और निजी कंपनी को करते है दूध की आपूर्ति।

अनंत प्रतिदिन सुबह और शाम को कसरावद नगर के अलावा यहां की एक कंपनी को दूध की आपूर्ति करते हैं। दूध की शुद्धता को बरकरार रखते हैं। उनका उद्देश्य ही उपभोक्ताओं को पूरी तरह शुद्ध दूध प्रदान करना है। वे अपने फार्म के सहारे 7 लोगों को रोजगार देकर अपना व्यवसाय कर रहे हैं। मिल्किंग मशीन के सहारे दूध निकालने का काम करते हैं। साथ ही लंपी वायरस के दौरान उन्होंने अपनी गाय और भैंसों को नियमित टीकाकरण और लंपी बचाव के लिए टीकाकरण व डिवार्मिंग के अलावा नीम और हल्दी से आयुर्वेदिक बचाव भी किया। लंपी में इनके सभी पशु सुरक्षित रहें। अनंत के द्वारा बताया गया की उनका अगला लक्ष्य नस्ल सुधार का है। वे प्रतिमाह करीब 5 लाख 50 हजार का दूध बेंचकर करीब 1 लाख रुपये प्रतिमाह शुद्ध लाभ ले रहे है।

खरगोन , से संवाददाता प्रकाश पंवार की रिपोर्ट।

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