
‘बुल्ली बाई एप’ पर सरकार भले बहुत ज्यादा गंभीर नहीं दिख रही हो लेकिन सोशल मीडिया और मीडिया की ताकत के सामने सरकार को आखिरकार झुकना ही पड़ा और इस तरह की शर्मनाक हरकत पर रोक लगाने के लिए बाध्य होना पड़ा। वहीं इसी मामले में मुंबई पुलिस की साइबर सेल ने मंगलवार को एक और लड़के को गिरफ्तार किया है। इस लड़के की पहचान विशाल कुमार झा के रूप में हुई है। 21 वर्षीय विशाल इंजीनियरिंग का छात्र और पीएम मोदी का फॉलोवर बताया जा रहा है। पुलिस ने उसे सोमवार को बेंगलुरु से हिरासत में लिया था। साथ ही मुख्य आरोपी 18 वर्षीय एक लड़की श्वेता सिंह को उत्तराखंड से हिरासत में लिया गया है। श्वेता बेहद गरीब परिवार की बताई जा रही है उसके बाप की मौत पिछले साल कोरोना से हो चुकी है। दोनों आरोपी एक दूसरे को जानते हैं। और दोनों ही बीजेपी और पीएम मोदी के समर्थक बताये जा रहे हैं। दोनों की दोस्ती भी सोशल मीडिया से ही हुई थी।
बुल्ली बाई एप मामले में मुख्य आरोपी बताई जा रही ऊधमसिंहनगर की रहने वाली 18 वर्षीय श्वेता सिंह का नाम सुर्खियों में आया है। मुस्लिम महिलाओं की फोटो को एडिट करके इंटरनेट पर वायरल करने और बुल्ली बाई नामक ऐप पर नीलामी के मामले की मास्टरमाइंड श्वेता के मां और पिता का निधन हो चुका है। तीन बहनों और एक भाई का यह परिवार आर्थिक तंगी का सामना कर रहा है। बोर्ड परीक्षा के बाद इंजिनियरिंग एंट्रेस की तैयारी में लगी श्वेता के पिता की मौत कोरोना संक्रमण की वजह से पिछले साल ही हो गई थी। बचपन में ही श्वेता अपनी मां को भी खो चुकी है। कैंसर के कारण उसकी माँ की मौत 2011 में हो गई थी।
बता दें कि बुल्ली बाई एप में सिर्फ उन्हीं मुस्लिम महिलाओं की बोली लगाई जाती थी जो महिलाएं सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठा रही थी। साथ ही इन तस्वीरों में कुछ हिन्दू महिलाओं के भी पिक्स थे। वे वही महिलाएं थीं जो मुस्लिमों को सपोर्ट कर रही थीं या सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ आवाज उठा रही थीं।
पुलिस के अनुसार श्वेता बुल्ली बाई एप से संबंधित तीन अकाउंट का संचालन कर रही थी।
पुलिस ने आगे बताया कि मामले में सह आरोपी विशाल कुमार झा ने खालसा सुप्रीमैसिस्ट के नाम से एक अकाउंट शुरू किया था। इसके बाद 31 दिसंबर 2021 को उसने अन्य अकाउंट के नाम भी बदल कर सिख नामों से मिलते-जुलते कर दिए थे। सिखों के नाम पर एकाउंट बनाने का मकसद “किसान आंदोलन” से जुड़ा था। बुल्ली बाई एप पर महिलाओं की पिक्स लगाकर नीलामी करने वाले सभी किसानों से खफा थे क्योंकि उन्होंने किसान बिल और मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन किया था। जिसकी वजह से पीएम मोदी को संसद में किसान बिल वापस लेने पड़े थे। ये सभी आरोपी व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी और भाजपा आईटी सेल से प्रेरित थे। और कंगना रनौत की तरह इनका भी मानना था कि देश में जो भी तरक्की हुई 2014 के बाद ही हुई, यहां तक कि देश आजाद भी 2014 के बाद ही हुआ। यही वजह है कि ये सभी आतंकवादी मानसिकता के हो गए थे।
‘सुल्ली डील्स’ जैसा ही मामला है ‘बुल्ली बाई एप’ का है। कुछ प्रमुख हस्तियों समेत सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं की एडिट की गई तस्वीरें बिना अनुमति के बुल्ली बाई एप पर ‘नीलामी’ के लिए रखा गया था। एक साल से भी कम समय में दूसरी बार ऐसा मामला सामने आया है। यह पिछले साल विवादों में आए ‘सुल्ली डील्स’ जैसा ही है।
मुस्लिम महिलाओं और कई राजनीतिक दलों ने बुल्ली बाई ऐप का विरोध किया था। शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस बारे में ट्वीट के जरिए केंद्रीय IT मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव से शिकायत भी की थी।
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शिवसेना सांसद की शिकायत पर IT मिनस्ट्री ने बुल्ली बाई ऐप को ब्लॉक कर दिया है। IT मिनिस्टर वैष्णव ने शनिवार देर रात प्रियंका को रिप्लाई करते हुए ऐप को ब्लॉक करने की जानकारी दी थी। साथ ही बताया था कि पुलिस ऐप के डेवलपर्स पर कार्रवाई की तैयारी कर रही है।
इसके बाद प्रियंका चतुर्वेदी की शिकायत पर मुंबई पुलिस ने भी जांच शुरू कर दी थी। दिल्ली पुलिस में एक जर्नलिस्ट ने भी शिकायत दर्ज कराई थी। कुछ मुस्लिम महिलाओं के साथ उन्हें भी इस ऐप पर नीलामी के लिए रखा गया था।
बुली बाई ऐप को सुल्ली डील्स का क्लोन बताया जा रहा है। पिछले साल जुलाई में सुल्ली डील को लेकर भी काफी विरोध किया गया था। सुल्ली वह टर्म है, जिसका इस्तेमाल चरमपंथी मुस्लिम महिलाओं का अपमान करने के लिए करते हैं।
हालांकि, दोनों ही मामलों में किसी तरह की नीलामी को अंजाम नहीं दिया गया है, लेकिन इन ऐप्स का मकसद सिर्फ मुस्लिम महिलाओं या उन महिलाओं को प्रताड़ित करना, उन्हें शर्मिंदा करना या नीचा दिखाना था जो महिलाएं पीएम मोदी या भाजपा के खिलाफ आवाज उठा रही थीं। इन महिलाओं में अधिकतर पत्रकार, सोशल एक्टिविट, एक्ट्रेस और रेडियो जॉकी थी।
बुल्ली बाई एप पर गुरुमुखी में चीज़ें लिखी गईं और इस एप का दोष सिख समुदाय पर मढ़ने की कोशिश की गई थी। बता दें कि किसान आंदोलन के बाद सिख समुदाय किस तरह निशाने पर आया है, ये किसी से छिपा नहीं है। 24 नवंबर 2021 को बीबीसी पर श्रुति मेनन और फ्लोरा कारमाइकल की एक रिपोर्ट छपी- Farm laws: Sikhs being targeted by fake social media profiles.
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बीबीसी की इस रिपोर्ट में Centre for Information Resilience (CIR) नाम के एक नॉन प्रॉफिट संस्थान की रिपोर्ट में सामने आई जानकारी को साझा किया गया है। CIR ने अपनी रिपोर्ट में ये पाया कि किसान आंदोलन के दौरान ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर फेक आईडीज़ का एक नेटवर्क खड़ा किया गया। लेकिन ये फेक आईडी बॉट्स द्वारा नहीं, असल इंसानों द्वारा चलाई जा रही थीं। इन प्रोफाइल्स को सिख नाम दिए गए थे। साथ में RealSikh जैसे हैशटैग चलाए जा रहे थे। इन सभी का मकसद सिखों को बदनाम करना या हिन्दू, सिखों या मुसलमानों के बीच विवाद पैदा करना था।
इनमें से कई अकाउंट्स में पंजाबी सेलेब्रिटीज़ की तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया था। इन अकाउंट्स से लगातार ऐसे ट्वीट और पोस्ट डाले जा रहे थे, जिनसे लगे कि किसान आंदोलन को खालिस्तानी समूहों द्वारा हाईजैक कर लिया गया है। इसके साथ ही सिख समुदाय से जुड़ी बातों को उग्रवाद से जोड़कर दिखाया जा रहा था। जो सिख इन बातों से असहमति जताते, उन्हें इन अकाउंट्स से फेक सिख बताया जा रहा था।
बीबीसी की रिपोर्ट बताती है कि इस पूरे ऑपरेशन में हिंदू राष्ट्रवाद और भारत सरकार के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की गई, वो भी सिख नाम के हैंडल्स के थे। ये इसलिए भी परेशान करने वाला था, क्योंकि इन फेक अकाउंट्स में से कई को समाचार वेबसाइट्स ने अपनी खबरों तक में एम्बेड कर लिया था। कई दूसरी हस्तियों ने इन्हें शेयर किया था। जिसकी वजह से लोग ये समझ नहीं पा रहे थे कि ये एक प्रोपेगैंडा ऑपरेशन था। जब CIR की रिपोर्ट सामने आई, तो ट्विटर ने इन खातों को ये कहते हुए बंद कर दिया कि ये ट्विटर की पॉलिसी के खिलाफ काम कर रहे थे।
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बता दें कि सुल्ली डील्स या बुल्ली बाई जैसे एप्स सिर्फ एक तरह का टार्गेट नहीं चुनते। ये एक तीर से दो निशाने लगाते हैं। जैसे बुल्ली बाई एप के मामले में मुस्लिम महिलाओं के साथ साथ सिख समुदाय को भी बदनाम करने की कोशिश नज़र आती है। कुछ वक्त पहले की ही बात है, टी20 वर्ल्ड कप के एक मुकाबले में भारत की मेन्स क्रिकेट टीम पाकिस्तान की टीम से हार गई। इसके बाद हार का दोष मोहम्मद शमी पर मढ़ दिया गया। क्योंकि ये अलग से बताने की ज़रूरत नहीं है तब क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने मुखर होकर मोहम्मद शमी का बचाव किया था।
इसके बाद विराट कोहली की बेटी को ऑनलाइन धमकी मिली। हमें ये कहते हुए भी अफसोस हो रहा है कि ये एक छोटी सी बच्ची को दी गई रेप की धमकी थी। तब इस बात का प्रचार किया गया कि ये धमकी पाकिस्तान से आई है। लेकिन 2 नवंबर 2021 को ऑल्ट न्यूज़ पर छपी मुहम्मद ज़ुबैर की रिपोर्ट बताती है कि जिस अकाउंट से धमकी आई थी, वो पाकिस्तानी नहीं, भारतीय था। 11 नवंबर को इंडियन एक्सप्रेस में श्रीनिवास जनयाला की रिपोर्ट छपी। इसमें भारतीय युवक का नाम भी सामने आ गया। ये आईआईटी हैदराबाद से 2019 में पासआउट हुआ रामनागेश अकुबाथिनि था। इसे एक फूड डिलिवरी एप द्वारा उस साल सबसे बड़े पैकेज में से एक पर हायर भी किया गया था। इसके बावजूद रामनागेश इस तरह की हरकतें करता पकड़ा गया। इन सबमें एक बात साफ है कि इन सभी का दिमाग 2014 के बाद सी ही खराब हुआ। इन सभी के दिमाग में व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी और भाजपा आईटी सेल ने इस कदर जहर भर दिया कि इन्हें नाथूराम गोडसे भगवान और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी में शैतान नज़र आने लगा। ऐसे लोगों के सोशल मीडिया पर नज़र डालें तो इन सभी के एकाउंट्स में पीएम मोदी की वाही-वाही और बाकी विपक्षी नेताओं को गाली वाले पोस्ट दिख जाएंगे।

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