मुग्दर का अर्थ है मुग्ध कर देने वाला व्यायाम।मुग्दर व्यायाम एक सम्पूर्ण स्वास्थ कला है।
मुग्दर को भारत मे अन्य प्रांतों में अनेक नामों से जाना जाता है। करल्लकतायी,मुंगरी,गदा, mugdar karlakattai mungeri gadda।प्राचीन भारत मे ये व्यायाम अत्याधिक प्रचलित था और आज बहुत कम प्रचलित है,स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी ने इस मुग्दर कला को फिर से अपने शिष्यों को सीखकर ओर यूटीयूब व इंस्टाग्राम आदि से प्रचारित करते हुए विश्व रिकॉर्ड बनाकर पुनरुत्थान किया और लगातार प्रतियोगिता कराकर प्रचारित कर रहे है,परिणाम स्वरूप आज अनेक व्यायाम अखाड़ों ओर विशेषकर जिमों में फिर से मुग्दर घुमाते कसरती लड़के दिखाई देने लगे है।ये बहुत बड़ी बात है।
मुग्दर ऐसी एक मात्र कला और व्यायाम है,जो सभी व्यायामों की जनक है,आज के डम्बल्स का जनक मुग्दर ही है ओर इसी से तलवार और भालें लठिया चलाने का अभ्यास सहजता से बहुत देर तक करने की सामर्थ्य प्राप्त होती है।तथा इसे किसी भी समय कर सकते है यानी आप यदि कपड़े पहने है तो भी आप मुग्दरो को बिन कपड़े उतारे ही आराम से घुमाते हुए पूरा व्यायाम कर सकते है,बस वस्त्र टाइट नहीं होकर कुछ ढीले हो।हां एकदम से खाना खा कर मुग्दर व्यायाम नहीं करें।
मुग्दर एक हल्की या भारी शीशम,आम,चीड़ आदि पेड़ों की लकड़ी के बने दो मोटे ओर नीचे की ओर को चौड़े होते हुए ढाई से तीन फीट लंबे और चौड़ाई वजन के अनुपात से होते है,जिनके ऊपरी भाग में हाथ से पकड़ने को एक मुट्ठी लंबाई के या दोनों हाथ से पकड़ने के लिये लगभग तीन मुठ्ठी लंबाई का हेंडिल बना होता है।मुग्दर में उसका अधिक वजन बढ़ाने के लिए उसमें लोहे की पट्टियां ओर नीचे की ओर लोहे की प्लेट्स जड़ दी जाती है।और बहुत से इसमें कीलें भी लगा लेते है,किलों के लगे मुग्दरो के अभ्यास को बहुत अभ्यास हो जाने के बाद सावधानी को रखते हुए सहजता से किया जाता है।
बहुत अधिक वजन के 50 से 100 किलों के मुग्दरो को भी प्रतियोगिता में बलप्रदर्शनो के तौर पर घूमते है,पर व्यायाम के लिए 10 किलों से लेकर 15 किलों या 21 किलो तक का मुग्दर ही उत्तम रहता है।
कैसे घुमाए मुग्दर-विधि-1:-
1-सबसे पहले आप हल्के वजन के यानी लगभग दो किलो वजन के दो मुग्दरो से व्यायाम शुरू करें।
अब सीधे खड़े होकर अपने दोनों हाथों में मुग्दर पकड़ ले मुग्दर का निचला भाग आकाश की ओर सीधा रहना चाहिए जितना सीधा रखोगे उतना ही मुग्दर का वजन आपको कम लगेगा ये वैज्ञानिक सिद्धांत अनुसार सत्य है ओर अब अपने दोनों पैरों को कुछ घुटने को बहुत थोड़ा सा मोड़ते हुए कंधे की चौड़ाई के अनुपात में लगभग दो फुट चौड़ाई में फैला या खोल ले,इस मुद्रा से मुग्दर घुमाते में आपका बेलेंस नहीं बिगड़ेगा।और अब पहले सीधे हाथ के मुग्दर को अपने उल्टे हाथ के कंधे के ऊपर से अपने पीठ के पीछे को डालते हुए फिर सीधे हाथ के कंधे की साइड से वापस अपने सीने के सामने लाकर पहली जैसी खड़ी मुद्रा में लेकर खड़े हो जाये और ठीक ऐसे ही अब उल्टे हाथ के मुग्दर को सीधे हाथ के कंधे की ओर से अपनी पीठ के पीछे को डालते हुए यानी सर्किल ने घूमते हुए उल्टे हाथ के कंधे की साइड से वापस पहले की तरहां अपने सीने के सामने पहले खड़े मुद्रा में लाये।अब ठीक ऐसे ही फिर सीधे से चक्र पूरा करें और फिर इसे ही उल्टे से मुग्दर घुमाते हुए एक चक्र पूरा करे ओर बार बार कम से कम 10 से 20 बार घुमाए ओर फिर मुग्दर जमीन पर रखते हुए विश्राम करें।
इस विधि से आपके हाथ की मुट्ठी की पकड़ फौलादी ओर कलाई स्टील की तरहां मजबूत और बाइसेप्स ट्राइसेप्स सीने की मांसपेशियां ओर कंधे विंग्स गर्दर्न ओर कमर पीठ की सारी मांसपेशियां व पेट का सारा भाग बहुत सुंदर बलवान बनता है,वजन घटता है और बल और सांस प्राणायाम बढ़ता है।रीढ़ की हड्डी बड़ी मजबूत और रोग मुक्त हो जाती है।
क्या खाएं:-
तो भई मुग्दर व्यायाम के बाद सबसे बढ़िया यही तो बात है कि आपको बहुत बलवर्द्धक खुराक की बिलकुल जरूरत नहीं है बस आपकी रोजमर्रा की सामान्य भोजन की खुराक ही बहुत बल बढ़ाने को इस व्यायाम में पर्याप्त है।ये भोजन का पाचन्त्तन्त्र सही करके भूख बढ़ाती है यो जो खाओगे सो पचेगा ओर जब पचेगा तो बल बढ़ेगा ही
सावधानियां:-बस प्रारम्भ में अधिक वजन से मुग्दर व्यायाम यानी घुमाए नहीं ओर थोड़ा सावधानी से ध्यान देते अभ्यास करोगे तो ये सबसे जल्दी अभ्यास में आ जाता है,ज्यादातर लोगों को इसे घूमते देख कर ये डर लगता है कि सिर या कनपटी चहरे पर नहीं लग जाये और ताज्जुब यही है कि,ये कभी नहीं लगता है,जबतक कि आप कहीं और ध्यान नही दे रहे हो।यो-
!!खूब करो रोज मुग्दर व्यायाम।
!बनो बढाओ बलवर्द्धि स्वास्थ आयाम।।
शेष दूसरी ओर अनेको मुग्दर घुमाने ओर शरीर के अंगों को बलवान बनाने की नई विधि अगले लिखने बताता हूं,इतने इस विधि को इस वीडियो लिंक से देखते हुए दैनिक अभ्यास करें।
स्वामी जी के यूटीयूब चैनल पर जुड़े ओर देखें-
Swami satyendra ji
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
महायोगी स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org