कहा जाता है कि किसी देश का भविष्य उस देश के युवा होते है, संपूर्ण देश का भविष्य उसके नागरिकों से बनता व बिगड़ता है, देश के युवा जितने साक्षर व काबिल होते है उतना ही देश तरक्की करता है परन्तु यदि युवा ही लाचार और मजबूर हो जाये तो दरअसल, कोरोना महामारी के दौरान उन सभी विद्यार्थियों का जीवन दाँव पर लगा है जो परीक्षा देकर उसके परिणाम और आने वाली आगमी शिक्षा की समस्या की समापन हो सकता है परंतु चिंता का अंत नही हुआ है महाविद्यालय के आखिरी वर्ष की परीक्षा के पश्चात उन विद्यार्थियों का जीवन और भविष्य मानो भवँर में अटका है।
कोरोना काल का यह संघर्षमय समय मानो चुनौती बन चुका है, परन्तु यह केवल विद्यार्थियों के लिए ही नही बल्कि उन लोगो जे लिए भी एक बहुत बड़ी चुनौती है जो अपने रोजगार से हाथ धो बैठे है, एक नयी शुरुआत करना और फिर से अपना आधार बनाना बहुत मुश्किल काम है।
बढ़ती महंगाई और शिक्षा:-
हमारे समक्ष शिक्षा एक बढ़ती चुनौती इसलिए भी बन चुकी है क्योंकि जिन छात्रों का भविष्य उनकी शिक्षा पद्धति पर निर्भर करता है उन्हें आगे बढ़ने के लिए सर्वप्रथम फीस और कुछ व्यय करने पड़ते है जिससे वह अपनी आगमी शिक्षा के लिए पहला कदम रखते है परंतु इस संघर्ष काल मे तो रोजगार और शिक्षा दोनों ही आम आदमी के लिए बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है।
रोजगार और शिक्षा के बीच सम्बन्ध:-
कहते है यदि लक्ष्य को अपनाने के लिए हमारा मन व मस्तिष्क एकाग्रता से एक साथ में करे तो लक्ष्य पाना आसान हो जाता है परंतु यह स्थिति सिर्फ कुछ प्रतिशत मुद्दों में ही होती है, भारत मे आधे से अधिक विद्यार्थी अपनी शिक्षा का त्याग उनकी चलती रोजमर्रा की गिरती आय स्थिति से प्रभावित होकर करते है।
शिक्षा के बीच यदि व्यय कर दिया जाए तो लक्ष्य पाना आसान हो जाता है, और आर्थिक सुधार रोजगार बिना कैसे होगा?
मध्यम वर्गीय परिवार के लोग शिक्षा व रोजगार की बिगड़ती हालत से परेशान होते है जिससे उनका स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
आर्थिक स्थिति और स्वास्थ्य चुनौती:-
जिस प्रकार आय और शिक्षा सम्बन्धी स्थिति प्रभावित हो रही है, उसी प्रकार स्वास्थ्य स्थिति भी बिगड़ती जा रही है लोगो के मानसिक स्तर पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा है। आम नागरिकों के साथ साथ बड़े बडे कारोबारी भी जो एक अच्छे जीवन का हिस्सा थे, अब वह भी मानसिक तनाव की मार सह रहे है।
निष्कर्ष:- इस समय समाज का हरेक आम नागरिक किसी न किसी समस्या से गंभीर रूप से पीड़ित है चाहे वह रोजगार हो या शिक्षा। ऐसी स्थिति का सामना चुनौती भरा तो है परन्तु इस समस्या के बाढ़ सब ठीक होगा। कहते है न कि हर संकटमय समय के बाद एक अच्छी सुबह आती है
अवन्तिका मिश्रा।