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उत्थित-एकपादासन की सही विधि क्या है? कैसे करें? बता रहें हैं महायोगी स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी

उत्थित एकपदासन करने की सही विधि:-
जैसा कि मैं सदा हर आसन करने के पहले कहता हूं कि,आप अपने सीधे हाथ के उल्टी तरफ़ को थोड़ा जोर से नांक से सांस छोड़कर जांच ले कि,कोन से स्वर चल रहा है,तब ही सबसे पहले उसी साइड के अंग से आसन का अभ्यास शुरू करें,ठीक यही यहां भी करना है।


अब आप पहले पीठ के बल आराम के साथ सीधे होकर आराम आसन की तरह भूमि पर लेट जाएं। फिर जो स्वर अधिक चल रहा हो,जैसे मानों दायां स्वर चल रहा है,तब सबसे पहले आप अपने दायें पैर को धीरे-धीरे ऊपर उठाते हैं तथा पैर बिना मोड़े हुए,बिलकुल सीधा रखते हुए। लगभग 70 (अंश यानी डिग्री) से 90 (अंश यानी डिग्री) तक लाकर कम से कम 10 बार पेट से लेकर मूलाधार चक्र तक,साथ ही मूलबंध लगाते हुए, लगभग 5 से 10 गहरे सांस लेकर धीर से छोड़ते हुए लगभग 15 सेकेण्ड रुकते हैं,हर सांस के साथ मूलबंध को खींचते हुए,विचार करना है कि,मूलाधार से मेरी प्राण ऊर्जा उठती मेरी रीढ़ से होती हुई,आज्ञाचक्र तक जा रही है,ये विचार बहुत लाभ देता है, फिर मूलबंध को ढीला करते हुए, धीरे-धीरे पैर को जमीन पर आराम से वापस रखते हैं। ठीक इसी प्रकार बायें पैर को धीरे-धीरे ऊपर की ओर आराम से उठाते हैं,पहले बताई मूलबंध लगाते हुए ऊर्जा उठाने की क्रिया करते अभ्यास करना है। पैर को सीधा रखते हुए 10 सेकण्ड तक रुकते हैं। इस समय 70-90(अंश) तक की स्थिति में रहते हैं फिर,ऐसे ही मूलबंध ढीला छोड़कर, धीरे से पैर को जमीन पर आराम के साथ वापस लाते हैं ऐसा एक-एक पैर से 3-3 बार करते हैं। ओर आगे चलकर समय बढ़ाते है।


इस आसन से लाभ क्या है:-
सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि इस आसन को करने से। पेट की सभी बीमारी दूर होकर, कब्ज दूर होता है। उदर संबंधी मांसपेशियों को मजबूत करता है एवं नाभि चक्र को ऊर्जायुक्त सक्रिय बनाये रखता है। शरीर में पाचन शक्ति को बढ़ाता है, लिवर व आंतों को सक्रिय बनाता है।

किसे करना है ये आसन:-

कोई भी स्वस्थ व्यक्ति इस आसन को कर सकता है।

किसे नहीं करना है ये आसन:-

जो अस्वस्थ व्यक्ति हो, जैसे ज्वर यानी बुखार चढ़े में नहीं करें,ब्लड प्रेशर होने पर व हृदय रोग के चलते नहीं करें, पीठ दर्द से ग्रसित इस आसन को दोनों पैरों से बिल्कुल नहीं करें,पर एक एक पैर से थोड़ा थोड़ा अभ्यास बढ़ाते अभ्यास कर सकता है, सायटिका से पीड़ित व्यक्ति भी इसे अर्द्ध रूप में एक एक पैर को धीरे से उठाता करे।
पर गर्भवती महिलायें इस आसन को बिलकुल न करें।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
श्री गुरुदेव
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
www.satyasmeemission.org


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