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विदर्भ के किसानों की आत्महत्या व उनकी बदहाली पर अशोक लाड की एक्सक्लुसिव रिपोर्ट

भारत में किसान आत्महत्या 1990 के बाद पैदा हुई स्थिति है जिसमें प्रतिवर्ष दस हज़ार से अधिक किसानों के द्वारा आत्महत्या की रिपोर्ट दर्ज की गई है। 1997 से 2006 के बीच 1,66,304 किसानों ने आत्महत्या की। मानसून की विफलता, सूखा, कीमतों में वृद्धि, ऋण का अत्यधिक बोझ, बैंकों, महाजनों, बिचौलियों आदि के चक्र में फँसकर भारत के विभिन्न हिस्सों के किसानों ने आत्महत्याएँ की हैं।

ऋण माफ़ी योजना के बावजूद 2017 में महाराष्ट्र के 4500 किसानों ने आत्महत्या की।

महाराष्ट्र में किसान बड़ी मात्रा में आत्महत्या कर रहे हैं। इस पर हाल ही में एक रिपोर्ट भी प्रकाशित की गयी थी जिसमे वर्ष 2014 से 2018 तक किसानो द्वारा की गयी आत्महत्या की गणना की गई। इस रिपोर्ट का यह परिणाम निकल कर आया की इन चार वर्षों में अकेले महाराष्ट्र में कुल 14,034 किसानों द्वारा आत्महत्या की गयी।

यदि इस आँकड़े का विश्लेषण किया जाए तो यह परिणाम निकल कर आता है कि महाराष्ट्र राज्य में हर दिन 8 किसान आत्महत्या का रास्ता चुन रहे हैं।

किसानों की आत्महत्या की बढती घटनाओं से महाराष्ट्र सरकार ने 2017 में ऋणमाफ़ी करने की योजना बनाई। उस वर्ष किसानों का ऋण माफ़ करने के लिए सरकार द्वारा कुल 34000 करोड़ का वित्त आवंटित किया गया लेकिन बढती आत्महत्याओं को यह रोकने में असफल रहा।

हमारे औरंगाबाद संवादाता अशोक लाड ने खुदकुशी करने वाले किसान के परिवार से उनके हाल जाने, इसके अलावा लोगों से भी बातचीत की…. देखें महाराष्ट्र के औरंगाबाद से अशोक लाड की यह रिपोर्ट

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