प्राचीनकाल से ही हथेली की लकीरें हमारे भविष्य की सूचक रही हैं। हथेली में बनने वाले समय समय पर निशानों को देखकर जीवन से जुड़ी अनेक पूर्व से लेकर वर्तमान और भविष्य के गर्भ में छिपी बातों का पता लगाया जा सकता है।और उससे सचेत होकर उस घटना के रूप को भी बदला जा सकता है।वेसे ये हथेली के कुछ निशान शुभ भी होते हैं तो कुछ अशुभ भी होते है।आज का विषय में हथेली पर क्रॉस का निशान होना शुभ और अशुभ कहाँ माना जाता है। भारतीय समुद्रशास्त्र के अनुसार हथेली के कुछ विशेष स्थानों पर,जिन्हें हस्तरेखा की भाषा में पर्वत कहते है,वहाँ दो छोटी या बड़ी रेखाओ से मिलकर बने क्रॉस का निशान होना,जीवन के उस वर्ष में अचानक किसी भी प्रकार की दुर्घटना के होने से लेकर अकाल मृत्यु का सूचक माना जाता है।तो आओ जाने की किसी पर्वत व् स्थान पर क्रास का क्या फल है,भक्तों को बता रहें है स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी…
गुरु पर्वत:– गुरु पर्वत पर क्रॉस चिन्ह का होना शुभ फल देता है। जिन लोगों की हथेली में गुरु पर्वत पर क्रॉस का चिन्ह होता है, उनकी पत्नी या पति या शिष्य शिक्षित और समझदार होता है।यदि किसी कारण से विधिवत विद्यालय आदि से शिक्षित भी नहीं है,तो भी वो अपने स्वाध्याय के बल से शिक्षित से लेकर महाज्ञानी तक बनता है।जेसे कालिदास आदि।और ऐसे जातकों का धार्मिक जीवन और वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है।ये लोग सामाजिक हो या आध्यात्मिक क्षेत्र हो,उसके आदर्शवादी प्रेम और उसकी पराकाष्ठा के प्राप्ति और पक्षधर होते है।प्रेम में अनेक कटु अनुभव होने पर भी इन्हें उन प्रेमिक से कोई शिकायत नहीं होती,बल्कि उस सम्बन्ध में छिपे उच्चतर स्तर के ज्ञान को प्राप्त और अपनी कविता और शायरी आदि से साहित्यिक स्तर पर व्यक्त करते और प्रसिद्धि पाते है।इस स्थान का क्रास गुरु और राहु का चांडाल योग को जन्मकुंडली में उच्चतर स्तर को बताता है,यो ये लोग प्राचीन धर्म से आधुनिक धर्म के सभी गुप्त पहलुओं को नवीन सिरे से उच्चतर स्तर पर समाज के कल्याण को प्रकट करते है।जिसे लोग नवीन धर्म की संज्ञा देते है।धर्म के उत्तर मार्ग से वाममार्ग तक पर इनकी अद्धभुत पकड़ होती है ओर उसी प्रयोगिक ज्ञान को जनसाधारण के लिए सहज और सरल भाषा में लिख और समझा जाते है।ये संसारिक रूप से एकांकी,पर आंतिरिक रूप से विश्वव्यापी होते है।शास्त्र कहते है की-जो ज्ञान देवता धरती से समेट कर स्वर्ग ले गए,उसे ये स्वर्ग से पुनः धरती पर लाकर जनसामान्य को प्रदान करते है।
विवाह रेखा:– यदि विवाह रेखा पर क्रॉस चिन्ह हो तो उस जातक के विवाह में अचानक गुप्त अफवाह से या किसी की मृत्यु होने से या प्राकृतिक विपदा से या युद्ध या विवाद के होने जैसी कई तरह की बाधाएं आती और ये विवाह सम्बन्ध विच्छेद होता हैं। यदि किसी तरह विवाह हो भी जाए, तो वैवाहिक जीवन में परस्पर तालमेल नहीं होने से सुखमय नहीं रह पाता है।
जीवन रेखा– जीवन रेखा पर क्रॉस का चिन्ह हो तो व्यक्ति के स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव आते हैं। जीवनरेखा के जिस स्थान पर क्रॉस है आयु के उस भाग में एकांकी यानि निर्जन स्थान पर जीने और असाध्य कष्ट या संकट से अकस्मात मृत्यु तुल्य कष्ट भोगने पड़ते है।मृत्यु हो ये आवश्यक नहीं होती है।
चन्द्र पर्वत– चन्द्रपर्वत पर क्रॉस चिन्ह हो, तो उस जातक को पानी से यानि नदी, तालाब, समुद्र से या बरसात के मौसम में होने वाली दुर्घटनाओ,खुले गढ्ढे में गिरना,बादल के फटने से,तीर्थ स्थान पर आई बाढ़, के समय विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए क्योंकि ऐसे व्यक्ति की जल में डूबने की और मृत्यु की सम्भावना रहती है।और इस क्रास के होने से समय सीमा खत्म हुयी दवाओँ के खाने से या गलत दवाई,इंजेक्शन के लगने से बड़ा कष्ट,मृत्यु संकट देखना पड़ता है।अपने से विपरीत लिंगी से तो सदा धोखे मिलते है और व्यक्ति की कल्पना शक्ति या लेखन में दोष निकलता है और बिना जांचे साइन करने से मुसीबत में फंस जाने के योग बनते है।
मंगल पर्वत:– मंगल पर्वत पर क्रॉस का निशान हो तो उस व्यक्ति को किसी भी छोटे से विवाद,झगड़े या आरोप लगने पर जेल जाना पड़ सकता है। इस स्थान पर क्रॉस का निशान युद्ध में अकाल मृत्यु का भी सूचक है। ऐसे व्यक्ति के जरा सी बात पर अग्नि या बिजली या गोली मारने से या जहर खाने से आत्महत्या करने की आशंका रहती है।
शुक्र पर्वत:– वहीं शुक्र पर्वत पर ये स्पष्ट या अस्पष्ट क्रॉस का निशान हो तो उस व्यक्ति को वीर्य या धातु सम्बंधित रोग से भयंकर कष्ट मिलता है और उसके किये प्रेम में किसी और के हस्तक्षेप होने से असफलता मिलती है और अपना हो या किसी और के प्रेम सम्बन्ध के सुलझाने में बदनामी सहनी पड़ती है,या किसी बदनाम स्त्री या व्यक्ति या वैश्यावर्ति के स्थान पर पकड़े जाने से बदनामी मिलती है या ऐसे स्कैंडल में फंसता है।
चन्द्र पर्वत से निकली रेखा–इन्हें यात्रा और प्रतिभा रेखा कहते है।इन यात्रा रेखा पर क्रॉस का निशान यात्रा के दौरान दुर्घटनाग्रस्त होने का सूचक माना गया है।और उसकी प्रतिभा का कभी उचित सम्मान नहीं मिलता या दूसरे लोग फायदा उठाते है।यात्रा समय चोरी के प्रबल योग बनते है।
बुध पर्वत:-धन हानि और नपुंसकता व् सन्तान हीनता का दुःख और प्रेम का अंत बुरा मिलता है।मित्र धोखेबाज होते है।भूलने या गलत आंकड़ों के लेखन से बड़ी धन हानि,जुर्माना भरना पड़ता रहता है।
शनि पर्वत:-शनि पर्वत पर क्रास होने से तांत्रिक शक्तियों में उपदेवता व् भुत प्रेत,पैशाचिक शक्तियों की उपासना से सिद्धि और उसका अंत बुरा होता है।धार्मिक यात्रा या ऐसे संगठन की दुश्मनी से धन जान हानि होती है।गुप्त शुत्रु सदा भय और हानि देते है और खनन के कार्यों और राजनीती में कार्य करने के बाद उच्चतर पद नहीं मिलता या मिला पद विवादों के चलते छीन लिया जाता है।
सूर्य पर्वत:-पद प्रतिष्ठा को हानि,पिता व् पुत्र को अकस्मात हानि या पुत्र की प्राप्ति नहीं होती है।नोकरी में प्रमोशन नहीं होता है और विवाह होने पर सदा विवाद मुकदमें से घिरा रहता है और किसी भी मुकदमें का फैसला बहुत देर से होता है।नोकरी में उसे मनचाही सीट यानि स्थान नहीं मिलता है।
राहु पर्वत:-क्षुद्र दैविक तांत्रिक, मांत्रिक,यांत्रिक शक्तियों और जादूगरी या भ्रम विद्या में निपुण और प्रसिद्धि पाता है,अंत में अग्नि शरीर की प्राप्ति करके जीन्न पिशाच योनि को प्राप्त होता है।श्मशान और अघोर विद्या का तथा ग्रहस्थ में गुप्त भोगवादी साधना से भी सिद्धि प्राप्त करता है।
केतु पर्वत:-यहां क्रास होने से व्यक्ति को त्राटक विद्या से सम्मोहन विद्या,मेस्मेरिज्म विद्या में निपुणता और प्रसिद्धि मिलती है और मनोवैज्ञानिक या पराविद्या विश्लेषक व् रहस्यवादी स्थान आदि का खोजी होता है।सन्यास योग भी बनता है।
मणिबन्ध:-यहाँ क्रास के होने व्यक्ति को जीवन में कठिन परिश्रम से बहुत क सफलता मिलती है।रक्त केन्सर आदि और गुप्त रोग हो जाते है।
सद्गुरु स्वामी श्री सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
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