अब तक पंचमुखी हनुमान के लिए किसी ने भी पंचमुखी हनुमान चालीसा नहीं लिखा था। स्वामी सत्येंद्र जी महाराज पहली बार पंचमुखी हनुमान चालीसा लिख रहे हैं। जिसको यहां पर पढ़ा जा सकता है। आप जरूर पढ़ें और लाभ उठाएं।
🌞श्री पंचमुखी हनुमान चालीसा🙌
दोहा
जय पंचमुखी हनुमान जी, श्री स्वयं रुद्रावतार।
शिरोमणि सेवक धर्म, श्री पँच पंथ अवतार।।
पँच तत्वमय श्री मुख,नर सिंह गरुड़ कपीश।
वराह ह्रयग्रीव मुख,श्री राम भक्त तप
*चालीसा*
जय हनुमान पंच मुखकारी।
अतुलित कृपा भक्ति धारी।।
प्रेतासन हो निर्भय करते।
खड्ग त्रिशूल खटवाजां घरते।।
पाश अंकुश पर्वत कर धारण।
मुट्ठी मोदक प्रसादे तारण।।
दस आयुद्ध दस भुजा में साजे।
शत्रु नाशक भक्त कर काजे।।
ज्ञान मुद्रा हस्त वृक्ष कमंडल।
तप जप ज्ञान दे भक्त के मंडल।।
नर सिंह रूप शत्रु के नाशक।
भक्त के ह्रदय भक्ति आशक।।
गुरुङ रूप धर काल को काटे।
निर्भयता भक्त ह्रदय बांटे।।
मुख कपीश परम् सुख कर्ता।
श्री राम मंत्र ह्रदय घट भरता।।
वाराह मुख है धर्म का तारक।
गो मुख गायत्री वेद उच्चारक।।
ह्रयग्रीव मुख धर्म प्रचारक।
धर्म विरुद्ध के हो संहारक।।
ज्वर ताप हो कैसा कोई।
पँच मुख हनुमान सुख होई।।
पूर्व मुखी हर शत्रु संहारा।
पश्चिम मुखी सकल विष हारा।।
दक्षिण मुखी प्रेत सर्व नाशक।
उत्तर मुखी सकल धन शासक।।
उर्ध्व मुखाय सदा वंश दाता।
पंच मुखी हनुमान विश्वविधाता।।
तुम संगीत के हो महा ज्ञानी।
ॐ नाँद ब्रह्म विधा दानी।।
जो पढ़े पंच मुखी हनु नामा।
भक्ति शक्ति ब्रह्म समाना।।
नवग्रह पँच मुखी के सेवक।
जपे नाम बने भक्त के खेवक।।
काल सर्प पितृ दोष की बांधा।
पंचमुखी जप से मिटती बांधा।।
पंच मुखी ह्रदय सीया संग रामा।
मिले वांछित फल चारों धामा।।
पीर वीर जिन्न भूत बेताला।
पंच मुखी हनुमान है प्रकाला।।
मंगल दोष अमंगल हरता।
पंच मुखी हनु नाम जप करता।।
केश घूँघर चंदनमय टीका।
कुण्डल कान गले माले अनेका।।
सुर मुनि सिद्ध सदा विराजे।
छवि पंचमुख कपि जहाँ साजे।।
अरुण सोम भीम संग बुधा।
पंचमुख हनु करे सब शुद्धा।।
गुरु शुक्र शनि राहु केतु।
पंचमुख हनुमान सुख हेतु।।
पँच मुख हनुमान व्रत पूजा।
पूर्ण मासी मनोरथ पूजा।।
चोला लाल जनेऊ छत्तर।
ध्वजा नारियल मीठा पत्तर।।
मंगल शनि जो दीप जलावे।
वैभव परम् ज्ञान संग पावे।।
कलियुग काल में दोष अपारा।
पंच मुख हनुमान जप तारा।।
तत्वातीत राम के संता।
चौसठ कला दाता हनुमंता।।
रोम रोम ब्रह्मांड बसेरा।
आत्म रूप सिद्ध करें सवेरा।।
दाये हाथ दुःख पर्वत धारण।
बाये हाथ आशीष वर तारण।।
सूर्य गुरु सर्व विद्या ज्ञानी।
ऋद्धि सिद्धि नव निधि के दानी।।
स्वर्ण आभा अंग बज्र समाना।
पंच मुखी हनुमान विधाना।।
सत्य स्वरूपी राम उपासक।
प्रेम प्रदाता असत्य विनाशक।।
सूर्य चन्द्र है नेत्र विशाला।
भक्त को भक्ति दुष्ट प्रकाला।।
न्याय मिले ना सब कुछ हारो।
जय पंचमुखी हनुमान उच्चारो।।
नमो नमो पंचमुखी हनुमंता।
श्री गुरु तुम्हीं परम् महा संता।।
छवि मनोहर शांति दायक।
दीन हीन दुखी के तुम सहायक।।
जय माँ सीता जय श्री राम।
जय पंचमुखी हनुमान प्रणाम।।
*दोहा*
पंचमुखी हनुमान जी, सनातन सिद्ध महाकार।
श्री राम भक्त हो सत्य पुरुष,ॐ शक्ति मुद्राकार।।
भक्ति शक्ति भक्त दो,हे पंचमुखी हनुमान।शरणं मम् शरणं मम् श्री राम भक्त हनुमान।।
।।स्वामी सत्य साहिब जी रचित श्री पंचमुखी हनुमान चालीसा सम्पूर्ण।।
“आरती-श्रीमद् पंचमुखी हनुमान जी”
ॐ जय पंचमुखी हनुमान,बाबा जय पंचमुखी हनुमान..
पंच देवों के द्योतक-2,बोलो जय श्री राम..ॐ जय पंचमुखी हनुमान।
मुख है एक वराहा,जो सुख देता चारो धाम-2,..
ज्वर संकट मिट जाते-2,बोलो जय श्री राम..ॐ जय पंचमुखी हनुमान।
मुख दूजा सिंह रूपी,जो देता यश अविराम-2..
खोया पद मिल जाता-2,बोलो जय श्री राम..ॐ जय पंचमुखी हनुमान।
तीजा मुख है मानव रूपी,जो चार वेद गाये नाम-2..
प्रेम पूर्णिमा दाता-2,बोलो जय श्री राम..ॐ जय पंचमुखी हनुमान।
चौथा मुख है अश्वपति का,जो ज्ञान दे निष्काम-2..
तुम सत्य शिव करुणाकर-2,बोलो जय श्री राम..ॐ जय पंचमुखी हनुमान।
पंचम मुख है हरग्रीव धारी,जो दाता ब्रह्म अनाम।
भरता झोली खाली-2,बोलो जय सिया राम..ॐ जय पंचमुखी हनुमान।।
जो करे आरती नित दिन साय,वो पाये मनवांछित सब काम -2..
पूर्णिमा चोला चढ़ाये-2,कृपा पाये सदा सिया राम..ॐ जय पंचमुखी हनुमान।
स्वामी सत्य साहिब जी कृत श्रीमद् पंचमुखी हनुमान आरती सम्पूर्ण।
बोलो-जय पंचमुखी हनुमान की जय
बोलो-जय सिया राम
बोलो-जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः🙏
श्री शिरड़ी साई बाबा चालीसा जिसे पढ़ने से हो जाएंगे सारे सुख दूर : –
☝शिरड़ी साई बाबा चालीसा🙌
*दोहा*
ॐ अनादि साई भजु,करो मेरा उद्धार।
साई ज्योति प्रकट हुयी,साई महिमा अपरम्पार।।
सब में साई राम देख,सबका मालिक एक।
वैदिक चौसठ तंत्र सिद्ध,वही साई सनातन एक।।
*चालीसा*
जय जय जय साई कृपालु।
करुणा सागर परम् दयालु।।
काल समय के पार भी तुम हो।
साकार निराकार भी तुम हो।।
सुख दुःख दो जीवन के पाट।
भटका मनुवा हुआ उच्चाट।।
अब केवल अवलम्ब तुम्हारा।
बाबा दे दो दया सहारा।।
ऐसी तुमने ज्योति जलाई।
मस्जिद बनी द्धारका माई।।
भेद भाव की पाटी खायी।
अल्लाह कर्म है राम कमाई।।
एक बनाये अल्लाह राम।
कर दिया तीर्थ शिरड़ी धाम।।
सिर पर कपनी हाथ में सोटा।
ऐसी सरल सोम्य सी छटा।।
कौन है पिता कौन है जाया।
इसका भेद कोई ना पाया।।
कहाँ तुम्हारा जन्म स्थान।
इसको कोई सका ना जान।।
कोई कहे शिव का अवतार।
कोई कहे खुदा ख़िदमदगार।।
साई है परम् महान।
ये ही है कलियुग भगवान।।
साई अखंड नाम जो पाले।
उसको साई सदा सम्भाले।।
जिसकी पकड़ी तुमने डोर।
उसके सुख का कोई न छोर।।
जो साई के शरण में आया।
साई ने उसको अपनाया।।
जो साई के द्धारे आये।
उसका मनचाहा हो जाये।।
जो तेरा करता गुणगान।
साई रखते उसका ध्यान।।
सब योगो के तुम हो स्वामी।
तुम्हें बारम्बार नमामी।।
जितने सब अल्लाह के प्यारे।
उतने सब है राम दुलारे।।
केवल यही तुम्हारी टेक।
जग में सबका मालिक एक।।
ऐसे किये अलौकिक काम।
दिगदिगांत में गूंजा नाम।।
एक था निर्धन और लाचार।
बहुत दिनों से था बीमार।।
जीवन की सब छूटी आस।
मृत्यु दिखती बिलकुल पास।।
वह आया साई के द्धार।
सुन कर उसकी करुण पुकार।।
करुणा से हो गए आधीर।
साई हरी सकल तन पीर।।
कितनों को दिए जीवन दान।
निर्धन बना दिए धनवान।।
जब एक बार दीवाली आई।
बूंद तेल की ना मिल पायी।।
तब यह चमत्कार दिखलाया।
दीपों में पानी भरवाया।।
पानी जला जले ज्यों तेल।
ये सब था साई का खेल।।।
फैल गयी घर घर में चर्चा।
साई अनोखा खेल जो रचा।।
किसी महजब का हो इंसान।
साई को है सभी समान।।
करो सदा साई का ध्यान।
जिसको करना हो कल्याण।।
प्रेम मगन हो सुध बुध खो कर।
बाबा बाबा सदा रटा कर।।
साई तुम्हें नवावे शीश।
हमको दो ऐसा आशीष।।
निश दिन तेरा ही गुण गाये।
तुझको भूल कभी ना पाये।।
जो शिरड़ी जा दर्शन पाये।
उसका मनचाहा हो जाये।।
विपदा आपदा हरना स्वामी।
बाबा तुम हो अंतर्यामी।।
तुमको शत शत बार नमन है।
कोटि कोटि मेरा वंदन है।।
जो चालीसा नित दिन पढ़ेगा।
साई उसका भला करेगा।।
*दोहा*
सत्य सिद्ध तेरी पूरी,सच्चा तेरा नाम।।
शिरड़ी वाले साई बाबा,तुझको मेरा प्रणाम।
*स्वामी सत्य साहिब जी कृत साई चालीसा सम्पूर्ण*
🙏�जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः🙏�
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*साई बाबा की आरती*
ॐ जय साई देवा,बाबा जय साई देवा..
सत्य ज्ञान के रक्षक-2-,मुक्ति के देवा.,ॐ जय साई देवा।
तुम्हरी विपुल कृपा से,सब दुःख कट जाये-2..बाबा सब दुःख..
दुःख दरिद्रय जनो के-2,बादल छट जाये..ॐ जय साई देवा।
ध्यान धरे जो तेरा,सब सुख पाये-2..बाबा सब सुख..
मनसा हो सब पूरी-2,शिरड़ी जो आये..ॐ जय साई देवा।
भेद भाव सब मिटा राह एक,ऐसी दिखलायी-2..बाबा ऐसी..
मस्जिद किया निवासा-2,बनी द्धारका माई..ॐ जय साई देवा।
मधुकरी जीवन सदा रहा है,फिर भी हो दानी-2..बाबा फिर भी..
बिन मांगे सब पाते-2,जो शरण आता प्राणी..ॐ जय साई देवा।
गुरुवार को दीप धरे जो,मनचाहा पाता-2.बाबा मनचाहा..
बाबा की कृपा से-2,आत्मज्ञान पाता..ॐ जय साई देवा।
करो सभी से प्यार सभी है,उसके बंदे नेक-2..बाबा उसके बंदे..
जो अल्लाह वही राम है-2,सबका मालिक एक.,ॐ जय साई देवा।।
शिरड़ी साई की आरती,जो कोई गावे-2.बाबा जो कोई..
कहे सत्य ॐ स्वामी-2,साई धाम पावे.,ॐ जय साई देवा।।
🙏बोलो-साई बाबा की जय🙏
🙏जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः🙏
स्वामी सत्य साहिब जी कृत साईबाबा आरती सम्पूर्ण
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