काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कुलपति प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने परिसर में हुई छेड़छाड़ को उनके खिलाफ़ साजिश बताया साथ ही कहा कि पीएम के दौरे को फ़्लॉप करने के लिए ऐसी साजिश को अंजाम दिया गया। बीएचयू के वीसी अपने आरएसएस से जुड़े होने पर भी खुलकर बोले। वीसी पर इससे पहले आरएसएस से जुड़े होने के आरोप लगते रहे हैं लेकिन इस बार वीसी ने साफ कर दिया कि आरएसएस एक विचारधारा है और किसी विचारधारा से जुड़ा होना किसी का भी व्यक्तिगत फैसला हो सकता है। इस पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए।
वहीं वीसी ने ये भी कहा कि हर लड़की को सुनना संभव नहीं है। और ना एक एक करके किसी छात्रा को सुरक्षा देने संभव है।
वीसी ने कहा कि उनके साथ साजिश हो रही है जो किसी मायने में सही नहीं है।
आपको बता दें कि वीसी को कल एचआरडी मिनिस्ट्री ने बीएचयू बवाल के बाद तालाब किया था
जिसके बाद वीसी ने कहा है कि वह छुट्टी पर जाने की बजाय इस्तीफा देना पसंद करेंगे। त्रिपाठी ने कहा, ‘मैंने विश्वविद्यालय में हालत सुधारे हैं। फिर भी छुट्टी पर जाने को कहा जाता है तो यह अपमानजनक होगा। ऐसे में पद छोड़ना ही बेहतर रहेगा।’
प्रो. त्रिपाठी ने कहा, ‘मैं सभी से अनुरोध करूंगा कि छात्रों की मदद के नाम पर राजनीति न करें। विश्वविद्यालय अपनी समस्याओं का समाधान करने में सक्षम है। इस दुखद घटना का ऐसा हल निकाला जाना चाहिए कि भविष्य में दोबारा ऐसा न हो।’ साथ ही उन्होंने कहा कि अगर विश्वविद्यालय की दिक्कतों को दूर करने के लिए कोई सुझाव देना चाहता है तो उसका स्वागत है।
दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर एनेक्सी में मंगलवार को कुलपति प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी बीएचयू की एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में भाग लेने पहुंचे थे। प्रो. त्रिपाठी ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के समन पर दिल्ली पहुंचने की खबरों का खंडन करते हुए कहा कि यह बैठक 20 दिन पहले तय हुई थी। इसे टालना गलत होता।
प्रो. त्रिपाठी ने भावुक लहजे में कहा कि व्यक्ति की प्रतिष्ठा, सम्मान, भावनाओं व अस्मिता का बहुत महत्व है। इसलिए उनकी गरिमा का ध्यान रखना हमारा धर्म है। जब व्यक्ति की प्रतिष्ठा, सम्मान, अस्मिता पर ठेस लगती है तो वह अपनी आवाज उठाता है। लेकिन संस्थाओं (विश्वविद्यालय) की भी अपनी अस्मिता है। क्या इनके साथ रोज खिलवाड़ होना चाहिए। इसलिए हमें व्यक्ति के साथ-साथ संस्थाओं की अस्मिता का भी ध्यान रखना चाहिए।
प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि उन्होंने विचारधारा के आधार पर विश्वविद्यालय का संचालन नहीं किया। विश्वविद्यालय के कामकाज और अपने निजी विचारों को बिलकुल अलग रखा। उन्होंने कहा कि संघ से जुड़ा होना गलत नहीं है। यह निजी मामला है और इस पर उन्हें गर्व है।
प्रो. त्रिपाठी ने कहा, ‘आज मैं बीएचयू का कुलपति हूं, कल न रहूं, लेकिन कृप्या बीएचयू का मजाक न उड़ाएं।’ इस मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ विश्वविद्यालय नियमों के तहत कार्रवाई करेगा। प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि उन्होंने कमिश्नर की रिपोर्ट नहीं देखी है, इसलिए कोई कमेंट नहीं करेंगे। वैसे जिस वक्त लाठीचार्ज हुआ उस वक्त कमिश्नर उनके सरकारी घर में ही मौजूद थे।
प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि बीएचयू कैंपस में महिलाओं का अपमान होता है। यह दावा बिल्कुल गलत है। कैंपस में कोर्स भारत अध्ययन प्रोग्राम शुरू किया गया है, जिसमें महिलाओं के प्रति सम्मान जगाने की कोशिश होगी।
उन्होंने कहा कि बेटियों के साथ कभी कोई भेदभाव नहीं किया है। बेटियों के लिए ही महिला विश्वविद्यालय को सबसे पहले फ्री वाई-फाई से जोड़ा गया। छात्राओं ने ही अपनी सुरक्षा में सेंध की बात कहकर पहले सीसीटीवी न लगाने की मांग रखी थी। अब सुरक्षा नियमों में बदलाव होने जा रहा है। अब फिजिकल एजुकेशन की पचास छात्राएं फिलहाल सुरक्षा के लिए तैनात रहेंगी।
प्रो. त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से पहले छेड़छाड़ की घटना सुनियोजित थी। जहां छेड़छाड़ हुई वहां स्पोर्ट्स कांप्लेक्स है और छात्राएं खेलती हैं। प्रदर्शन के दौरान आइसा के राष्ट्रीय महासचिव नजर आते हैं। इसीलिए मैं इसकी न्यायिक जांच करवा रहा हूं।
प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि मैंने हॉस्टल खाली करने का कोई निर्देश नहीं दिया था। ऐसे में हॉस्टल खाली करने की अफवाह कहां से उड़ी इसकी जांच होनी चाहिए। कैंपस बड़ा होने के चलते ही गर्ल्स हॉस्टल का समय रात आठ बजे तो लड़कों के लिए दस बजे हैं।
हालांकि लोकल गार्जियन की अनुमति से लड़की रात आठ बजे के बाद बाहर जा सकती है और जाती हैं, जिसका रजिस्टर में रिकॉर्ड है। लड़कियों की सुरक्षा ज्यादा गंभीर मुद्दा है, क्योंकि आठ हजार से अधिक छात्राएं हॉस्टल में रहती हैं।