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Bijapur Journalist Mukesh Chandrakar Murder Case: भ्रष्टाचार की खबर दिखाना पत्रकार को इतना भारी पड़ गया, ठेकेदार ने सेप्टिक टैंक में चिनवा दिया

क्या छत्तीसगढ़ में जंगलराज है?
क्या अपराधियों में पुलिस का जरा भी खौफ नहीं है?
क्या छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार को उजागर करना इतना बड़ा जुर्म है?
छत्तीसगढ़ में एक पत्रकार की निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई और पुलिस आरोपियों को बचाती रही?
भ्रष्टाचार के आरोपी ने पत्रकार को मारकर सेफ्टी टैंक में डाल दिया

सड़क निर्माण में 120 करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार उजागर करने वाले छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर की नृशंस हत्या कर दी गई है। वो एक जनवरी की शाम सात बजे से लापता थे। उनका शव सेप्टिक टैंक में मिला है। ठेकेदार और उनके रिश्तेदार सुरेश चंद्राकर के बाडे़ में बने सेप्टिक टैंक से उनकी लाश निकाली गई। मौके पर पुलिस बल भारी संख्या में मौजूद रही। पुलिस मामले की जांच पड़ताल कर रही है। आज शनिवार को इस मामले से आक्रोशित पत्रकारों ने बीजापुर में चक्काजाम किया है। बीजापुर समेत बस्तर संभाग के पत्रकार सड़क पर बैठे हुए हैं।

कुछ दिन पहले पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने 120 करोड़ की लागत से बनने वाली सड़क के भ्रष्टाचार की खबर प्रकाशित की थी। इसमें सड़क के खस्ताहाल स्थिति को उजागर किया था। बताया जाता है कि यह काम ठेकेदार सुरेश चंद्राकर ने ही करवाया था। इस वजह से मुकेश चंद्राकर और ठेकेदार सुरेश चंद्राकर में अनबन चल रही थी।

बता दें कि छत्तीसगढ़ के बीजापुर में पत्रकार मुकेश चंद्राकर का भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना भारी पड़ गया।पहले उनका गला घोंटा गया। बाद में सिर पर कुल्हाड़ी मारी। इस हमले से मुकेश के सिर पर ढाई इंच गड्ढा हो गया। हत्या के बाद मुकेश की लाश बैडमिंटन कोर्ट कैंपस में बने सेप्टिक टैंक में फेंक दिया और टैंक को 4 इंच कंक्रीट से ढलाई करके पैक कर दिया गया।

बड़ी संख्या में स्थानीय और परिजन मुकेश चंद्राकर की अंतिम यात्रा में शामिल हुए हैं। अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट लेकर जा रहे हैं। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।

इसके पहले बीजापुर में हुई इस हत्या के बाद पत्रकारों में आक्रोश है। उन्होंने बीजापुर नेशनल हाइवे-63 पर 4 घंटे तक चक्काजाम किया। वहीं, पुलिस ने मामले में 3 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि 3 आरोपी हिरासत में हैं। रिश्तेदार सुरेश चंद्राकर भी संदेह के घेरे में है।

अब पूरा मामला आपको विस्तार से बताते हैं।

दरअसल, 1 जनवरी 2025 को शाम 7 बजे से मुकेश चंद्राकर घर से लापता हुए थे। अगले दिन 2 जनवरी को उनके भाई युकेश चंद्राकर ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। शिकायत के बाद पुलिस लगातार मुकेश के फोन को ट्रेस कर रही थी। फोन बंद होने की वजह से अंतिम लोकेशन घर के आस-पास का ही दिखा रहा था।

CCTV फुटेज भी खंगाले गए, जिसमें अंतिम बार मुकेश टी-शर्ट और शॉर्ट्स में दिखे। वहीं पत्रकारों ने भी अलग-अलग जगह पता किया। Gmail लोकेशन के माध्यम से लोकेशन ट्रेस किया गया, जिसमें मुकेश का अंतिम लोकेशन बीजापुर जिला मुख्यालय के चट्टानपारा में होना पाया गया।

यहीं पर मुकेश के रिश्तेदार और ठेकेदार सुरेश चंद्राकर, रितेश चंद्राकर का बैडमिंटन कोर्ट परिसर है। मुकेश के सगे भाई यूकेश समेत अन्य पत्रकारों ने इसकी जानकारी बीजापुर जिले के SP जितेंद्र यादव और बस्तर के IG सुंदरराज पी को दी। पुलिस की टीम को भी उस इलाके में पहुंची।

इस दौरान कुछ पत्रकारों की नजर सेप्टिक टैंक पर गई। टैंक पर कंक्रीट का मोटा स्लैब डाला गया था, लेकिन उसमें एक भी चेंबर नहीं रखा था। अमूमन टैंक की सफाई के लिए एक हिस्से में चैंबर बनाया जाता है। यहां टैंक पूरी तरह से जब पैक दिखा तो शक हुआ।

पुलिस से टैंक तोड़वाने की मांग की गई। लेकिन पुलिस ने मना कर दिया। इसके बाद पुलिस और पत्रकारों में बहस हो गई। मामला बढ़ते देख पुलिस ने टैंक तोड़ने की इजाजत दे दी। जिसके बाद टैंक तोड़ते ही पानी में मुकेश की लाश मिली। शव को बाहर निकाला गया और पोस्टमॉर्टम के लिए शव को अस्पताल भिजवाया गया।

हत्याकांड में पुलिस के संदेह के दायरे में ठेकेदार सुरेश चंद्राकर और सुरेश के भाई रितेश चंद्राकर हैं। कुछ दिन पहले मुकेश ने करीब 120 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली सड़क की खस्ता हाल की खबर बनाई थी।

बताया जा रहा है कि, यह काम सुरेश चंद्राकर का ही था, जिसके बाद से इनके बीच कुछ विवाद भी हुआ था। फिलहाल, पुलिस इस पूरे मामले की जांच कर रही है। जांच के बाद ही हत्यारे और हत्या की वजह स्पष्ट हो पाएगी।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फेसबुक पर लिखा कि, मुझे आज भी वो दिन याद है, जब नक्सलियों के कब्जे से कोबरा बटालियन के जवान राकेश्वर सिंह मन्हास को नक्सलियों के चंगुल से रिहा कराने वाली मध्यस्थ टीम मुख्यमंत्री निवास रायपुर में मुझसे भेंट करने आई थी।

साहसी पत्रकार मुकेश चंद्राकर उस मध्यस्थ टीम के प्रमुख सदस्य थे। उनके साहस के लिए मैंने उनकी पीठ थपथपाई थी। मुकेश के साथ जो हुआ है, वो बेहद दुर्भाग्यजनक है। सिर्फ शब्दों से निंदा कर देने से क्षति और असुरक्षा का समाधान नहीं हो सकता। ना ही इस विषय पर कोई राजनीतिक टिप्पणी करना चाहूंगा।

सरकार से अनुरोध है कि त्वरित जांच हो, दोषियों पर कार्रवाई हो और ऐसी नज़ीर पेश हो कि अपराधियों में संदेश जाए। साथ ही मुकेश के परिवार का ध्यान रखने के लिए सरकार को आर्थिक सहायता, नौकरी पर भी निर्णय लेना चाहिए। साहसी पत्रकार मुकेश चंद्राकर को हम सब छत्तीसगढ़वासियों की विनम्र श्रद्धांजलि। ईश्वर उनके परिवार को हिम्मत दे। ॐ शांति
भूपेश बघेल ने आगे लिखा “मैंने सोचा था कि मुकेश चंद्राकर के मामले में न्याय मिलने तक इस पर राजनीतिक बयानबाजी नहीं होनी चाहिए, लेकिन भाजपा नेताओं के हद से अधिक गिर जाने पर मुझे कहना पड़ेगा कि प्रदेश के उपमुख्यमंत्री‌ अरुण साव, जिनके पास ही PWD भी है।”

बघेल ने लिखा अरुण साव इतने ताकतवर हो गए हैं कि उनके PWD में हुए बड़े सड़क घोटाले को जब पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने उजागर किया तो उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया।

इसी PWD विभाग में जब आचार संहिता के दौरान पुल निर्माण का मामला विधानसभा में वरिष्ठ कांग्रेस विधायक कवासी लखमा ने उठाया तो 10 दिन बाद उनके घर ED भेज दी गई। सत्य यही है और साबित भी हो रहा है कि अब तो यह स्पष्ट है, अरुण साव भ्रष्ट है।

बता दें कि, 120 करोड़ की लागत से नेलशनार, कुडोली, मिरतुर की सड़क बनी है। करीब 5 से 6 दिन पहले मुकेश ने रायपुर से आए अपने एक साथी के साथ मिलकर भ्रष्टाचार का मामला उजागर किया था। इसी बात से ठेकेदार और उसके परिवार के सदस्य इनसे खफा थे। वे बार-बार मुकेश से कॉन्टैक्ट करने की कोशिश कर रहे थे।

बिलासपुर के वरिष्ठ पत्रकार सुशील पाठक की अज्ञात हमलावरों ने 19 दिसंबर 2010 की रात गोली मारकर हत्या कर दी थी। पहले पुलिस ने इस केस को दबाने के लिए बादल खान नाम के युवक को गिरफ्तार किया।

इसके बाद जब विरोध-प्रदर्शन हुआ तो तत्कालीन एसपी जयंत थोरात को हटा दिया गया। एक साल तक पुलिस इस मामले की जांच करती रही, लेकिन आरोपियों का सुराग नहीं मिला। इसके बाद CBI से जांच कराई गई, लेकिन CBI भी हत्यारों को पकड़ नहीं पाई और क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी गई।

ब्यूरो रिपोर्ट : कन्हैया सिंह ठाकुर, बीजापुर (छत्तीसगढ़)

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