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Mahashivratri पर विशेष : भगवान भोलेनाथ का वो चमत्कारिक मंदिर, जहां पत्थरों में भी डमरू बजता है

भारत को ऐसे ही चमत्कारों का देश नहीं माना जाता है। यहां पर इतने चमत्कार होते हैं या हुए हैं जिन पर विश्वास करना भी मुश्किल हो जाता है। सबसे बात यह कि सनातन सभ्यता के इन चमत्कारों का लोहा विज्ञान से लेकर पूरे विश्व ने माना है। तभी तो पूरे विश्व की आस्था सनातन संस्कृति व हिंदू धर्म में है।

आज महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर हम एक ऐसे ही चमत्कार की बात करने जा रहे हैं। भारत में कई ऐसे शिव मंदिर हैं, जिनका इतिहास काफी गहरा और अति प्राचीन है। इन मंदिरों से पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। माना जाता है कि इन मंदिरों में जाने से हर मनोकामना पूरी होती है। आज हम आपको एक ऐसे ही शिव मंदिर की जानकारी देने जा रहे हैं, जिसे एशिया का सबसे ऊंचा मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर में महाकाल के दर्शन के लिए काफी दूर-दूर से लोग आते हैं। मंदिर का नाम है जटोली शिव मंदिर और ये हिमाचल में स्थित है।

बताया जाता है कि भगवान शिव का ये मंदिर अपने चमत्कारों के साथ-साथ अपनी शक्तियों के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में लगे पत्थरों को थपथपाने पर डमरू जैसी आवाज आती है।

इस मंदिर को एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है। ये हिमाचल प्रदेश के सोलन शहर से तकरीबन सात किमी दूर है। महाशिवरात्रि के दिन यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। जटोली शिव मंदिर दक्षिण-द्रविड़ शैली से बनाया गया है। मंदिर का भवन निर्माण कला का एक खूबसूरत नमूना है।

ऐसा कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ ने इस मंदिर में कुछ समय के लिए निवास किया था। जिसके बाद यहां स्वामी कृष्णा परमहंस ने यहां तपस्या की। उनके ही मार्गदर्शन पर मंदिर का निर्माण कराया गया। इस मंदिर के निर्माण मेंं पूरे 39 साल लगे थे।

मान्यता ये भी है कि, इस स्थान पर पहले पानी की काफी परेशानी होती थी। इस समस्या को दूर करने के लिए स्वामी कृष्णानंद परमहंस ने भगवान शिव की घोर तपस्या की। जिससे प्रसन्न होकर शिवजी ने अपने त्रिशूल से उस स्थान पर जमीन पर प्रहार किया और वहां से पानी निकलने लगा। उस दिन के बाद से इस जगह पर कभी पानी की कमी सामने नहीं आई।

अगर बात करें जटोली मंदिर की संरचना की तो इस मंदिर का गुंबद 111 फीट ऊंचा है। भगवान शिव के मंदिर में प्रवेश करने के लिए भक्तों को 100 सीढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता है। मंदिर के बाहरी ओर चारों तरफ कई देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गई हैं। वहीं मंदिर के अंदर स्फटिक मणि शिवलिंग है। साथ ही भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती जी की मूर्ति भी स्थापित है। इसके साथ ही मंदिर के ऊपरी छोर पर 11 फुट ऊंचा विशाल सोने का कलश रखा हुआ है। मंदिर का भवन देखने लायक है।

मान्यता है कि यहां भगवान भोलेनाथ की पूजा करने पर लोगों के दुःख दूर हो जाते हैं। यहां भगवान शिव के भक्त दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं।

Dharm Sansar : Khabar 24 Express

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