1 फरवरी 1977 को भारतीय तटरक्षक की स्थापना की गई थी। यह दिवस उन वीर जवानों के स्मरण में मनाया जाता है,जिन्होंने अपनी प्राणों की परवाह किए बिना अपना जीवन अपने देश सेवा में लगा दिया।
आज के वर्तमान समय में मानव का अतिक्रमण हवाई क्षेत्रों तथा जल क्षेत्रों में भी हो गया है, ऐसे में भारत के समुद्र तटीय इलाकों की सुरक्षा का दायित्व भारतीय तटरक्षक में कार्य करने वाले सैनिकों की होती है।अनेक बार ऐसा होता है कि देश के सैनिक दूसरे देशों में जाकर सैन्य अभ्यास करते हैं, और देश सेवा के लिए तत्पर होकर अपना संपूर्ण जीवन देश की उन्नति किस प्रकार से हो,इस कार्य के लिए जी जान लगा देते हैं।
इसी दिवस के विषय में अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से जनसंदेश देते कहते है कि,
तटरक्षक दिवस 1 फरवरी पर ज्ञान कविता
जल बहुत है पृथ्वी पर
भूमि व्रद्धि बहुत है कम।
यो घिरी है भूमि तट पाकर
चिलकन बालू से बन नम।।
समुंद्र जल बढ़ लहर मारकर
ढाता काटता भूमि तट।
यो भूमि कम होती जाती है
इसी रक्षा बांधे है जल तट।।
इसी सुरक्षा बने है रक्षक
जिन्हें कहते तटरक्षक।
ये सुरक्षा रेत ओर जलतट करते
प्रहरी बन सदुर तट जलघट।।
समुंद्र तूफान जब भी आता है
लीलता जन धन तन सुख हानि।
व्यवसायिक व्यापार के नाव वाहन को
डुबो नष्ट कर छोड़ देता विनाश कहानी।।
सूचना दे सहायता करना
ओर ढूंढ लाना खोये नाव जहाज।
शत्रु देश जन प्रवेश रोकना
ओर सैन्य छल रोकना है काज।।
इसी अभ्यास बढा करने को
अन्य देश सैन्य ले तकनीक।
सहयोग लेते देते तट रक्षा
क्या कैसे ज्ञान लें सैन्य सीख।।
देश विस्तार नीति तहत होते
युद्ध परस्पर तटजय देश विदेश।
इन्हीं युद्ध में देश तटरक्षा हेतु
तटरक्षक होते बलिदान निज देश।।
छलप्रपंच व्यवसाय उपयोग को
तट व्यापार करते आपराधिक लोग।
गुपचुप अपने नाव जहाज से
आवागमन करते ये लाभार्थ स्वार्थी लोग।।
इन्हें रोक और नियंत्रित करने में
इनके हमलों में प्राणहानी पाते।
वीरगति पाये इन तटरक्षक स्मरण में
आज तटरक्षक दिवस हम मनाते।।
यो इनकी भूमिका स्मरण सदा रख
करें हम उन तटरक्षक वीर नमन।
श्रद्धासुमन भेंट करें दायित्त्व अपनाकर
सहयोगी बने इन तटरक्षक देश अमन।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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