साल 2020 देश के लिए एक भयानक सपने की तरह आया था, जिसका असर साल 2021 में भी देखने को मिल रहा है। एक ओर कोरोना जैसी महामारी ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया वहीं दूसरी ओर बढ़ती महंगाई ने आग में घी डालने का काम किया।
एक तो पहले से ही बेरोजगारी की दर लगातार बढ़ रही थी ऊपर से कोरोना ने लोगों की जिंदगी उजाड़कर रख दी। भारत में पेट्रोल डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं, रसोई गैस के दामों में भी जबरदस्त इज़ाफ़ा हुआ है। लेकिन इन सबके बीच भारत के लोगों ने खुश रहना सीख लिया है। दुःख तो केवल 26 मई 2014 तक था। जब पेट्रोल-डीजल या रसोई गैस के दाम बढ़ते थे तो सरकार का जबरदस्त विरोध शुरू हो जाता था। लेकिन अब लोगों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, ये उनके लिए आम बात सी हो गयी है।
अब सरकार का विरोध तो छोड़िये लोग विरोध करने वाले को नहीं छोड़ते। यानि बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, लूट, डकैती, हत्या, बलात्कार, दंगे, रिश्वतखोरी इत्यादि ये सब अब लोगों के लिए मायने नहीं रखते।
शायद मई 2014 के बाद लोगों के मायने भी बदल गए।
21 जनवरी 2021 को मुंबई में पेट्रोल 92 रुपये प्रति लीटर के पार चला गया। दिल्ली में भी शुक्रवार को पेट्रोल 85.45 रुपये पर और डीजल 75.63 रुपये प्रति लीटर पर चला गया।
15 दिसंबर 2020 को एलपीजी गैस की कीमत में प्रति सिलेंडर 50 रुपये की बढ़ोतरी कर दी गयी, इससे पहले 3 दिसंबर को प्रति गैस सिलेंडर 50 रुपये की बढ़ोतरी हुई थी। यानी अब एक गैस सिलेंडर की कीमत 694 रुपये हो गई है। जबकि दिल्ली मुंबई के अलावा यूपी, बंगाल और भी कई प्रदेशों में इसकी कीमत 720 रुपये प्रति सिलेंडर से भी अधिक है।
अब बात रसोई गैस सिलेंडर पर सब्सिडी की करें तो पिछले एक साल में लगातार कटौती किए जाने से इस दौरान सब्सिडी वाला सिलेंडर 100 रुपए महंगा हो गया और सब्सिडी शून्य हो गई। यानि धीरे-धीरे सब्सिडी भी ख़त्म कर दी गयी।
एशिया महाद्वीप में भ्रष्टाचार के मामले में भारत प्रथम स्थान पर है। एक सर्वे में पाया गया है कि भारत में रिश्वतखोरी की दर 69 प्रतिशत है। फोर्ब्स द्वारा किए गए 18 महीने लंबे सर्वे में भारत को टॉप 5 देशों में पहला स्थान दिया गया है।
भारत के अलावा वियतनाम, पाकिस्तान, थाईलैंड और म्यांमार भी फोर्ब्स की टॉप 5 भ्रष्ट एशियाई देशों की सूची में शामिल हैं।
भारत में स्कूल, अस्पताल, पुलिस, पहचान पत्र और जनोपयोगी सुविधाओं के मामले जुड़े सर्वे में भाग लेने वाले लगभग आधे लोगों ने कहा कि उन्होंने कभी न कभी रिश्वत दी है।
2019 में हुए लोकसभा चुनाव में जीत मिलने पर पीएम मोदी ने कहा था कि भारत में कई सरकारें महंगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर गयी हैं। मनमोहन सिंह सरकार महंगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ही सत्ता से बेदखल हुई। पीएम मोदी ने कहा कि इस चुनाव में महंगाई और भ्रष्टाचार कोई मुद्दा ही नहीं था, “हिंदुस्तान में कोई चुनाव ऐसा नहीं गया जिसके केंद्र बिंदु में महंगाई नहीं रही हो, लेकिन हम पर एक भी विरोधी दल ने महंगाई को लेकर आरोप नहीं लगाया। ये चुनाव ऐसा है जिसमें भारत के पिछले कोई भी चुनाव उठा लीजिये, सब चुनाव भ्रष्टाचार के मुद्दों पर लड़े गये, भ्रष्टाचार के मुद्दे पर लोगों को जवाब देना पड़ा। ये पहला चुनाव था जिसमें इस देश में कोई राजनीतिक दल पांच साल तक के शासन पर एक आरोप नहीं लगा सका।”
इस पर कोई शक होना भी नहीं चाहिए, पीएम ने बिल्कुल सही कहा था, 100 प्रतिशत सच कहा था।
लेकिन पीएम ने यह नहीं बताया कि भारत में इससे पहले विपक्ष की हालत इतनी पतली कभी नहीं रही। विपक्षी नेताओं ने जब-जब आवाज उठाई… ईडी, सीबीआई ने बंद कर दी। पीएम ने यह नहीं बताया कि लोगों को धार्मिकता के आधार पर इससे पहले इतने बड़े स्तर पर कभी नहीं बांटा गया। पीएम ने यह नहीं बताया कि इससे पहले किसी भी सरकार ने बेरोजगारी पर दिए जाने वाले आंकड़े बंद नहीं किये।
25 नवंबर 2020 को ज़ी न्यूज़ के DNA प्रोगाम में प्रोग्राम के एंकर सुधीर चौधरी ने अपनी रिपोर्ट में बहुत कुछ बताया जिसके कुछ अंश यहां पर लिखा जा रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि –
“अब भारत में भ्रष्टाचार पर चिंता बढ़ाने वाली एक रिपोर्ट के बारे में बात करते हैं। दुनियाभर में करप्शन पर रिसर्च करने वाली Transparency International की रिपोर्ट आई है। जिसमें भारत को एशिया का सबसे भ्रष्ट देश बताया गया है। रिश्वतखोरी के मामले में भारत पहले नंबर पर है।
46 प्रतिशत भारतीय मानते हैं कि पुलिस सबसे ज्यादा भ्रष्ट है। 46 प्रतिशत मानते हैं कि स्थानीय अफसर भ्रष्ट हैं। 42 प्रतिशत का मानना है कि “सांसद” “नेता” भ्रष्ट हैं। 41 प्रतिशत लोगों को लगता है कि “सरकारी विभाग” में भ्रष्टाचार है। 20 प्रतिशत लोगों ने कहा कि “जज और मजिस्ट्रेट” भी भ्रष्ट हैं।
आपको ये भी जानना चाहिए कि कौन सा भ्रष्टाचार कितनी बड़ी समस्या है। 89 प्रतिशत भारतीयों के लिए सरकारी भ्रष्टाचार सबसे बड़ी समस्या है। 39 प्रतिशत लोगों को सरकारी काम में रिश्वतखोरी, 46 प्रतिशत लोग सिफारिश को बड़ा भ्रष्टाचार मानते हैं। 18 प्रतिशत ने कहा कि” वोट के लिए नोट को भ्रष्टाचार” बताया और अब एक सबसे ज़्यादा चिंता वाली जानकारी, 11 प्रतिशत लोगों ने माना कि काम के बदले शारीरिक शोषण सबसे बड़ा भ्रष्टाचार है।
47 प्रतिशत भारतीयों ने माना कि देश में भ्रष्टाचार “पहले” से ज्यादा हो गया है। महज़ 27 प्रतिशत ने माना कि भारत में भ्रष्टाचार कम हुआ है। 23 प्रतिशत ने कहा कि 1 साल में कुछ नहीं बदला और 3 प्रतिशत लोगों ने इस पर कोई राय नहीं दी।
यानि रिपोर्ट साफ करती है भारत में भ्रष्टाचार बढ़ा ही है कम नहीं हुआ। फिर पीएम मोदी किस बिनाह पर ये सब कह रहे हैं?
यानी भारत में अब आवाज उठाने वाला कोई नहीं है। भारत में आवाज उठाना मतलब दबा देने से है।
“चीन में अलीबाबा के मालिक जैक मा ने अपने देश की सरकार पर कुछ सवाल उठाए वो गायब हो गए। चीन ने उनकी कंपनियों पर तमाम प्रतिबंध भी लगा दिए…। इतना ही नहीं जिसने भी चीन की सरकार के खिलाफ जब-जब आवाज उठाई वो गायब हो गया या आवाज उठाने के लायक ही नहीं बचा… लेकिन एक बात जो साफ है कि चीन में लोकतंत्र नहीं है। और न ही चीन लोकतांत्रिक देश है।
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लेकिन हम यहां चीन की बात कर ही क्यों रहे हैं जब चीन लोकतांत्रिक देश है ही नहीं? वहां ऐसा होना स्वाभाविक है.. लेकिन भारत तो एक लोकतांत्रिक देश है…।
हम चीन की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि यहां चीन और भारत में इस मामले में कुछ समानताएं हैं।
चीन में आलोचना करने वाले लोग गायब करवा दिए जाते हैं लेकिन भारत में तरीका थोड़ा अलग है। यहाँ लोगों की आवाज दबाने के कई अलग तरीके अपनाएं जाते हैं। जैसे सीबीआई, ईडी, पुलिस इत्यादि।
आवाज उठाने वाले के खिलाफ भले एक सबूत न मिलें लेकिन सरकारी तंत्र जैसे सीबीआई, ईडी, पुलिस उसे इस हद तक परेशान कर हैं कि वो आवाज उठाने के लायक ही नहीं बचता। और बची कुची कसर मीडिया और सोशल मीडिया पूरी कर देता है।
खैर इन सबके बीच एक ही बात कही जा सकती है कि भारत के लोग हर परिस्थिति में बेहद Comfortable हैं। हम अपने आपको परिस्थितियों के अनुसार ढाल लेते हैं। 2014 तक जो दुःख थे वे अब खुशियां बन चुके हैं तो आइए मिलकर ताली, थाली बजाएं और सोशल मीडिया पर एक दूसरे के खिलाफ जमकर गालियां बरसायें….
बस अब यही सबसे बड़ा काम है और यही धर्म।