करवा चौथ पर सभी को शुभकामना आशीर्रवाद देते स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी अपनी कविता में करवाचौथ का आध्यात्मिक अर्थ इस प्रकार से कहते है कि,,,
चार धर्म नर नार एक कर
वचन निभाना करवाचौथ।
सत्य प्रेम ईश एक आत्मा
नर नारी व्रत करवाचौथ।।
घट श्रंगार चतुर्थ कर्ममय
नव घट नव जीवन है सार।
चंद्र दर्शन छलनी प्रेमांचल
प्रेम गान नर नारी आभार।।
सुहागन बदले घट परस्पर
रखती निज घट लेना ध्यान।
एक घट है नर नार एकमय
पति पत्नी एक दूजे भगवान।।
करवा कर्म दो ‘कर’ संग ले
चौथ चरुर्थ व्रत अंग ले।
व्रत सम्पूर्ण दो अर्ध पूरा।
उत्सव ग्रहस्थ धर्म रंग ले।।
ग्रहस्थ धर्म सजीव बनाता
आराध्य स्वयं बन करवाचौथ।
तू मैं मिट एक प्रेम है ईश्वर
साध्य नर संग नारी करवाचौथ।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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