सरकार पिछले कुछ समय से ऐसे फैसलों को लेती आ रही है जो इतिहास का हिस्सा बनते जा रहे है, इस ही एक फैसला सुप्रीम कोर्ट ने घरेलू हिंसा 2005 (s) को विस्तारित किया है।
दरअलस, अक्सर घरेलू हिंसा में घर की महिला को बाहर निकाल दिया जाता था, परन्तु इस फैसले के बाद पति के रिश्तेदार के घर पर भी पत्नी को हक़ दिया गया जिससे उसके पति का जुड़ाव हो ।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने यह कहा कि पत्नी को साझाघर मे रहने का पूरा अधिकार है।
इस कानून का मकसद महिलाओं है कि महिलाओं को उनका अधिकार प्राप्त हो ऐसे में कानून को उसके उद्देश्य के हिसाब से व्याख्यायित करना पड़ेगा।
रिपोर्ट:- अवन्तिका मिश्रा।