आज़म खान नीचले स्तर की भाषा बोल रहे हैं… तो यही भाषा भाजपाई उनसे भी ज्यादा नीचे गिरकर बोल चुके हैं, यकीन नहीं आये तो खुद अपने कानों से सुन लीजिए….।
सुब्रमण्यम स्वामी तो इतनी नीच और घटिया भाषा का इस्तेमाल कर चुके हैं कि शायद उनके लिए माफी जैसा शब्द ही न बचे? लेकिन वे आज भी भाजपा में सम्मानित नेता हैं कोई कार्रवाई नहीं…? मतलब भाजपा में जो महिलाएं हैं वोटबैंक की वजह से केवल वे ही इज्जतदार हैं बाकी दलों की महिलाओं की धर के बेइज्जती करिये?
क्या भाषा का स्तर गिराकर, व्यक्तिगत हमले करके ही राजनीति की जा सकती है? ऐसी घटिया भाषा बोलकर नेता क्या जताना चाहते हैं? जनता को क्या संदेश देना चाहते हैं?

जनता समझदार है… ये फैसला भी हम उसी पर छोड़ते हैं…।

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