राफेल विमान सौदे की जाँच के लिए दाखिल सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा है कि राफेल की खरीद प्रक्रिया बिल्कुल सही है ।कोई कमी नहीं।
हालांकि,सुप्रीम कोर्ट ने विमान की कीमत पर ये टिप्पणी कर कि,”राफेल की कीमत देखना कोर्ट का काम नहीं “,विपक्ष के लिए ‘चौकीदार चोर है’ अभियान के लिए यथावत स्थिति बरकरार छोड़ दिया है ।
लेकिन,नि:संदेह सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से प्रधान मंत्री मोदी को बड़ी राहत मिली है ।कम से कम विमान खरीद प्रक्रिया में गड़बड़ी का अब कोई आरोप नहीं लगा सकता ।हाँ, अत्यधिक बढ़ी कीमत पर विमान खरीदी और ऑफ़सेट पार्टनर अनिल अंबानी को 30,000करोड़ रुपये का लाभ पहुंचाने का मुख्य आरोप अभी भी अनुत्तरित है।विपक्ष शाँत नहीं बैठेगा ।
अब एक असहज ‘खुलासा ‘!
जब,आशा के विपरीत,तरुण गोगोई भरत के प्रधान न्यायाधीश बनाये गये थे,तब दिल्ली के एक वरिष्ठ पत्रकार मित्र ने बातचीत के दौरान मुझे बताया था कि “अब प्रधान मंत्री मोदी के लिए कोई भी असहज फैसला प्रधान न्यायाधीश की बेंच से नहीं आएगा!क्योंकि,श्री गोगोई की नियुक्ति ही एक ‘डील ‘के तहत हुई है “।
मैं स्तब्ध रह गया था ।विश्वास नहीं हुआ था ।गोगोई सुप्रीम कोर्ट के उन चार जजों में एक थे जिन्होंने तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र और केंद्र सरकार के खिलाफ प्रेस कांफ्रेंस ली थी ।फिर?
पत्रकार मित्र ने बताया कि सरकार गोगोई को प्रधान न्यायाधीश नहीं बना रही थी ।तब,गोगोई के इलाके से आने वाले,सत्ता के अत्यंत ही करीबी,एक बड़े पत्रकार ने मध्यस्थता कर गोगोई के पक्ष में,एक डील के तहत, सरकार को राजी किया ।’डील ‘ व्यक्तिगत रुप से प्रधान मंत्री मोदी के लिए ‘अभय दान ‘की थी ।बता दूँ,मुझे तब बिल्कुल विश्वास नहीं हुआ था ।
लेकिन,आज इस मुद्दे पर “भ्रम-युक्त “फैसला आने पर पत्रकार मित्र के शब्द जेहन में कौंध गये ।
अब,सवाल कायम कि,
क्या “सचमुच “?????
वरिष्ठ पत्रकार श्री एस.एन विनोद जी की कलम से
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