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समय की नजाकत को देखते हुए एनडीए के सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा ने अखिरकार खुद को एनडीए से अलग कर लिया

 

 

 

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने अखिरकार एनडीए से अलग होने का फैसला कर ही लिया। अभी 3 दिन पहले कुशवाहा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा था कि वो एनडीए के हिस्सा बने रहेंगे और एनडीए में रहकर आलोचना भी करते रहेंगे। लेकिन 3 दिनों में ऐसा क्या हो गया कि उपेंद्र कुशवाहा को मंत्रिपद से इस्तीफा देना पड़ा?

 

 

 

2019 जैसे-जैसे नज़दीक आता जा रहा है लोकसभा चुनावों की तारीख भी नज़दीक आती जा रही है। एनडीए के सहयोगी दल अपने-अपने लिए ज्यादा टिकटों की मांग में लग चुके हैं और मोल भाव भी करना शुरू कर दिया है। हर कोई अपने लिए ज्यादा से ज्यादा टिकट पाने की चाहत रख रहा है। तो बिहार में उपेंद्र कुशवाहा भी अपनी पार्टी के लिए ज्यादा टिकट की मांग कर रहे थे जबकि भाजपा उन्हें 2 से ज्यादा टिकट देने के मूंड में नहीं थी। कुशवाहा की तरफ से 7 टिकट की मांग हो रही थी। भाजपा की तरफ से दलील थी कि उनकी पार्टी दो फाड़ हो चुकी है। तो ज्यादा टिकट क्यों?

बता दें कि पार्टी के बड़े नेता डॉ0 अरुण कुमार जो जहानाबाद से सांसद हैं वो भी आरएलएसपी छोड़ अपनी खुद की पार्टी बना चुके हैं। सांसद अरुण कुमार ने गांधी मैदान में एक रैली का भी आयोजन किया था जो असल में शक्ति परीक्षण बताया गया था और उनकी रैली में लगभग 3-4 लाख लोगों ने हिस्सा लिया था। रैली की सबसे खास बता यह थी कि हर दल के बड़े और असंतुष्ट नेता हिस्सा लेने आये थे, वहीं आरएलएसपी के काफी सारे नेता भी रैली में शामिल हुए। इस रैली पर खुद अमित शाह नज़र गढ़ाए हुए थे और यही वजह थी कि उपेंद्र कुशवाहा को भाजपा ने ज्यादा तरहीज देना उचित नहीं समझा।

इस बात को बल तब मिला जब अमित शाह ने उपेंद्र कुशवाहा को मिलने का समय नहीं दिया जबकि उपेंद्र कुशवाहा ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मिलने की कई बार कोशिश की थी। उपेंद्र कुशवाहा ने पीएम मोदी से भी मिलने की कोशिश की लेकिन वहां भी समय नहीं मिला।

और अब जब ज्यादा अनदेखी हुई तो अपनी बची साख बचाने के लिए राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने आज केंद्रीय मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया। उनका इस्तीफा संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से एक दिन पहले आया है। कुशवाहा ने अपना इस्तीफा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेज दिया है। कुशवाहा के इस कदम से बिहार में राजनीतिक समीकरण पर असर पड़ सकता है।

दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत में कुशवाहा ने भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी पर जमकर भड़ास निकाली। कुशवाहा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे अपने इस्तीफे में कहा है आपके नेतृत्व द्वारा धोखा दिए जाने से मैं निराश हूं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार की प्राथमिकता गरीबों के लिए काम करना नहीं बल्कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से निपटना है।

वहीं कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार से इस्तीफा देने वाले राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा को राजग से अलग होने के फैसले के लिए बधाई दी है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, ‘‘भाजपा और नीतीश कुमार के किसान, युवा, महिला सुरक्षा, गरीब उत्पीड़न तथा बिहार की जनता की अनदेखी से व्यथित उपेंद्र कुशवाहा जी ने भी मोदी जी को ख़ारिज कर राजग से बाहर जाने का निर्णय लिया।’’

 

 

उन्होंने कहा, ‘‘सत्ता को सच बताने के लिए, कुशवाहा जी को मुबारकबाद। आइये, एक नव भारत का निर्माण करें।’’

 

 

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी प्रमुख पिछले कुछ सप्ताहों से भाजपा और उसके अहम सहयोगी दल जदयू के नेता, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे हैं। रालोसपा को 2019 के लोकसभा चुनाव में दो से ज्यादा सीटें नहीं मिलने के भाजपा के संकेतों के बाद से कुशवाहा नाराज चल रहे हैं। दूसरी ओर भाजपा और जदयू के बीच बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने की सहमति बनी है। बिहार से लोकसभा में 40 सांसद आते हैं।

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मनीष कुमार

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