भविष्यफल दर्शन यंत्र:-
इसका निर्माण 8 दिसम्बर 2009 को हुआ..जिसे सत्यास्मि धर्म ग्रंथ आदि सभी विषय की संकलनकत्री कनिका सिंह(कनिष्का स्वामी) ने अपने जन्मदिन 8 दिसम्बर को सत्यसाहिब जी के विमर्श सहयोग और आशीर्वाद से किया…
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“गुरु मंत्र गुरु ध्यान कर,यंत्र पे ऊँगली रख एक।
कहे “सत्संग” भविष्य फल, सत्य उत्तर पाये कहे एक।।
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[अपने जीवन की किसी भी समस्या हो या दैनिक भविष्य फल हो,उसका उत्तर,अपने गुरु मंत्र को बोलकर और गुरु का ध्यान करके फिर इस यंत्र में बने खानों में अपनी पहली ऊँगली रखें और नीचे दिए दोहों में उत्तर प्राप्त करें….1-शुभ अति सब काम सिद्ध,कर यात्रा मिले बड़े का साथ।
कहे “सत्संग” पति पत्नी बच्चा सुख मिले,तेरे रखे राजा सर हाथ।।
2-पूर्व जा हो मनोरथ पूरा,हो जीव खरीद से लाभ।
कहे “सत्संग” अड़चन रहे थोड़ी,कुछ चींटियों को दे दाब।।
3-कष्ट बढ़े हो दोष सिर,पर कारज हो सब पूर्ण।
कहे “सत्संग” कुछ दान कर,फिर मिले खोया सम्पूर्ण।।
4-वाहन संग हो काम सिद्ध,और बिछुड़ा मिले इंसान।
कहे “सत्संग” एक माह सब्र रख,बीमारी का रख ध्यान।।
5-अकस्मात ख़ुशी हो दुगनी,तुझे भाग्य दिलाये मान।
कहे “सत्संग” छोड़ दो पंछी,कोई पीछे करे अपमान।।
6-शत्रु हानि भय बढ़े,तू सब्र से पाये फल।
कहे “सत्संग” गुरु यज्ञ कर,बीस दिन बाद मिलेगा कल।।
7-हो मंगल कारज देर से,पर स्वयं काम हो सिद्ध।
कहे “सत्संग” मंगल दीप कर,कर पैरवी बढ़ कर खुद।।
8-निर्बल तेरा भाग्य है,और कारज दूजे वश।
कहे “सत्संग” तू सलाह कर,शनि रोटी दे तू दस।।
9-जो चाहे तुझे सब मिले,पर पेट में रख सब बात।
कहे “सत्संग” गुरु मंत्र पढ़,कटे तेरे सब घात।।
10-मंगल कारज वक्त अब,ले बड़े बुजुर्ग आशीष।
कहे “सत्संग” गुड़ चना बाँट,बढ़ डगर उच्च कर शीश।।
11-अबकी इच्छा त्याग दे,और पहला सोचा कर।
कहे “सत्संग” कोढ़ी जिमा,सेहरा बंधे तब सर।।
12-नियत अपनी ठीक कर,तब मिले लाभ हर काम।
कहे “सत्संग” माँ पैर छु,चोर चोट लगे कुछ शाम।।
13-हो रोग दोष शत्रु डरे,शुभ समय स्वयं का जान।
कहे “सत्संग” साधु जिमा,पर पीछे का रख ध्यान।।
14-राज्य लाभ अब तुझे मिले,अमावस रहे सावधान।
कहे “सत्संग” अखण्ड दीप कर,मिले शिक्षा में सम्मान।।
15-महनत है अगर रात दिन,तुझे गया सभी कुछ मिल।
कहे “सत्संग” कर पितृ यज्ञ,लिखा पढ़ी ध्यान दे दिल।।
16-सेवा से तेरा भाग बढ़े,कुछ उम्मीद होगीं पूरी।
कहे “सत्संग” रवि अर्ध्य दे,मीत मिले रहे दिल दुरी।।
17-तारा आये तो कर्ज माफ़ नहीं,पर मिले जरूर सहाय।
कहे “सत्संग” धो इष्ट धाम,जगह बदल दूर न जाए।।
18-त्रिशूल आये सब पायेगा,कुछ आसपास कर गोर।
कहे “सत्संग” पंछी जिमा,मिले छठे माह में भौर।।
19-गुरु मूर्त अंगुली पड़े,तब मानो तुम आशीष।
कहे “सत्संग” भय रहित जा,करे कारज सिद्ध सत्यईश।।
20-रेखा कहे एक राह चल,मत दूजे देख मचल।
कहे “सत्संग” जब कोण पा,रूप ध्याये लक्ष्य अचल।।
21-पूर्व पड़े अंगुली तेरी,तब देव दोष तू मान।
कहे “सत्संग” पंच देव पूज,ना तो जाये घर धन जान।।
22-अंगुली पड़े उत्तर दिशा,दोष ऋषि तप भंग।
कहे “सत्संग” सप्त ऋषि पूज,ना तो मिले अकाल अंग भंग।।
23-पड़े ऊँगली जब पश्चिम,तब कालसर्प दोष जान।।
कहे “सत्संग” नवग्रह पूज,ना तो पाये निसंतान कलह रोष।
24-दिशा दक्षिण ऊँगली पड़े, रहे प्रेत पीड़ा की मार।
कहे “सत्संग” भिखारी जिमा,ना तो बढ़े खर्च बीमार।।
25-पड़े ऊँगली चार शब्द,सत्य अर्थ दे,ॐ धर्म दे ज्ञान।
कहे “सत्संग” चार बल मिलें,सिद्धायै काम,नमः मोक्ष दे जान।।
26-सीधे हाथ के अक्षर पुत्र हैं, पड़े उलटे पुत्री जान।
कहे “सत्संग”यही ब्याह समझ,सीधे शीघ्र विवाह दे,उलटे दूर है मान।।
27-दे पूर्व कोना धन कानून विजय,दे पश्चिम कोण घर नोकरी प्यार।
कहे “सत्संग” मध्य में देर अभी,उत्तर विवाह सुख कहे,दक्षिण बताये हार।।
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हो एक बार संतोष ना,तो तीन बार ही कर।
कहे “सत्संग” कर ज्यादा नहीं,तुझे मिल गया सत्य उत्तर।।
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स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
www.satyasmeemission.org
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