Breaking News
BigRoz Big Roz
Home / Breaking News / बुलंदशहर बवाल: दंगाइयों द्वारा हिंसा से इंस्पेक्टर की मौत लेकिन असामाजिक तत्व बुलंदशहर में हुए तीन दिवसीय “तबलीगी इज्तिमा” की भीड़ से इसे जोड़ने में लगे

बुलंदशहर बवाल: दंगाइयों द्वारा हिंसा से इंस्पेक्टर की मौत लेकिन असामाजिक तत्व बुलंदशहर में हुए तीन दिवसीय “तबलीगी इज्तिमा” की भीड़ से इसे जोड़ने में लगे

 

 

 

 

 

 उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में तीन दिवसीय आलमी तबलीगी इज्तिमा का आज 3 दिसंबर को आखिरी दिन था। 30 लाख से ज्यादा लोगों की भीड़ और पुलिस प्रशासन पर इसे संभालने की जिम्मेदारी। लोगों का साथ और पुलिस की मुस्तैदी, 3 दिवसीय तबलीगी इज्तिमा का आयोजन शांतिपूर्ण तरीके से हुआ। लेकिन तीसरे दिन बुलंदशहर से 30 किलोमीटर दूर एक ऐसी घटना घटी कि पूरे शहर की शांति को न जाने आग सी लग गयी। और इस आग का कारण था गोकशी की अपवाह।

 

 

बुलंदशहर जिले में शहर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्याना कस्बे में लोगों को जैसे ही गोकशी की सूचना मिली फिर क्या था… लोग जमा होते गए और जमा होते-होते लोग हिंसक भीड़ में तब्दील हो गए।
गोकशी का विरोध कर रहे लोगों ने कस्बे के मुख्यमार्ग पर जाम लगा दिया। हालात संभालने के लिए पुलिस बल मौके पर पहुंचा। बढ़ते बवाल को देखते हुए पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया जिसके बाद भीड़ ने और विकराल रूप धारण कर लिया और इस हिंसा का शिकार एक जाँबाज पुलिस वाला हो गया।

 

बता दें कि बुलंदशहर के स्याना में गोकशी के अवशेष मिलने पर गुस्साई भीड़ ने जमकर तांडव मचाया। लोगों ने बुलंदशहर स्याना रोड जामकर दिया, भीड़ को काबू में करने आई पुलिस पर हिसंक भीड़ ने पथराव भी कर दिया। इस दौरान पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध सिंह सहित स्थानीय युवक सुमित की मौत भी हो गई। बता दें कि बुलंदशहर के स्याना इलाके में स्थित एक खेत में गोवंश के अवशेष मिलने के बाद लोगों में उत्तेजना फैल गई। कई लोगों ने इसे लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।

इस बीच ग्रामीणों ने संभावित गौवंश के अवशेषों को ट्रैक्टर ट्राली में रखकर चौकी चिकरावली पहुंचकर बांस और ट्राली की मदद से रोड को ब्लॉक कर दिया। प्रभारी निरीक्षक, चौकी इंचार्ज और सीओ ने ग्रामीणों से वार्ता की और समझाया। पहले शुरुआती रूप से ग्रामीण सहमत हो गए लेकिन किसी बात को लेकर वे उग्र हो गए और पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया। जिसे नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया। इसके बाद लोगों ने वाहनों में आग लगा दी। पुलिस पर जमकर पथराव किया। जितना संभव हो सकता है उतना जमकर उत्पात मचाया।

पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हवाई फायर भी किया। लोग नियंत्रित तो नहीं हुए बल्कि और हिसंक रूप धारण कर लिया। भीड़ ने पुलिस पर अवैध हथियारों, देसी कट्टों से फायरिंग शुरू कर दी। इसी दौरान वहां भीड़ को संभालने की कोशिश कर रहे इंस्पेक्टर को सिर में चोट लगी जिससे उन्हें हेड इंजरी हो गई। पुलिस ने उन्हें अस्पताल ले जाने की कोशिश की लेकिन ग्रामीणों ने वहां भी आकर पथराव किया। बाद में पुलिस ने उन्हें जैसे-तैसे अस्पताल पहुंचाया। लेकिन इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह को बचाया नहीं जा सका। और इस तरह वो दंगाइयों का शिकार हो गए। सूत्रों के मुताबिक सुबोध कुमार सिंह ग्रेटर नोएडा के दादरी के पास एक गांव में हुए अखलाक मर्डर केस को भी देख रहे थे। और इस पर उन्होंने अपनी रिपोर्ट भी सौंपी थी कि जो अवशेष अखलाक के घर से मिले थे वे गौकशी के नहीं थे। इसकी जांच चल रही थी।

 

गौतमबुद्ध नगर के दादरी के पास के गांव बिसाहड़ा में बीफ के शक में भीड़ ने अखलाक की 28 सितंबर 2015 की रात पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में 18 लोगों को आरोपी बनाया गया था। अखलाक के परिवार के मुताबिक सुबोध कुमार इस केस के मुख्य जांच अधिकारी थे और वे इस केस को लेकर बेहद संवेदनशील होने के साथ जांच को लेकर उनका रवैया बेहद सहयोगी था। उन्होंने बताया कि बाद में सुबोध कुमार का तबादला बनारस फिर वृंदावन और उसके बाद वे स्याना थाने में एसओ बनाए गए। अखलाक मामले में सुबोध के बाद प्रदीप कुमार और फिर रवींद्र राठी जांच अधिकारी बने।

गौरक्षक बनी इस भीड़ ने भले ऐसा किया हो जिसे माफ नहीं किया जा सके। लेकिन अपने आपको जरूरत से ज्यादा जिम्मेदार और देशप्रेमी बताने वाले लोगों ने जो किया वो भी कम शर्मनाक नहीं था।

अपने को कट्टर हिंदूवादी चैनल कहने वाले चैनल के कथित हिंदूवादी मालिक ने एक ऐसा ट्वीट कर दिया जिससे बवाल और ज्यादा हो जाये।

 

 

 

अब आप इस ट्वीट के क्या मायने निकालेंगे? क्या ऐसे ट्वीट हिंसा फैलाने वाले नहीं हैं? भीड़ ने जो किया उसे तो शायद ही कभी माफ किया जाए लेकिन ऐसे जिम्मेदार लोग जो कर रहे हैं क्या इनके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए?

बुलंदशहर में आलमी तबलीगी इज्तिमा शांतिपूर्ण तरीके से तीन दिन तक चला, बुलंदशहर की इतनी आबादी नहीं जितने मुस्लिम यहां इबादत के लिए इकट्ठा हुए। और यही नहीं पूरे तीन दिन किसी भी तरह की कोई अशांति वाली ख़बर सामने नहीं आयी। पुलिस ने भी अपना काम बखूबी निभाया साथ ही शहर के लोगों ने और तबलीगी इज्तिमा के लिए जमा हुए लोगों ने भी भरपूर साथ निभाया। यहां पर हिन्दू-मुस्लिम एकता भी देखने को मिली। तबलीगी इज्तिमा के लिए ग्रामीणों ने पानी मुहैया कराया, खाने के लिए राशन मुफ्त दिया और भी बहुत सारी ऐसी बाते थीं जो बुलंदशहर में शांति बनाए रखने के लिए पर्याप्त थीं।
आखिरी दिन भले तबलीगी इज्तिमा में कुछ न हुआ हो, लेकिन कुछ दंगाइयों ने फ़िज़ा बिगाड़ने की भरपूर कोशिश की। बुलंदशहर की मुस्तैद पुलिस ने ऐसा होने तो नहीं दिया लेकिन हिंसा को रोकने के प्रयास के चलते बुलंदशहर पुलिस ने अपना एक होनहार और तेज़ तर्रार जवान खो दिया।

 

 

 

****

 

Manish Kumar
Editor-in-Chief
Khabar24 Express

Follow us :

Check Also

चंद्रशेखर बावनकुले ने मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने पर पीएम मोदी का जताया आभार

मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और राजस्व …

Leave a Reply

error

Enjoy khabar 24 Express? Please spread the word :)

RSS
Follow by Email
YouTube
YouTube
Set Youtube Channel ID
Pinterest
Pinterest
fb-share-icon
LinkedIn
LinkedIn
Share
Instagram
Telegram
WhatsApp