श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज आज गाय माता की पूजा और सेवा के बारे में विस्तारपूर्वक बता रहे हैं। साथ ही इस लेख के माध्यम से आप लोगों से अपील करना चाहते हैं कि गाय माता की सेवा करें, सच्चे दिल से उनकी पूजा करें उनके नाम पर व्यपार ना करें, हिंसा न करें।
गाय माता स्वयं में एक अवतार हैं। गलत करने वालों को वो स्वयं सजा मिलेगी। अगर आपसे बन पाए तो सिर्फ इतना करें कि गाय माता अगर सड़क पर इधर-उधर घूम रही हैं तो किसी गौशाला में या सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दें। आपको पूण्य मिलेगा।
गाय माता का पूजा उपासना से हमें संसार के सभी पापों से मुक्ति कैसे मिलेगी और कैसे हमें संसारी और आध्यात्मिक लाभों की प्राप्ति होती हैं, आओ जाने:-
गाय माता में कैसे है 33 करोड़ देवी और देवता का वास:-
चूँकि गाय के सभी अंगों से निकलने वाली ऊर्जा मनुष्य के लिए सर्वोत्तम फल देने वाली होती है,चाहे वो-
1-गाय के माथे से बहने वाला पसीना हो,जिसे गरोचन कहते है,
2-और चाहे दूध हो जो मनुष्य के बाल्य अवस्था में और व्रद्धावस्था में बड़ा सुपाच्य होने से कल्याणकारी होता है।
3- और गौ मूत्र हो जो अनगिनत ओषधि में उपयोगी है,जिससे मनुष्य के लगभग सभी रोगों में लाभ मिलता है।
4-या चाहे गोबर हो, जो सभी मनोकामना पूर्ति के यज्ञों में सर्व सिद्धि प्रदान को उपयोगी है।
5- और चाहे गाय का घी हो,जो मनुष्य की बल बुद्धि और पुरुष को पुरुषार्थ और स्त्री की स्त्रार्थ प्रदान करने में पूर्ण सक्षम है।
6-गाय की स्नान करने से सभी तीर्थों में जाकर जल चढ़ाने से भी अधिक पूण्य लाभ मिलता है।
7-गाय के खुरों पे जमी धूल को प्रतिदिन अपने मस्तक पे लगाने से सभी तीर्थों की यात्रा पे जाकर जो पूण्य धूल मिलती है,उससे अधिक फल गाय के खुर यानि गोचरण रज से प्राप्त होती है।
7- गाय का दान महाकल्याण कारी होता है,सभी दोषों को हरने वाला होता है।जिस मनुष्य के रोग या पाप बल से उसे प्राप्त होने वाले सभी दोष से उसकी म्रत्यु सहज नहीं मिल रही हो,उसका हाथ लगवाकर किसी सात्विक व्यक्ति को गाय दान करने से शीघ्र ही मुक्ति मिल जाती है।यो यहाँ ये ध्यान रखें की-गाय किसी भी सात्विक व्यक्ति को ही दान में दे,न की लालची ब्राह्मण हो।अन्यथा इस दान का उत्तम फल नहीं प्राप्त होगा।
8-प्रातः और साय को यदि कोई मनुष्य गाय के नेत्रों के दर्शन करता है,तो उसे अद्धभुत शांति की प्राप्ति होती है।
9-गाय के शरीर पर अपने हाथों से मालिश करने से,अनगिनत तीर्थों में झाड़ू पोछा सफाई करने भी अधिक शुभ फल मिलता है और जितनी भी उस मनुष्य में नकारात्मक दोष हैं,उसे गौ स्पर्श से सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होकर उसका कल्याण होता है।
9-गाय के सींगों पे हाथ फेरने से व्यक्ति के सभी संकटों से छुटकारा मिलता है,क्योकि गाय के सींग सभी संकटों का निवारण है।
और जो ये सोचते है की-यदि गाय में ये सब सामर्थ्य है,तो वो अपनी रक्षा क्यों नहीं कर पाती है? तो उत्तर है कि- जिस परिवार में गाय रही है,उस परिवार के सारे दोष अपने में लेकर स्वयं अपना बलिदान देकर उस परिवार के पापो का निवारण करती है।यो इसे मारने वाले को महापातकी कहते है।उसका दोष कभी नहीं मिटता है।
यो अनगिनत गुणों के कारण गाय में ये गुण ही देवी और देव बनकर निवास करते है।
गौ माता का पूजन की विधि-
गाय एक ऐसा दिव्य प्राणी है, जिसमें भगवान का वास माना गया है। शास्त्रों के अनुसार गाय माता में सुरभि नामक लक्ष्मी निवास करती है। सुरभि का अर्थ है- बहुत ही सुंदर आभा प्रदान करने वाली देवी। गाय से प्राप्त होने वाली हर वस्तु जिसे पंचाम्रत भी कहते है- दूध,गोबर, गौ मुत्र, घी, दही, ये पचंद्रव्य सभी जीवन में उपयोगी है। गाय के सिर से बहने वाला पसीना जिसे गोरोचन कहा जाता है। गोरोचन में लक्ष्मी प्राप्ति करा देने की क्षमता होती है। यही कारण है कि जिस घर में गाय को निवास कराया जाता है। उस घर में 33 कोटि देवता प्रसन्न रहते हैं।
जिस घर में गाय हो और उसकी सेवा हो, तो ही वहां किसी भी प्रकार का वास्तुदोष बगैर किसी उपाय को करें स्वयं ही दूर हो जाता है।और सेवा नहीं हो,तो दोष बढ़ता है।
शास्त्रों में गाय का अपमान करने वाले की घोर निंदा की गई है। और गाय का मांस खाने वाले से बड़ा पापी, इस जगत में कोई नहीं हो सकता है।
गाय माता के शुभ शकुन:-
1-गाय का दरवाजे पर आकर रंभाना,मानो भगवान आपके सभी दोषों को क्षमा करने के लिए आपके द्धार पर उपस्थित है,तब जो भी गाय को श्रद्धा भाव से भोजन खिलाता है,मानो उसे सभी कुछ प्राप्त हो जाता है।
2-गाय माता का आपके दरवाजे को चांटना,आप पर किये गुप्त या प्रत्यक्ष शत्रु के सभी तन्त्र मंत्र अनुष्ठानों से होने वाले संकट कष्ट दूर हो जाते है।
3- यात्रा पर जाते समय गाय का दर्शन हो जाना शुभकारक होता है।
4-आपके घर के बाहर या आंगन में बनी रंगोली पर गाय का पैर रखना या वहाँ आकर खड़े हो जाना बहुत ही शुभ सर्व मनोकामना सिद्धि दायक माना गया है।
5- गाय को रोज भोजन देने से नवग्रहों की शांति होती है।जिसके विषय में आगे बताऊंगा।
6-ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार गौ के पैरों में समस्त तीर्थ का वास माना गया है। गौ माता के पैरों में लगी मिट्टी का जो व्यक्ति नित्य तिलक लगाता है, उसे किसी भी तीर्थ में जाने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उसे सारा फल उसी समय वहीं प्राप्त हो जाता है।
7-हमारे पुराणों में भी इसका उल्लेख मिलता है कि- गाय की पूँछ छूने मात्र से मुक्ति का मार्ग खुल जाता है।
8-जो व्यक्ति सुबह जागने के बाद नित्य गौ माता के दर्शन करता है, उसकी अकाल मृत्यु कभी नहीं हो सकती, यह बात महाभारत में बहुत ही प्रामाणिकता के साथ कही गई है।पर जो इन्हें लात मारता है,तो उसी की अकाल म्रत्यु योग बनता है।
हमें नित्य-इस शास्त्रगत मंत्र के साथ गौ माता को प्रणाम करना चाहिए।
-सर्वदेवमये देवि सर्वदेवैरलंकृते।
मातर्ममाभिलषितं सफलं कुरु नन्दिनि।।
अन्यथा सबसे सरल मन्त्र है:- जय गौ माता।।
वैदिक साहित्य के अनुसार जिन देवताओं का पूजन हम मंदिरों व तीर्थों में जाकर करते हैं। वे सारे जीवन्त रूप में देवता समूह रूप से गौ माता में नित्य विराजमान है। इसलिए पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ किसी भी कार्य की सिद्धि के लिए नित्य गौ माता की सेवा करनी चाहिए। महाभारत में भी कहा गया है-
यत्पुण्यं सर्वयज्ञेषु दीक्षया च लभेन्नरः।
तत्पुण्यं लभते सद्यो गोभ्यो दत्वा तृणानि च।।
अर्थात् सारे यज्ञ करने में जो भी पुण्य है।और सारे तीर्थ स्नान का जो भी पूण्य फल मिलता है। वह फल केवल गौ माता को नित्य सेवा और श्रद्धा भाव से चारा डालने से ही प्राप्त हो जाता है।यहाँ ये स्मरण रहे कि-जो केवल गाय को दूध देने वाला पशु मानकर पालते है,उन्हें ये फल उतना नहीं मिलता है।
विष्णुधर्मोत्तरपुराण के अनुसार:-
किसी भी अनिष्ट के नाश के लिए गौ माता के पूजन किया जाना चाहिए। जो भी मनुष्य नित्य प्रतिदिन गाय की सेवा करता है और फिर रोज गाय के लिए चारा देने के बाद रोज रोटी का दान करता है। उसकी कोई भी विध्न बाँधा या परेशानी अपने आप उसके सामने से स्वयं ही रास्ता बदल लेती है।
जो मनुष्य स्वयं के भोजन करने से पहले गाय को भोजन अर्पित करता है। वह समस्त श्री, विजय,एश्वर्य और मनवांछित सिद्धि को प्राप्त करता है।
जब गौ माता को रोटी दें तो इस मंत्र का उच्चारण करें-
त्वं माता सर्वदेवानां त्वं च यज्ञस्य कारणम्।
त्वं तीर्थं सर्वतीर्थानां नमस्तेऽस्तु सदानघे।।
अन्यथा केवल-जय गौ माता मेरा दिया भोजन आप ग्रहण करें और मुझ पर अपनी कृपा करें,ये कहने भर से सम्पूर्ण लाभ प्राप्त होगा।
नवग्रहों की पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए प्रत्येक वार को गाय माता को इस प्रकार से अलग अलग अन्न खिलाएं:-
1-सूर्यदेव ग्रह के शुभ लाभ के लिए-
प्रत्येक रविवार को रोटी के ऊपर थोड़ा सा गुड़ रखकर लाल गाय को खिलाएं और नमन करें और उनके पैर छुए।
2-चंद्र देव ग्रह के शुभ लाभ के लिए-
प्रत्येक सोमवार को रोटी के ऊपर थोडा सा घी लगाकर गाय को खिलाएं। पके हुए चावल को दुध में भिगोकर सफेद गाय को खिलाएं ओर नमन कर पैर छुए।
3-मंगल ग्रह के शुभ लाभ के लिए-
प्रत्येक मंगलवार को गेंहू की रोेटी पर गुड़ रखकर लाल गाय को खिलाएं। कोई भी मीठा पदार्थ कम से कम 5 जलेबी, या इमरती,रसगुल्ला गाय को खिलाने से मंगल ग्रह की सभी अनुकूल प्रसन्नता प्राप्त होती है।उन्हें नमन कर पैर अवश्य छुए।
4-बुध ग्रह के शुभ लाभ के लिए-
प्रत्येक बुधवार के दिन साबूत मूंग की दाल के थोड़े से दाने रखकर सफेद गाय को खिलाएं। बुध ग्रह की प्रसन्नता के लिए हरा चारा गाय माता को अवश्य खिलाएं।नमन कर पैर छुए।
5-गुरु ग्रह के शुभ लाभ के लिए-
प्रत्येक गुरूवार को घी और हल्दी रोटी पर चुपड़कर पीले रंग लिए गाय को खिलाए।ये नहीं मिले तो सफेद या मिश्रित गाय माता को ही खिलाये।और चने की दाल और गुड़ मिलाकर खिलाने से गुरु ग्रह के शुभ प्रभाव और लाभ में बड़ी भारी वृद्धि होती है।तथा ऐसा करके गाय माता को पैर छूकर नमन करें।
6-शुक्र ग्रह के शुभ लाभ के लिए-
प्रत्येक शुक्रवार को चावल दही के साथ मिलकर खिलाने से शुक ग्रह की अनुकूलता में बड़ी वृद्धि होती है। यह उपाय कँगलापति योग को मिटाकर लक्ष्मी कारक योग है।अन्यथा केवल उबले हुए चावल का भात भी खिलाया जा सकता है।पैर छूकर नमन करें।
7-शनि, और राहु तथा केतु के अनिष्टकारी कुप्रभाव से शुभ प्रभाव की व्रद्धि के लिए अचूक उपाय:-
प्रत्येक शनिवार को अलग से लाया गया पीली सरसों का तेल रोटी पर चुपड़कर और साथ ही तिल के कुछ दाने भी रखकर चुपड़कर चितकबरी या काली गाय को खिलाएं।
या केवल उड़द की दाल बनाकर और 4 रोटी के साथ गाय माता को खिलाएं।या उड़द और चावल की बनी नमकीन खिचड़ी खिलाने से भी शनिदेव या राहु और केतु के समस्त दोष मिटकर उनके सभी लाभ प्राप्त होकर सभी प्रकार की पीड़ा संकट और द्ररिद्रता दूर होती हैं।
8-अद्धभुत अलौकिक चमत्कारिक उपाय:-
आप पर जिस भी ग्रह की पीड़ा हो,वेसे तो किसी भी पूर्णमासी के दिन अति शुभ है,फिर भी जल्दी हो तो
उसी ग्रह के दिन जाकर एक रेशम की डोरी में एक पंचमुखी रुद्राक्ष और एक ग्रह के रंग की कोडी को चाँदी में अलग अलग जड़वाकर पिरोकर उसे उस ग्रह के दिन प्रातः ही लेकर गाय माता के गले में बांध दे और अपने ग्रह निवारण को प्रार्थना करें और उसे उनके गले में बंधा रहने दे और चले आये और शाम को जाकर गाय माता को कम से कम दो रोटी घी में चुपड़ी हो और उसपर कुछ मीठा या जलेबी रख कर पहले उन्हें खिला दे और अब उनसे अनुमति लेते हुए की-ये रुद्राक्ष और कोडी में आपकी कृपा बसी रहे और मुझे मनवांछित लाभ कृपा हो,उस डोरी को खोलकर अपने गले में बांध ले और गाय माता के पैर छूकर उन्हें नमन कर थोड़ा पीछे को हट कर तब अपने घर लौटे,तो देखना मनवांछित चमत्कार और शुभ लाभ।
-काले धागें का सही और अचूक उपाय:-
यदि अपने अभी तक केवल अपने आप ही काला धागा लेकर पैर में या हाथ में बांध लिया और रखा है,तो उसे तुरन्त उतार दे।उससे कोई लाभ नहीं होगा।बल्कि नुकसान ही सम्भव है।
क्या करें और कैसे करें-
शनिवार के दिन काली गाय के सीधे पैर में खुर के कुछ ऊपर के भाग में अपनी मनोकामना कहते हुए,काला रेशम की एक लपेटे यानि चक्कर लगा बांधे और चले आये,फिर शाम को जाकर गाय माता की घी चुपड़ी रोटी और गुड़ खिलाकर आशीर्वाद लेते हुए अपना बाँधा धागा खोलकर पुरुष अपने सीधे हाथ या जो स्त्री अपने पैर में बांधना चाह रही है,वे उलटे पैर में बांधे।और गौ माता के पैर छूकर नमन कर चली आये।और आठवें शनिवार में ऐसा बांधा धागा उतार कर नदी में डाल दे और उसी दिन नया पहले तरीके से करके फिर से पहन ले।यो ये जानो किसी भी प्रकार की नजर और जादू का असर आप पर नही होगा और आपका सदा कल्याण होगा।
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“जय गाय माता”
“श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज
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“जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः”