Breaking News
BigRoz Big Roz
Home / Breaking News / तो नए साल में मिल सकता है महंगाई का तड़का, बढ़ सकते हैं पेट्रोल डीज़ल के दाम

तो नए साल में मिल सकता है महंगाई का तड़का, बढ़ सकते हैं पेट्रोल डीज़ल के दाम

 

“नई साल में पेट्रोल डीज़ल के दामों में इज़ाफ़ा होने के मिल रहे हैं संकेत, लग सकता हैं महंगाई का तड़का”

 

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने से पेट्रोल डीज़ल के दामों में बढ़ोत्तरी हो सकती है। बता दें कि कच्चे तेल के दामों में लगातार वृद्धि हो रही है जिसे देखते हुए भारतीय बाजार में एक बार फिर दाम बढ़ सकते हैं। वैसे भारतीय बाजार में पहले से ही पेट्रोल डीजल के दाम आसमान हैं। लेकिन तेल कंपनियों को दाम बढ़ाने का सिर्फ बहाना चाहिए तो सबसे अच्छा बहाना मिल रहा है और इस नए साल में जबरदस्त वृद्धि देखने को मिल सकती है।
कच्चे तेल की कीमतों में साल 2016 के नवंबर से साल 2017 के दिसंबर तक 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। खासतौर से पिछले तीन महीनों में अगस्त अंत से कच्चे तेल के दाम में 28 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। फिलहाल यह 67 डॉलर प्रति बैरल पर है।

“जब कच्चे तेल 25 डॉलर/ बैरल थे तब भारतीय बाजार में पेट्रोल 65 रूपये और डीज़ल 50 रूपये/ लीटर मिल रहा था।”

इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण भूराजनैतिक तनाव, ओपेक और गैर-ओपेक देशों द्वारा उत्पादन में कटौती की समय सीमा का विस्तार, अनुमान से ज्यादा पेट्रोलियम पदार्थों की वैश्विक मांग तथा आपूर्ति की बाधाएं प्रमुख हैं।

आईसीआरए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और समूह प्रमुख (कॉरपोरेट सेक्टर रेटिंग) के. रविचंद्रन ने बताया, ‘‘संवेदनशील पेट्रोलियम पदार्थों पर अंडर रिकवरी (अनुमानित आय और वास्तविक आय का अंतर) 220-250 अरब रुपये (भारतीय बास्केट के कच्चे तेल की औसत कीमत 56-59 डॉलर प्रति बैरल मानते हुए) रहने का अनुमान है, जबकि आईसीआरए के अनुमान के मुताबिक पहले इसके 160-200 अरब रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था। भारतीय बास्केट के कच्चे तेल की कीमत में 1 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी से अंडर-रिकवरी 10 अरब डॉलर बढ़ जाती है तथा आयात बिल में 1.2 अरब डॉलर की बढ़ोतरी होती है।’’

रविचंद्रन ने आगे कहा, ‘‘कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से ओएमसी (सरकारी तेल विपणन कंपनियों) की कार्यशील पूंजी की जरूरत बढ़ जाती है, जिससे उनकी मुनाफाप्रदता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।’’

उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों की खुदरा कीमतों में वृद्धि और खुदरा व थोक बिक्री में निजी आरएंडएम कंपनियों की बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण तेल विपणन कंपनियों को उनके विपणन मार्जिन पर दबाव का सामना करना पड़ सकता है। इस क्षेत्र में वर्तमान संयंत्रों के विस्तार के अलावा नया निवेश अभी भी शुरुआती स्तर पर ही है। हालांकि मध्यम अवधि में निजी कंपनियों द्वारा वाहन ईंधन की खुदरा बिक्री में रुचि देखने को मिल सकती है। कुल मिलाकर रिफाइनिंग और विपणन क्षेत्र की कंपनियों के लिए क्रेडिट दृष्टिकोण स्थिर बना हुआ है।

Follow us :

Check Also

चंद्रशेखर बावनकुले ने मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने पर पीएम मोदी का जताया आभार

मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और राजस्व …

Leave a Reply

error

Enjoy khabar 24 Express? Please spread the word :)

RSS
Follow by Email
YouTube
YouTube
Set Youtube Channel ID
Pinterest
Pinterest
fb-share-icon
LinkedIn
LinkedIn
Share
Instagram
Telegram
WhatsApp