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सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को झटका 10 साल से पुराने डीज़ल वाहनों पर रोक हटाने से कोर्ट का इंकार

 

 

 

 

10 साल से पुराने निज़ी और व्यावसायिक वाहनों के फैसले पर रोक हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया।
सुओरीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को बड़ा झटका देते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत एनसीआर क्षेत्र में 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल वाहनों पर लगी रोक जारी रखी है।
इसके अलावा 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों पर भी लगी रोक जारी रहेगी। एनजीटी ने केंद्र सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें डीजल वाहनों पर लगी रोक के फैसले पर फिर से विचार करने को कहा गया था। जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले पर अपना फैसला सुनाया है।
यह मामला 2014 से लंबित था। इस मामले पर केंद्र सरकार जहां उम्र सीमा के आधार पर डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने के आदेश के खिलाफ रही है वहीं दूसरी तरफ एनजीटी उम्र सीमा के आधार पर पुराने डीजल वाहनों पर प्रतिबंध को जायज ठहराती रही है। इस पीठ में जस्टिस जावद रहीम, जस्टिस रघुवेंद्र एस राठौर के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए एक्सपर्ट मेंबर बिक्रम सिंह भी शामिल रहे। आईआईटी की रिपोर्ट से ही यह बात साफ हुई थी कि डीजल वाहनों से वातावरण ज्यादा प्रदूषित होता है जबकि केंद्र सरकार अपने हलफनामें में यह कहता रहा है कि डीजल वाहनों से होने वाले प्रदूषण की हिस्सेदारी बेहद कम है।

इससे पहले एनजीटी 10 वर्ष से अधिक पुराने डीजल वाहनों को दिल्ली-एनसीआर से बाहर उन राज्यों और जिलों में भेजने का भी पूर्व में आदेश दे चुका है जहां गाडिय़ों की संख्या का घनत्व बेहद कम और प्रदूषण भी कम है। फिलहाल कुछ राज्यों की ओर से यह सूची एनजीटी में दाखिल की जा चुकी है। चुनौती यह है कि ऐसे जिलों में पुराने वाहन के खरीदार कब मौजूद होंगे और फिर जमीन की उपलब्धता का अभाव झेल रही दिल्ली में पुराने वाहनों को स्क्रैप करने के लिए कहां रखा जाएगा।


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