चीनी मीडिया भारत और चीन के टकराव को जिस तरह पेश कर रही है वो किसी युद्ध से कम नही है।
चीनी मीडिया का कहना है कि चाइना ने भारतीय सीमा पर बनी चौकियों को तबाह कर दिया है और इन हमलों में 158 भारतीय सैनिक मारे गए हैं।
तो क्या वाकई ऐसा है या चाइना का मीडिया भी मेड इन चाइना जैसा ही है। यानि जैसे मेड इन चाइना प्रोडेक्टस की विश्वसनीयता पर हमेशा सवाल उठते हैं क्या वैसे ही चीनी मीडिया तो नहीं?
सोमवार को भारत ने चीनी मीडिया की उस रिपोर्ट का खंडन किया, जिसमें कहा गया था कि उनकी सेना ने 158 भारतीय सैनिको को मार गिराया है और सिक्किम बॉर्डर पर रॉकेट दागे हैं। चीनी मीडिया की यह रिपोर्ट तिब्बत सीमा पर चीनी सैनिकों के युद्धाभ्यास के एक दिन बाद आई।
विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा कि ऐसी रिपोर्ट बिलकुल गलत और आधारहीन हैं। ऐसे कोई भी रिपोर्ट एक जिम्मेदार मीडिया द्वारा नहीं चलाई जाती है।
पाकिस्तानी मीडिया दुनिया न्यूज टीवी इस वीडियो कों लगातार चला रहा है। पाकिस्तानी चैनल इन तस्वीरों को चीन का भारत पर हमला बता रही है। पाकिस्तान की लगातार इस झूठी खबर को फैला रहा है।
गौरतलब है कि चाइना सेंट्रल टीवी की ओर से दो मिनट का एक वीडियों जारी किया गया था, जिसमें दिखाया गया था कि चीनी सैनिकों ने सिक्किम बॉर्डर पर हमला कर दिया है। इस हमले में कई भारतीय सैनिक घायल हो गए हैं। वीडियों में यह भी दिखाया गया कि चीनी सैनिकों ने भारतीय पोस्ट पर रॉकेट लॉन्चर, मशीन गन और मोटार से हमला कर दिया है।
गौरतलब है कि पिछले महीने से भारत और चीन के बीच डोकलाम को लेकर तनातनी चल रही है। भारतीय सैनिकों ने चीनी सेना के डोकलाम में रोड निर्माण करने पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद दोनों देशों की ओर से सीमा पर सैनिकों को संख्या बढ़ा दी।
डोकलाम, चीन-भारत-भूटान सीमा के तीराहे पर स्थित है। इस क्षेत्र पर भूटान और चीन दोनों अपना दावा कर रहे हैं। विवाद बढ़ने के बाद से चीन ने हर साल होने वाली अमरनाथ यात्रा पर रोक लगा दी। इसके साथ ही चीन ने भारतीय सेना पर बॉर्डर पार कर चीनी सीमा में घुसने का भी आरोप लगाया।
सिक्किम के ऊपर भारत-भूटान-चीन के दोकलम नामक ट्राइ-जंक्शन क्षेत्र में चीनी सैनिकों को सड़क निर्माण से रोकने के बाद चीन लगातार अड़ियल रुख अपना रहा है। ताजा मामले में चीन ने भारतीय सैनिकों द्वारा दोकलम में तंबू गाढ़ने के बाद भारत को धमकाने के लिए नई चाल चली है। उसने कई देशों के राजदूतों को बुलाकर कहा कि चीन इस मुद्दे पर न तो पीछे हटेगा और न ही ज्यादा इंतजार कर सकता है। इस बीच, चीनी मीडिया ने दोबारा धमकी दी है कि चीन इस मसले पर किसी भी तरह के टकराव के लिए तैयार है।
चीन के सरकारी मीडिया ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने भारत को धमकी देते हुए एक बार फिर कहा है कि चीन युद्ध से नहीं डरता है, यदि भारत कुछेक स्थानों पर टकराव चाहता है तो उसे पूरी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर मुकाबला करना होगा। उसने कहा कि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद पर बातचीत जारी है लेकिन इस वातावरण में भारत ने दोकलम पर कार्रवाई करके जहर घोल दिया है।
अखबार ने धमकी दी कि दोकलम इलाके में भारतीय सेना की मौजूदगी चीन की संप्रभुता के लिए खतरा है और भारत को इस टकराव के दुष्परिणाम भुगतना पड़ सकते हैं। ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने चीन सरकार को सुझाव दिया कि वह दोकलम क्षेत्र में और सैनिक भेजकर सड़क निर्माण का काम जारी रखे, ताकि भारत को सबक सिखाया जा सके।
उधर, इस मसले पर भारत को चीनी मीडिया की धमकियों के बीच चीन ने भी कई देशों के राजदूतों को बुलाकर भारत को धमकाने की कोशिश की है। उसने अपनी गलती मानने के बजाय उल्टे भारत को हालात समझने की बात राजदूतों से कही। एक अंग्रेजी दैनिक में सूत्रों के हवाले से प्रकाशित इस खबर में चीन ने बीजिंग में मौजूद विभिन्न देशों के राजदूतों को गत सप्ताह ब्रीफ किया है कि ‘वह न तो अपनी स्थिति से पीछे हटेगा और न ही अधिक इंतजार करेगा।’
जी-20 के कुछ देशों को भी चीन सरकार ने इस बारे में अलग से ब्रीफ किया है। चीन ने यह संदेश दिया कि – ‘चीन अब अनिश्चित काल तक इंतजार नहीं कर सकता है।’ कूटनीतिक समुदाय को कहा गया है कि – ‘चीन और भूटान के बीच विवाद में भारतीय सैनिक बीच में कूद गए हैं।’
दोकलम इलाके में भारत और चीन के बीच एक माह से भी अधिक समय से जारी गतिरोध के बीच अमेरिका की पूर्व राजनयिक ने कहा है कि चीन को यह मान लेना चाहिए कि भारत एक ऐसी शक्ति है जिसके साथ तालमेल बिठाना जरूरी है। अमेरिका में दक्षिण-मध्य एशिया मामलों की विशेषज्ञ और पूर्व सहायक विदेश मंत्री निशा बिस्वाल मे कहा कि बीजिंग के व्यवहार के कारण क्षेत्र के कई देश प्रभावित हो रहे हैं।
निशा बिस्वाल ने एक साक्षात्कार में कहा – ‘चीन को स्वीकार कर लेना चाहिए कि एशिया में रणनीतिक व सुरक्षात्मक क्षमता बढ़ रही है। यहां भारत निश्चित ही एक ऐसी ताकत है जिसके साथ तालमेल जरूरी है।’ उन्होंने कहा कि समुद्र व जमीन के विभिन्न सीमावर्ती प्वाइंट्स पर चीन द्वारा आक्रामक हरकतें की जा रही है और ऐसे ही संकेत भेेजे जा रहे हैं।
पूर्व राजनयिक ने कहा कि – ‘मैं चीन की भावनाएं समझती हूं और मुझे लगता है कि वह स्वयंक को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एक प्रभावशाली देश के बतौर पेश करने की कोशिश में है। जबकि उसके इस एकपक्षीय व्यवहार के कारण इलाके के कई देश अस्थिरता का सामना कर रहे हैं।’ उन्होंने उम्मीद जताई कि दोनों देशों के नेता हालातों को और ज्यादा बिगड़ने से रोकने में कामयाब होंगे।