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एस. एन. विनोद जी की कलम से… बिहार में “राजनारायणी कसरत”

 

पुनः एक राजनीतिक विडंबना! एक ऐसी विडंबना जिससे लोकतांत्रिक भारत बार-बार शर्मिंदा होता रहा है।सिलसिला अनंत…..! पात्र अमर…! विराम चिन्ह लुप्त!
इस बार नीतीश… नीतीश कुमार… बिहार के स्वच्छ, पाक-साफ, सुशासन बाबू के नाम से सुख्यात “राजनारायणी” भूमिका में ! विडंबना… यही तो विडंबना है!
याद करें भारतीय लोकतंत्र का वह कालखंड जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कुशासन और भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का आगाज़ किया था। शक्तिशाली इंदिरा व कांग्रेस को सत्ताच्युत करने के लिए जेपी ने कांग्रेस-विरोधी वोटों को बंटने से रोकने के लिए अन्य सभी राजनीतिक दलों को एक मंच पर एकत्रित किया।जेपी के अनुरोध पर, वामदलों को छोड़, जनसंघ सहित अन्य सभी दलों ने अपनी पहचान त्याग, एक ‘जनता पार्टी’का गठन किया।प्रयोग सफल रहा।इतिहास साक्षी है, 1977के आम चुनाव में कांग्रेस पराजित हुई।स्वयं इंदिरा गांधी चुनाव हार गईं।आज़ादी के बाद पहली बार केंद्र में गैर-कांग्रेसी, जनता पार्टी सरकार सत्तारूढ़ हुई।लेकिन…..!…सत्ता-वासना का स्याह चेहरा फिर मुखर हुआ!!
संजय गांधी सक्रिय हुए।
प्रधानमंत्री नहीं बन पाने से क्षुब्ध चौधरी चरण सिंह के हनुमान राजनारायण को चारा फेंका,”..चौधरी साहब को प्रधानमंत्री बनाओ… हम मदद करेंगे। “राजनारायण झांसे में फंस गए।प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की जनता पार्टी सरकार गिर गई।कांग्रेस के समर्थन से चरण सिंह प्रधानमंत्री बने।फिर कांग्रेस ने चरण सिंह अंगूठा दिखला दिया।सरकार गिर गई।चुनाव हुए।कांग्रेस की पुनः,2साल के अंदर,सत्ता में वापसी! इंदिरा गांधी पुनः प्रधानमंत्री!!जेपी के सपनों का महल धराशायी!

 

विडंबना दर विडंबना..! बिहार में पुनरावृत्ति के संकेत।2015के चुनाव में राजद-जदयू-कांग्रेस महागठबंधन के हांथों बुरी तरह पराजित भाजपा ‘महागठबंधन’ तोड़ने पर आमादा।भय कि कहीं महागठबंधन का विस्तार राष्ट्रीय स्तर पर ना हो जाये! सो, तोड़ो.. महागठबंधन तोड़ो!लालू परिवार को भ्रष्टाचार के आरोपों के महाजाल में कस, नीतीश का”इमोशनल शोषण”-नैतिकता का तकाज़ा, भ्रष्टाचार के आरोपी उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का इस्तीफा लो! नीतीश की स्वच्छ छवि दाँव पर!..नैतिकता को हर पल ललकार! नीतीश का नैतिक-चक्षु खुला नहीं कि गठबंधन टूटा।
अब लखटकिया सवाल कि क्या जयप्रकाश शिष्य नीतीश भाजपा रणनीतिकारों के झांसे में आ राजनारायण बनेंगें?अगर हाँ, तो उन्हें क्या मिलेगा? महागठबंधन टूट जायेगा।भाजपा की रणनीति सफल हो जाएगी। इच्छा पूरी हो जायेगी। लेकिन, नीतीश को क्या मिलेगा?
चौधरी चरण सिंह की तरह प्रधानमंत्री की कुर्सी मिलने से तो रही।बहुत होगा तो यही कि मुख्यमंत्री हैं, मुख्यमंत्री बने रहेंगे।लेकिन, कुछ दिनों बाद?चरण सिंह की गति को ही तो प्राप्त होंगे!.. लतिया दिए जाएंगे! और तब तय मानिए, नीतीश अपनी ‘साफ सुथरी पूंजी’ गंवा बैठेंगे।क्या नीतीश ऐसा चाहेंगे?
विश्वास तो नहीं, लेकिन राजनीति और सत्ता का खेल हमेशा निराला ही रहा है।कभी शीर्ष पर, तो कभी पाताल में।
नीतीश अपवाद साबित हों, तो बिहार प्रसन्न होगा!

 

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एस.एन. विनोद

ख़बर 24 एक्सप्रेस एक्सक्लूसिव

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3 comments

  1. अरुण कुमार

    सटीक विश्लेषण। नीतीश कहीं भाजपा के जाल में न फंस जाएं। सुमो तो बहुत चढ़ा रहा है। महागठबंधन से अलग होने का खामियाजा नीतीश को ही भुगतना पड़ेगा। लालू के बहाने विपक्षी एकता को कमजोर करने में भाजपा जुटी है।

  2. Bihar ka ghamashaan lalu vs nitish kumar

  3. Ashamed of ur penning down.
    You want and like to see Nitish with wholly corrupt Lallu who is dieing to establish his ruffian sons into Politics..
    It is a Mahagathbandhan not to make Bihar as a rewarding state but to loot it.
    What majority of so called writers whom people don’t want to even read are trying to satisfy their own greed by such writing and trying parallel isms which has no basis and never going to happen.

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