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तो कर्ज़ में डूबी एयर इंडिया को पूरी तरह से बेचने के पक्ष में खड़ी केंद्र सरकार, जल्द हो सकता है किसी से सौदा

 

 

कर्ज़ में डूबी एयर इंडिया को केंद्र सरकार बेचने के पक्ष में खड़ी नज़र आ रही है इतना ही नही इस पर जल्द फैसला भी किया जा सकता है। फिलहाल ऐसे खरीदारों को तलाशा जा रहा है जो घाटे में चल रही एयर इंडिया को खरीद ले।
आपको बता दें कि यूपीए सरकार एयर इंडिया को बेचना चाहती थी लेकिन एनडीए के विरोध के बाद यूपीए की सरकार उसको नही बेच पायी।

भाजपा ने उस वक़्त कहा था कि अगर एयर इंडिया जैसी विमानन कंपनी इंडिया के पास है ये भारत के लिए गर्व की बात होगी। लेकिन अब एनडीए की सरकार भी ऐसे ही मोड़ पर खड़े दिखाई दे रही है। यानि भाजपा की मोदी सरकार भी एयर इंडिया को इन टीन्स आलों में कर्ज़ से बाहर नही निकाल पायी बल्कि कर्ज़ को इन टीन्स आलों में और बढ़ा दिया।
आपको बता दें कि कर्ज में डूबी सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया को बेचने के लिए मोदी सरकार ब्रेकअप प्लान पर विचार कर रही है। माना जा रहा है कि खरीददारों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए एयर इंडिया को टुकड़ों में बेचा जा सकता है। आपको बता दें कि एयर इंडिया लगातार घाटे में चल रही है, इसको ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार यह फैसला ले सकती है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय ने एयर इंडिया की बिक्री की प्रक्रिया शुरू करने के लिए अगले साल की शुरुआत तक का समय निर्धारित किया है।

इससे पहले विमानन कंपनी इंडिगो ने गुरुवार को कहा था कि उसकी रुचि राष्ट्रीय विमान कंपनी एयर इंडिया के विदेशी परिचालन को खरीदने में है, लेकिन वह इसके लिए सरकार के साथ मिलकर संयुक्त उद्यम बनाने के पक्ष में नहीं है। अधिकारियों ने कहा था कि इंडिगो की रुचि एयर इंडिया की कम लागत वाली अंतर्राष्ट्रीय सहयोगी कंपनी एयर इंडिया एक्सप्रेस को खरीदने में है। हालांकि, यह स्पष्ट किया कि इंडिगो की दिलचस्पी एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए सरकार के साथ मिलकर किसी संयुक्त उद्यम का गठन करने में नहीं है।

 

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कैबिनेट ने पिछले महीने ही एयर इंडिया में विनिवेश को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी। तब जेटली ने कहा था कि एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया की रूपरेखा तय करने के लिए वित्तमंत्री की अध्यक्षता में एक समूह गठित करने के नागरिक उड्डयन मंत्रालय के प्रस्ताव को भी स्वीकार कर लिया गया है। हालांकि, जेटली ने इस समूह के गठन की या विनिवेश राशि तय करने के लिए गठित होने वाले समूह द्वारा अंतिम रिपोर्ट सौंपे जाने की कोई समयसीमा नहीं बताई थी।

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