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चुनाव आयोग की शर्तों की वजह ईवीएम हैकिंग को लेकर सभी राजनीतिक दल पीछे हटे, लेकिन इस दल ने फिर भी ठोकी ताल

 

 

 

 

देश में ईवीएम हैकिंग को लेकर जबर्दस्त बवाल मचा हुआ है कई राजनीतिक दलों ने आवाज उठाई और आरोप लगाया कि ईवीएम हैक की जा सकती है, चुनाव आयोग लगातार इन आरोपों को नकारता रहा है। चुनाव आयोग का दावा है कि ईवीएम हैकिंग संभव नहीं है। चुनाव आयोग का कहना है कि अभी तक ऐसा नहीं हो पाया है, ईवीएम पूरी तरह से सेफ है इसका हैक होना संभव नहीं है।

वहीं दिल्ली की आम आदमी पार्टी ने विधानसभा में ईवीएम जैसी एक मशीन को लाकर छेड़छाड़ दिखाने की कोशिश की। उनका दावा है कि उनके पास ऐसे हैकर हैं जो यह साबित करेंगे कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है या फिर इससे मनचाहे परिणाम हासिल किए जा सकते हैं।
लेकिन ईवीएम हैकिंग को लेकर चुनाव आयोग की शर्तों की वजह से कोई भी राजनीतिक दल ईवीएम हैकिंग को लेकर दावा ठोकता नज़र नहीं आया। आम आदमी पार्टी, बसपा, सपा और कांग्रेस सभी दलों ने ईवीएम पर सवाल खड़े किये थे जिसकी वजह से चुनाव आयोग को चुप्पी तोड़नी पड़ी और बार-बार कहा कि उसकी ईवीएम में कोई गड़बड़ी नहीं है अगर है तो साबित करके दिखाएँ। लेकिन चुनाव आयोग की तरफ से इसके लिए कोई तारिख निर्धारित नहीं की गयी थी जिसकी वजह से चुनाव आयोग पर फिर सवाल उठे।

 

 

 

आपको बता दें कि यूपी के विधानसभा चुनाव, मुम्बई बीएमसी और दिल्ली एमसीडी चुनावों में भाजपा को मिली बम्पर जीत की वजह से सभी राजनीतिक दलों ने भाजपा और चुनाव आयोग को निशाने ओर ले लिया था और इसके लिए बहुत सारे उदाहरण भी पेश किये गए थे जिन वजहों से ईवीएम में गड़बड़ पर सावल उठे।
चुनाव आयोग ने इस पर बैठक की और सवाल उठाने वालों को EVM हैक करने का न्यौता भी दिया। सबसे ज्यादा सवाल आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उठाये। इतना ही नहीं उनके एक विधायक ने वाकायदा ईवीएम हैकिंग का दिल्ली विधानसभा में लाइव डेमों भी दिया और उन्होंने कहा कि वो महज़ चन्द मिनटों में ईवीएम को हैक करके दिखा सकते हैं। चुनाव आयोग ने पहले की तरह ही रटे रटाये शब्द फिर दोहराऐ। लेकिन बार-बार आरोप और मीडिया का दबाव, चौतरफा खुद को घिरता देख चुनाव आयोग ने दोबारा रणनीति तैयार कि लेकिन अपनी शर्तों के साथ।

 

 

 
ईवीएम से छेड़छाड़ के लिए चुनाव आयोग ने सभी दलों को आमंत्रित तो कर लिया लेकिन उसके उपर से शर्त ऐसी रखीं जैसे आपके हाथ पैर बाँध कर आपको नदी में तैरने कहा जाए।

वहीं, इन सब आरोपों के बीच चुनाव आयोग ने EVM के हैकिंग साबित करने के लिए राजनीतिक दलों को खुली चुनौती पेश की। चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि यह चुनौती कुछ शर्तों के साथ हैं।
तो आप भी अच्छे से जानिये कि क्या हैं चुनाव आयोग की वे शर्तें :-

1.राजनीतिक पार्टियां हालिया विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल की गई मशीनों का इस्तेमाल कर सकती हैं लेकिन विदेशी विशेषज्ञों के इसमें भाग लेने की पाबंदी है।
2. यह चुनौती सिर्फ राष्ट्रीय और राज्य पार्टियों के लिए खुली होगी जिन्होंने पांच राज्यों – उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा और पंजाब में हुआ चुनाव लड़ा था।
3. उन्हें ईवीएम की मदरबोर्ड बदलने और गड़बड़ी को बाद की तारीख में साबित करने के लिए उसे घर ले जाने की इजाजत नहीं होगी। आयोग ने कहा कि बदली हुई चिप के साथ ईवीएम चुनाव आयोग की ईवीएम नहीं होगी, बल्कि उस जैसी दिखेगी।
4. प्रतिभागियों (हर पार्टी से तीन सदस्य) को ईवीएम की पड़ताल की इजाजत होगी ताकि वे सर्किट, चिप और मदरबोर्ड की जांच कर सके, पांच राज्यों की विधानसभा सीटों से उनकी पंसद की चार ईवीएम उन्हें दी जाएंगी।
5. चुनौती के बारे में फैसला मुख्य रूप से आयोग की तकनीकी विशेषज्ञ समिति के सदस्य करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नियमों का पालन हो और मशीनें क्षतिग्रस्त ना हो।
6. चुनौती करीब 4-5दिन चलेगी, जो प्रतिभागियों की संख्या पर निर्भर है, इसके लिए आवेदन करने की आखिरी तारीख 26 मई है।
7. हर प्रतिभागी समूह को मशीन हैक करने के लिए चार घंटे का वक्त दिया जाएगा।
8. वर्ष 2009 की चुनौती का आयोजन विज्ञान भवन में हुआ था लेकिन इस बार इसका आयोजन स्थल निर्वाचन सदन होगा जो आयोग का मुख्यालय है।
9. जैदी ने कहा कि यह दो भागों में होगा। पहले भाग के तहत पार्टियों को यह साबित करना होगा कि किसी खास उम्मीदवार या पार्टी के पक्ष में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल की गई ईवीएम से छेड़छाड़ हुई थी और मशीन में दर्ज नतीजों में बदलाव कर ऐसा किया गया था।
10. वहीं, चुनौती के दूसरे भाग के तहत प्रतिभागियों को यह साबित करना होगा कि इन ईवीएम में मतदान के दिन या उस दिन के पहले गड़बड़ी की गई थी।

 

 

 

 
इसी वजह से ईवीएम पर चुनाव आयोग को ताल ठोकने वाले प्रमुख राजनीतिक दलों ने अब आयोग की चुनौती से दूरी बना ली। आम आदमी पार्टी, बसपा, कांग्रेस, सपा समेत कई विपक्षी दलों ने पहले ईवीएम पर सवाल खड़े किए थे, लेकिन शर्तों के साथ चुनौती मिलने पर अब पीछे हट गए।

इस मामले में सिर्फ शरद पवार की एनसीपी ने इस चुनौती को स्वीकार किया है। ईवीएम चैलेंज में भाग लेने के लिए नाम भेजने की अंतिम तारीख शुक्रवार थी। आयोग ने 3 जून को सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक ईवीएम में छेड़छाड़ साबित करने का कार्यक्रम तय किया है।

एनसीपी ने अपने तीन प्रतिनिधियों को ईवीएम चैलेंज में भाग लेने के लिए नामित किया है। पार्टी ने चुनाव आयोग के चैलेंज के लिए बनाए गए फ्रेमवर्क के तहत किसी खास ईवीएम को नहीं चुना है, बल्कि इसका फैसला चुनाव आयोग पर ही छोड़ दिया है।

चुनाव आयोग हाल में संपन्न पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल हुए ईवीएम को चैलेंज के लिए लाएगा। गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी और बसपा ने प्रमुखता से ईवीएम में छेड़छाड़ का आरोप लगाया था।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने तो इस मुद्दे पर विधानसभा का विशेष सत्र बुला लिया था और विधानसभा में ही मशीन को हैक करने का लाइव शो दिखाया गया। पार्टी ने शुक्रवार को ईवीएम चैलेंज के लिए तय किए गए आयोग के फ्रेमवर्क पर असहमति जताई। आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग की ईवीएम हैकिंग को लेकर बनायी रणनीति पर सवाल उठाये, वहीँ सपा, बसपा ने भी कहा कि अगर चुनाव आयोग इतना सच्चा ही है तो फिर शर्तें क्यों, चुनाव आयोग को पूरे देश के लोगों को खुली चुनौती देनी चाहिए उसे पूरे देश के लोगों का भरोसा जीतना चाहिए और विश्वास को कायम रखना चाहिए।
आप और कांग्रेस ने कहा कि चुनाव आयोग ईवीएम में बिना रोक-टोक के हैकाथन कराने से क्यों भाग रहा है। जबकि माकपा, भाकपा, भाजपा और रालोद ने चैलेंज को सिर्फ देखने में रुचि दिखाई है।
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ख़बर 24 एक्सप्रेस

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