
चैत्र कृष्ण पक्ष अमावस्या, जिसमें करें अपने पितरों की कृपा और उनकी मुक्तिदाई पूजा, जिसके बाद ही आपकी चैत्र नवरात्रि की देवी देव साधना पूजा फलित होगी, अन्यथा, पितरों को प्रसन्न या उनका बंधन खोले बगैर कोई भी देवी देव साधना पूजा सफल नहीं होती और न ही होगी, और खासकर अगर आपके घर के किसी पितृ की एक्सीडेंट या किसी बीमारी से मृत्यु अकाल हुई है,तो,अवश्य उसके लिए विशेष पूजा करनी या करानी चाहिए,जबतक कि,कम से कम आपके या उस पितृ के खास रिश्ते के व्यक्तियों या संतान या भाई बहिन को कोई उसकी मुक्ति संबंधित स्वप्न न दिखाई दे,तबतक आपकी देव पूजा सफल नहीं होती है,,स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहब जी… चैत्र कृष पक्ष अमावस्या,, कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082, शक संवत 1946 (क्रोधी संवत्सर), फाल्गुन।
अमावस्या तिथि 04:27 PM तक उपरांत प्रतिपदा।।
नक्षत्र उत्तरभाद्रपदा 07:26 PM तक।। उपरांत रेवती नक्षत्र।
ब्रह्म योग 10:03 PM तक,
उसके बाद इन्द्र योग।
करण नाग 04:27 PM तक। इसके बाद किस्तुघन 02:39 AM तक, बाद बव योग।।
29 मार्च दिन शनिवार को राहु 09:28 AM से 11:00 AM तक है।चन्द्रमा मीन राशि पर संचार करेगा।
चैत्र अमावस्या तिथि:- (Chaitra Amavasya 2025):-
अमावस्या तिथि आरंभ: 28 मार्च 2025, शुक्रवार, रात्रि 07:55 मिनट से,
अमावस्या तिथि समाप्त: 29 मार्च 2025, सायं 04:27 मिनट तक।
सनातन धर्म में उदयातिथि का विशेष महत्व है, इसलिए इस वर्ष 29 मार्च को चैत्र अमावस्या मनाई जाएगी।
यों,ये अमावस्या कहलाएगी,,शनिश्चरी अमावस्या,तो,इस दिन शनि मंदिर में विशेष पूजा,तेल दान,भंडारा,या देशी घी का हल्वा,चना बांटे।
ओर पितरों के मंत्रों से अपने घर या मंदिर में या किसी पवित्र नदी स्थान पर,या अपने गुरु आश्रम में यज्ञानुष्ठान करें या कराएं।
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