
जिंदगी में तेरी है हर खुशी
फिर क्यूँ इनसे है तू अजनबी
तू क्यों उदास है, तुझे किसकी आस है
ये जमीं ही क्या, आसमां भी तेरे साथ है
बता दे सबको, जता दे सबको
कर ले ख़ुद पर अब तू यकीं
जिंदगी में तेरी है हर खुशी
तो क्यूँ इनसे है तू अजनबी
जो खो गया उसे सोच मत
ग़मो को अपने अब खोज मत
बुला रही है तुझे मंजिले नयी
रास्तों में नहीं है अब उलझने कहीं
जिंदगी में तेरी है हर खुशी
तो क्यूँ इनसे है तू अजनबी
पहचान अपने उस तेज को
जगा दे हौसले के उस वेग को
बंद मुट्ठी अब खोल दे
हवाओं का रुख अब मोड़ दे
कर ले फैसला तू अब यही
निराश ना होगा तू फिर कभी
जिंदगी में तेरी है हर खुशी
तो क्यूँ इनसे है तू अजनबी
तो क्यूँ इनसे है तू अजनबी।
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Nice sirji