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बेहद ही घटिया, बेहद शर्मनाक, यानि जितनी निंदा की जाए वो भी कम….। लेकिन क्या करें आज हर कुछ निजीकरण के हवाले हो रहा है… और इसी निजीकरण की भेंट चढ़ गई 3 साल की मासूम खुशी।
डॉक्टर अपनी डिग्री लेते समय कसम खाते हैं कि वे अपने कर्तव्य का पालन करेंगे…।
मरीज और उसके परिवार के लिए डॉ भगवान से कम नहीं होते हैं…. लेकिन आज हाल बिल्कुल उल्टा है…. डॉक्टर का पेशा अब सिर्फ मोटा पैसा कमाने जरिया बन गया है…।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से जो मामला सामने आया है, उसे सुनकर आपकी रूह कांप जाएगी… हम सब खुद शर्मिंदगी महसूस करेंगे।
3 साल की मासूम खुशी के पेट में काफी दर्द हुआ जिसके बाद उसे यूनाइटेड मेडीसिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया… हॉस्पिटल ने बच्चे के ऑपरेशन में 5 लाख रुपये मांगे, लेकिन मजबूर गरीब परिवार अपनी जमीन बेचकर मात्र 2 लाख ही इक्क्ठा कर पाया…।
डॉक्टरों ने 2 लाख रुपये लेकर ऑपरेशन तो किया, लेकिन जब पूरे पैसे नहीं मिल पाए तो निर्दयी डॉक्टरों ने बिना टांका लगाए फटे पेट के साथ उसे निकाल दिया।
बच्ची का परिवार खुशी को लेकर सरकारी हॉस्पिटल गया लेकिन वहां भी मना कर दिय गयाा। इसके बाद मजबूर परिवार वापस यूनाइटेड हॉस्पिटल आया लेकिन गार्ड ने बच्ची के पिता को गेट से अंदर तक नहीं आये दिया और आखिरकार बच्ची के साथ वही हुआ जो अक्सर गरीबी के साथ होता है। मासूम खुशी असहनीय दर्द से तड़पती हुई इस दुनिया को अलविदा कह गयी।
प्रयागराज के पत्रकार अभिनव पांडे ने इस मामले को उजागर किया जिसके बाद प्रयागराज के जिलाधिकारी भानु चंद्र गोस्वामी ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं…।