इस दिवस के विषय मे अपनी ज्ञान और कविता के माध्यम से स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी कहते है कि,
सम्पूर्ण विश्व के आदिकाल से वर्तमान काल मे किसी भी सभ्य समाज के लिए न्याय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। सही ओर संतुलित न्याय समाज को अनेक बुराईयों और गैर-सामाजिक तत्वों की शोषित पकड़ से दूर रखने के साथ जनसाधारण के नैतिक और मानवाधिकारों की रक्षा भी करता है।जिससे समाज में फैली असमानता और भेदभाव से सामाजिक न्याय की आधिकारिक मांग और भी प्रबल होकर विस्तारित हो जाती है। सामाजिक न्याय के बारें में ये सुधारवादी कार्य और उस पर विचार तो प्राचीनकाल से ही प्रारम्भ हो गया था,जो आजतक सुचारू है।लेकिन दुर्भाग्य से अभी भी विश्व के कई देशों के अनगिनत लोगों के लिए सामाजिक न्याय एक मात्र सपना बना हुआ है,जिसका केवल एक उपाय है कि,सामाजिक न्याय को हमारी प्रारंभिक शिक्षा पद्धति के हर पाठ्यक्रम में सम्मलित किया जाना चाहिए ताकि हम जान ओर समझ सके कि क्या है हमारा मौलिक सामाजिक न्यायिक अधिकार और उसे उपयोग कर हर क्षेत्र में बढ़ते दलालों से बचकर पूरा लाभ पा सके।
आज भी हर समाज में फैली भेदभाव और असमानता के अमानवीय कारणों से कई बार हालात बद से बदतर हो जाते है कि मानवाधिकारों का हनन भी होने लगता है।इसी सभी तथ्यों को संज्ञान में रखकर संयुक्त राष्ट्र ने 20 फरवरी को विश्व सामाजिक न्याय दिवस के रुप में मनाने का निर्णय लिया है।सन 2009 से इस दिवस को पूरे विश्व में सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने वाले सभी विकासशील कार्यक्रमों द्वारा मनाया जाता है। हालांकि 20 फरवरी को विश्व सामाजिक न्याय दिवस के रुप में मनाने का फैसला 2009 में ही हो गया था पर इसका मूल क्रियान्वयन 2009 से प्रारम्भ किया गया था।
यदि हम अपने देश भारत के साक्षेप में चर्चा करें तो आज भी यहां सामान्य व्यक्ति अपनी अनेक सामान्य मूल जरुरतों के लिए न्याय प्रकिया को नहीं जानता है। जिसके आभाव में कई बार उसके मानवाधिकारों का हनन होता है और उसे अपने अधिकारों से वंचित रहना पड़ता है।आज भी हमारे भारत में हर क्षेत्र में गरीबी, महंगाई और आर्थिक असमानताये हद से ज्यादा ही है। यहां सामाजिक आर्थिक न्यायिक भेदभाव भी अपनी सीमा के चरम पर है।ऐसे में आज ये सामाजिक न्याय बहुत ही विचारणीय ओर क्रियान्वित विषय है।
यो इस दिवस पर स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से इस प्रकार कहते है कि,
विश्व सामाजिक न्याय दिवस पर ज्ञान कविता
क्या करें कैसे करें किससे करें
हम अपने न्याय पाने को फ़रियाद।
कौन बताये न्यायिक तरीका सच्चा
मिल जिससे हम हो सामाजिक आबाद।।
नहीं जानते आज सभी जन
क्या है हमारा मौलिक अधिकार।
हर जगहां हनन भेदभाव रख होता
मूल जरूरत नहीं मिल पाता मानवाधिकार।।
राज समाज मनो आर्थिक
ज्ञान विज्ञान चाहे सैन्यबल।
जन सामान्य कारज हो कोई
सभी जगहां है असामाजिक छल।।
सपना बना हुआ आज भी
जन जन पीड़ा बन कई देश।
गैर सामाजिक तत्व सक्रिय
खूनी पंजे जकड़ न्यायनिवेश।।
हम ओर हमारे अधिकार जो मौलिक
उनके बीच खड़े लोभी दलाल।
जो लूटते हमें अज्ञान जान हम
यही तो शोषण बन फैला जन काल।।
गरीबी मंहगाई ओर आर्थिक तंगी
जो तोड़े कमर हर समाज इकाई।
बढ़ती विकराल बनकर देश भर
देती कंटक बन आंखों अंशु दुखदायी।।
कृषि मंडी अधिकार दहन है
कृषि कृषक अधिकारों बीच।
अपनी महनत लाभ नहीं पाता
आजीवन खेत खून से सींच।।
ज़मीन जायजाद वैवाहिक कारज
धन पाने के आधिकारिक कर्ज।
नोकरी व्यापार अधिकार लाभ हम
किस न्यायिक ज्ञान पा पूरे हो फर्ज़।।
न्याय विधि शिक्षा पाठ्यक्रम हो
हमारी शिक्षा का सहज अंग।
ताकि सहज रूप से हर जन जाने
कर सके कोई मौलिक अधिकार हम ना भंग।।
इस अन्याय हटाने और मिटाने
आओ मनाये सामाजिक न्यायदिवस।
जाने बताये की कैसे मिलता है
सामाजिकाधिकार इस ज्ञान दिवस।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org