अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस 2020 International Mountain Day 2020 के दिवस पर स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से बताते हैं, कि क्या है इस दिन का इतिहास, महत्व और इसका विषय
सफेद बर्फ से ढके हिमालय से लेकर हरे-भरे पहाड़ों तक, हर पहाड़ अपने ही तरीके से विशेष है और जाने कितने प्रकार के विभिन्न पशु, पक्षियों का निवास है। संयुक्त राष्ट्र संघ की वेबसाइट के अनुसार, पृथ्वी पर पर्वत दुनिया की आबादी का 15% हिस्सा हैं और साथ ही संसार की आधे हिस्से का आकर्षण ओर विभिन्न प्रकार की संपदा से सम्पन्नता से भरे ओर उसे देते भी है। इस पर्वत दिवस का उद्देश्य पहाड़ों के संरक्षण और इसकी समृद्ध जैव विविधता के बारे में सभी राष्टों के जन समाज को इस ओर जागरुक करना है की लोग पर्वतों के महत्त्व को जाने और उन्हें किसी भी प्रकार की हानि नहीं पहुँचाये।उनका संरक्षण करें।यो इस दिन को सभी लोग हैप्पी इंटरनेशनल माउंटेन डे 2020 Happy International Mountain Day की शुभकामना देकर मनाये ओर मनाते भी हैं।इसी संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस 2020 International Mountain Day 2020 पर अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से बताते हैं, कि क्या है इन पर्वतों का हमारे जीवन मे महत्त्व
पर्वत दिवस पर ज्ञान कविता
धरती का उभरा सीना
जो घरे है सबको आगोश।
मैं हूँ तुम्हें समेट स्नेह में
गर्वित हुँ तुम संग जोश।।
यही स्नेही उभर धरा का
हर जगहां दिखे अंबर छूता।
गहराई में भी धरा उभरती
इन पर्वत बन स्नेही स्रोता।।
प्यार फूटता बन पर्वत पौधे
ओर रस भरता पर्वत जल।
वही प्रेम स्रोता बन झर गिरता
बढ़ बनता झरना नदी कलकल।।
तभी तो माँ धरती का हमको
मिलता अनेक रूप में प्यार।
कम ज्यादा हो कर जग दिखे
कहीं रेत की भूड़ा कहीं पठार।।
यही पहाड़ बन हमें नित देती
भरकर जीवन प्राणों का प्यार।
हमी ना समझे इस पर्वत रूपी
मां पृथ्वी का जीवन उपहार।।
रखती हमें सुरक्षित दे पर्वत
ढक बना हमें ऊर्ध्व रक्षक मण्डल।
सुबह इंद्रधनुषी मुस्कान से देती
मुस्काओ मुझ संग इस आभामण्डल।।
हमने अपनी निष्ठुर भाव से
दुत्कार दिये माँ पर्वत उपहार।
उजाड़ दिये स्नेही मंगल जंगल
नग्नता देती बदले पहाड़ी गार।।
मिटाते जा रहे पहाड़ी जंगल
उन संग भरे ओषधि पेड़।
जला आग हवस उत्खलन की
घोट गला कलकल झरने मेड़।।
उदासी दे दी बदले पर्वत
चमक बुझा दि बर्फीली वाद।
चढ़ चोटी गंदगी फैलाकर
बढा गर्मी करे पहाड़ बरबाद।।
आओ इस बात को समझे
ओर जीने दें जीकर इन संग।
पेड़ के बदले पेड़ लगाकर
जीला पहाड़ दें प्यार के रंग।।
दिवस मनाएं पर्वत का हम
जो बचे उन्हें हरित कर भर ।
भरने दो हिम स्नेही पर्वत सर
खिलने दो इन प्रेमचुम्बी धरा पर ।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
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