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12 दिसंबर अंतर्राष्ट्रीय निष्पक्षता दिवस इस दिवस पर इस विषय के ज्ञान सहित अपनी कविता के माध्यम से स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी कहते है कि,

12 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय निष्पक्षता दिवस मनाया जाता है। इस दिवस के मनाने के पीछे विश्व युद्ध और शान्ति के लिए एक आवश्यक नियम को अपनाया है कि,जो कहलाती है-निवारक कूटनीति जिसे निष्पक्षीय ओर तटस्थता नीति कहते है।इस निवारक कूटनीति के उपयोग को बढ़ावा देने का दिन, जो संयुक्त राष्ट्र का मुख्य उद्देश्य है। संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय संबंधों में तटस्थता के जनकल्याण से विश्वकल्याण के लाभ मूल्य के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित करता है।

इस दिवस की नीति का इतिहास:-

फरवरी 2017 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने अपने सामूहिक वैचारिक संकल्प द्वारा आधिकारिक रूप से तटस्थता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया था। इस दिन को पहली बार 12 दिसंबर 2017 को मनाया गया था।
इस दिवस यानी इस दिन का ये नियम को पालन करना ये दर्शाता है कि संयुक्त राष्ट्र के लिए सभी सदस्य देशों का स्वतंत्र रूप से और प्रभावी रूप से संचालन करने के लिए विश्वास और सहयोग हासिल करने के लिए निष्पक्षता का व्यापक विश्व शांति ओर उन्नति को बहुत महत्वपूर्ण नियम पक्ष है।
तटस्थ देश का अर्थ व उपयोग क्या है:-
कोई भी संप्रभु राज्य यानी सम्पन्न शक्तिशाली उन्नतिशील राज्य या देश जो अन्य राज्यों या देशों के बीच युद्ध में सभी की भागीदारी से रोकता है और जो अपने विकास विस्तार को युद्ध चाहते है।उन जुझारू लोगों के प्रति निष्पक्षता का रवैया रखता है,वो इनके साथ अपने को शामिल नहीं करता है। उसे तटस्थ देश कहा जाता है। हमे भी अपने परिवार समाज प्रान्त देश और विदेश तक को अपने लिए, अपनी ओर इस नीति आदत को अपनाए हुए जुझारू लोगों को इस संयम और निष्पक्षता को पहचानना चाहिए।तभी घर परिवार समाज और देश मे शांति और उन्नति सम्भव होती है,इसी विषय के अनेक पक्षो को दर्शाती स्वामी सत्येंद्र जी की ये कविता इस प्रकार से है कि,

अंतर्राष्टीय निष्पक्षता दिवस 12 दिसंबर पर ज्ञान कविता

आज तटस्थता दिवस है दुनियां
जिसे मना रहा जन संयुक्त राष्ट्र।
निष्पक्षता निवारक यहां मूल मंत्र है
कूटनीति संयम उपयोग सर्व राष्ट्र।।
इस नीति से अन्य राज्य विभाजन
युद्ध में भागेदारी को है रोक।
साथ जुझारू युद्ध विजय के इच्छुक
उन राष्टों से निष्पक्षता रख टोक।।
युद्ध कर रहे दो राज्य राष्ट्र के
मध्य ओर राष्ट्र ने ले भागेदारी।
यदि युद्ध विराम नहीं करा सकते
तो युद्ध और बढा ना लें जिम्मेदारी।।
खुद भी उसमें भाग न लेकर
ओर राष्टों को भी दें सीख।
कुछ न बने तो निष्पक्ष तटस्थता
रख बने शांति दूत युद्ध लीक।।
इसी विश्व नीति को रखकर
बनाया शान्ति को ये गठन।
राष्ट्र भी हम जन जन से बना है
हम कर्तव्य है ये सीख रटन।।
आओ हम भी बने सहभागी
इस विश्व नीति को अपनाएं।
घर या समाज प्रान्त देश हो
इस निष्पक्ष तटस्थता स्वभाव बढ़ाएं।।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
Www.satyssmeemission.org

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