इस विषय पर कविता के माध्यम से कह रहे है ,स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी,,,
आज कोरोना के विश्वव्यापी महामारी के समय मे तो ये सर्वनियम बन गया है-
!!स्वच्छ हाथ-जीवन का साथ!!
ओर वैसे भी सभी प्रकार की बीमारियों के संक्रमण से बचने का सबसे अच्छा तरीका सफाई का पहला चरण खाने से पहले और शौच के बाद हाथ धोना होता है। इसी उद्देश्य को लेकर 15 अक्टूबर को विश्व हाथ धुलाई दिवस मनाया जाता है। इस दिवस के अवसर पर देश विदेश के बड़े छोटे शहर कस्बों सहित सभी स्कूलों में विद्यार्थियों को हाथ धोने के सही तरीकों के बारे में बताया जाता है।
हाथ हमारे कर्म स्वरूप
सभी कार्यो को करते दक्ष।
हाथ उपयोग खाने को होते
यही करते जीवन रक्ष ओर भक्ष्य।।
इन्हें साफ सदा ही रखना
कीटाणु जीवाणु यहीं पले।
स्वच्छ हाथ जीवन के दाता
गंदे हाथ बीमारी गले घले।।
नाखून कभी नहीं बढ़ाये
इनमें गंदगी पलती है।
वही गंदगी बन कीटाणु
हम जीवन को छलती है।।
जब भी कोई काम करो
या शौच सफाई कर्म करो।
तब धौवों हाथ साबुन मलकर
भोजन उपरांत हाथ साफ करो।।
हाथ मिलना हानिकारक
नमस्कार सुरक्षित है मुद्रा।
यही सनातन ज्ञान मिला हमें
जिसे अपना स्वास्थ सदा सुधरा।।
नीम के पत्ते डालकर जल में
ओर उबाल जल रख लो।
उससे हाथ धोना है सुरक्षित
यह सहज नियम नित्य अपना लो।।
स्वच्छ हाथ जीवन का साथ
गंदे हाथ जीवन दें घात।
साफ हाथ सफल जीवन है
यो अपना हाथ ही जगन्नाथ।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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