वीरासन-Virasana- Hero Pose के दो अभ्यास कैसे करें और क्या लाभ देता है, पैरों ओर कमर के रोगों में:-
1-पहली वीरासन की सही विधि:-
अपने चल रहे स्वर की साइड के पैर को को सामने की ओर बढ़ाये ओर अर्द्धबेठक मुद्रा में रुके ओर उसी साइड का हाथ की मुट्ठी भींचकर उसी पैर के ओर सामने की ओर ताने ओर सारे शरीर को पूरी तरहां टाइट करें ओर पिछले पैर को अपने पीछे की ओर बिलकुल सीधा रखने की कोशिश करे और इस अवस्था मे 5 या 10 बार गहरे सांस लेते और धीरे से छोड़ते रहे।
फिर वापस सीधे होकर दूसरे पैर व हाथ से ठीक यही मुद्रा करें।
बस दोनों को एक एक बार ही करें और आगे चलकर इसी मुद्राओं में रुकने का समय बढ़ाये।
2-दूसरी वीरासन मुद्रा की सही विधि:-
जमीन पर बैठ जाये और बैठने की दोनों पैरों की मुद्रा को ऊपर की ओर घुटने तक बैठने की अवस्था तक ज्यों की त्यों ही रखे,जैसा चित्र में दिखाया है,अब अपने घुटनों पर सीधे ऊपर को धड़ को सीधे रखते खड़े हो जाये,नीचे के भाग में जांघों में थोड़ा फासला रखे और अपने दोनों हाथों को नमस्कार की मुद्रा में मिलाते हुए परस्पर खूब बल लगाते हुए टाइट रखे,यही आसन मुद्रा में अपने एक एक हाथों को आगे और बगल की साइड में ही रखते हुए मुट्ठी भींचगकर खूब बल लगाते हुए टाइट रखे और 5 से 10 बार गहरी सांस लेते हुए धीरे से छोड़ते रहें।ओर फिर वापस सहजासन में बैठ जाएं।इस आसन को दोनों नमस्कार मुद्रा में केवल दो बार ही करें और आगे चलकर समय बढ़ाएं तभी सम्पूर्ण स्ट्रेंथ ओर स्टेमिना ओर एनर्जी का भरपूर बढ़ोतरी के साथ लाभ मिलेगा।बार बार नहीं करें।
वीरासन से क्या लाभ है जाने:-
वीरासन से टांगों में रक्त संचार बढ़ जाता है और जांघों, घुटनों के कम्पन्न मिटकर बड़ा बल और स्ट्रेंथ की शक्ति मिलती है।
वीरासन अपने सामने की ओर किये गए हाथ के अंगूठे को उर की ओर खड़े रखने पर उस पर अपनी दृष्टि एकाग्र करते रहने से मन की एकाग्रता बढ़ती है।
इसलिए इसका अभ्यास सुबह के समय ही किया जाना चाहिए। इसे करते समय ये आवश्यक नहीं कि आपका पेट खाली हो। कुछ खाकर भी ये अभ्यास कर सकते है।वीरासन,हठ योग आसन की श्रेणी का उत्तम आसन है।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
महायोगी स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
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