
संसार का सबसे पहला व्रत है-पूर्णमासी का व्रत,ओर सभी व्रत इस महाव्रत के बाद ही शाखा के रूप में निकले है।
यदि कोई भी भक्त हो,जो व्रत रखने का इच्छुक है,
वो,पूर्णिमा के व्रत को कोई भी हो,चाहे,अविवाहित कन्या या विवाहित या विधुर स्त्री हो या लड़का या पुरुष या वर्द्ध हो,सभी व्रत को रख सकते है।
व्रत का अर्थ है-एक पवित्र उद्धेश्य को रख कर जप तप दान करना।
जैसे कि,आज मेरा ये व्रत है यानी संकल्प है कि,मैं झूँठ नहीं बोलूंगा या बोलूंगी।
आज मैं अपने सभी पापों के लिए प्रायश्चित रूप में इतने हजार जप करूँगा या करूंगी।
आज मैं किसी का मन नही दुखाऊंगा,या दुखाउंगी।
आज मैं अपनी सामर्थ्यानुसार इतना दान करूँगा या करूंगी।
आज मैं इतना भोजन बनाकर भूखों को यानी मनुष्य,जीव जंतु पक्षी आदि को खिलाऊंगा या खिलाऊंगी।
ऐसे ही अनेको प्रकार के सत्यव्रत है,ये सब बातें सभी प्रकार के व्रतों के लिए अनिवार्य है।
ये नहीं कि,आज व्रत के नाम पर ब्लडप्रेशर अपना ओर दूसरे का बढ़ाएंगे।
व्रत चरत यानी खूब तरहां तरहां का अन्य खाना नहीं है।
ऐसे व्रती को कोई भी लाभ नहीं मिलता ओर नहीं मिलेगा।
आज 1-9-2020 की पूर्णिमा का व्रत कल मंगलवार 2-9-2020 चतुर्दशी 9 बजे 40 प्रातः से परसो बुधवार लगभग 9 बजे 40 तक है।
यानी कल दोपहर से परसो दोपहर तक पूर्णिमा पूजा व्रत व दीप व खीर बनाकर बांटे या कहीं दान करें।☕😃🙌
सद्गुरु स्वामी सत्येंद्र जी महाराज