एक मीडिया रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि चित्रकूट में ग़रीब आदिवासी परिवारों की 12 से 14 साल की बच्चियों से अवैध खदानों में मज़दूरी के एवज़ में जिस्मफ़रोशी कराई जा रही है. लेकिन जिला प्रशासन ने इन आरोपों को ख़ारिज किया है. और इसलिए अब राष्ट्रीय बाल आयोग ने इसकी रिपोर्ट मांगी है।
उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में गरीब आदिवासी परिवारों की बच्चियों से अवैध खदानों में मजदूरी के एवज में उनसे जिस्मफरोशी कराए जाने का मामला सामने आया है.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, चित्रकूट में 12 से 14 साल की बच्चियां अवैध खदानों में काम करने को मजबूर हैं लेकिन इन खदानों के ठेकेदार और बिचौलिए 150 से 200 रुपये में इन बच्चियों से जिस्मफरोशी कराते हैं.

खदानों में बच्चियों से काम करने के बावजूद इन्हें दिहाड़ी नहीं दी जाती, इसके लिए इन बच्चियों से जिस्मफरोशी कराई जाती है. 12 से 14 साल की इन बच्चियों से कथित तौर पर 200 से 300 रुपये में जिस्मफरोशी कराई जा रही है.
चित्रकूट के कार्वी गांव की एक पीड़ित बच्ची बताती है कि जब वे इन खदानों में काम मांगने जाती हैं तो ठेकेदार (कॉन्ट्रैक्टर) जिस्मफरोशी की शर्त पर इन्हें काम देने को कहते हैं.
हालांकि, चित्रकूट के जिला मजिस्ट्रेट शेषमणि पांडे ने इस खबर पर ही सवाल उठाए हैं.
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘आज तक की रिपोर्ट के विषय में रात में ही कप्तान साहब के साथ और आयुक्त महोदय एवं डीआईजी की उपस्थिति में पूरे प्रकरण पर संबंधित बच्चियों, उनके परिवार और अन्य लोगों से बात की गई. उन सभी ने ऐसी किसी भी घटना से इनकार कर दिया है.’
एनसीपीसीआर ने जिला प्रशासन से रिपोर्ट तलब की
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में नाबालिग लड़कियों के कथित यौन शोषण के मामले में गुरुवार को जिला प्रशासन से रिपोर्ट तलब की है.
इसके साथ ही आयोग ने प्रशासन को इस मामले में जल्द से जल्द एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है.
. जिले की अन्य खदानों में भी बाल अधिकार उलंघन के संभावित खतरे को देखते हुए आयोग ने जिला प्रशासन को जिले की सभी खदानों की भी जांच कर आयोग को सात दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा है.’
एनसीपीसीआर ने उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग को पत्र लिखकर निरीक्षण के लिए टीम भेजने का आग्रह किया गया था, जिसके बाद राज्य आयोग द्वारा तीन सदस्यीय टीम गठित की गई है.