
जीवन विकास के लिए भारतीय संस्कृति में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका मानी गई है। गुरु की सन्निधि, प्रवचन, आशीर्वाद और अनुग्रह, जिसे भी भाग्य से मिल जाए उसका तो जीवन कृतार्थता से भर उठता है। क्योंकि गुरु बिना न आत्म-दर्शन होता और न परमात्म-दर्शन। इन्हीं की प्रेरणा से आत्मा चैतन्यमय बनती है। गुरु भवसागर पार पाने में नाविक का दायित्व निभाते हैं। वे हितचिंतक, मार्गदर्शक, विकास प्रेरक एवं विघ्नविनाशक होते हैं। उनका जीवन शिष्य के लिये आदर्श बनता है। उनकी सीख जीवन का उद्देश्य बनती है। अनुभवी आचार्यों ने भी गुरु की महत्ता का प्रतिपादन करते हुए लिखा है- गुरु यानी वह अर्हता जो अंधकार में दीप, समुद्र में द्वीप, मरुस्थल में वृक्ष और हिमखण्डों के बीच अग्नि की उपमा को सार्थकता प्रदान कर सके।
हम आज एक ऐसे ही गुरु की बात करने जा रहे हैं जो हमेशा अपने शिष्यों को सद्मार्ग पर चलने की सीख देते हैं।
हम बात कर रहे है। सद्गुरु स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज की।
सद्गुरु स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज अपने शिष्यों, भक्तों के लिए ईश्वर से कम नहीं हैं। वे अपने परम ज्ञान के माध्यम से अपने भक्तों का मार्गदर्शन करते हैं। तथा अपनी अनंत शक्तियों से उनको हर मुसीबतों से निकालते हैं। सद्गुरु स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज वास्तम में एक सच्चे सदगुरु हैं।
तो आइए जानते हैं सद्गुरु स्वामी स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज के बारे में….
सद्गुरु स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज यूपी के बुलन्दशहर के रहने वाले हैं, साधारण किसान परिवार में जन्में स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज बाल रूप से ही ज्ञान की खोज में व्यस्त हो गए। इसीलिए गुरु जी ब्रह्मचारी हैं। ब्रह्मचर्य का पालन करने हुए स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज ने कई वर्षों तक तपस्या की।
स्वामी जी आज सद्गुरु की भूमिका में हैं, वे अपने भक्तों को अंनत ज्ञान देते हैं। सद्मार्ग पर चलने की सीख देते हैं।
स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज की बाल रूप में तपस्या उन्हें कई शक्तियां दे गई। वे अपने भक्तों के दुखों को पहले ही महसूस कर लेते हैं और उनके निवारण कर लिए अपने भक्तों को अपने पास बुला लेते हैं।
स्वामी जे ने कई बार अपने भक्तों के कष्ट अपने ऊपर लिया है।
कोमल ह्रदय स्वामी सत्येंद्र जी महाराज के आज देशभर में लाखों अनुयायी हैं। स्वामी जी के चरित्र पर कभी दाग नहीं लगा। वे विवादों से हमेशा दूर रहते हैं।
स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज ने सत्यास्मि धर्म ग्रन्थ भी लिखा है। जिसमें जीवन की सभी कलाएं हैं। जिसने भी यह धर्म ग्रन्थ पढ़ा मानों वो भवसागर को पार कर गया।
स्वामी जी ने बुलंदशहर के कचहरी रोड पर एक सत्य श्री शानिपीठ मंदिर का निर्माण भी कराया है, इस मंदिर की भी बड़ी महिमा है।
स्वामी जी का आश्रम साथ ॐ सिद्धाश्रम भी शनि मंदिर के पास है। इसके अलावा स्वामी जी ने महिलाओं के उत्थान व स्त्री शक्ति के लिए सत्यास्मि मिशन बनाया हुआ है।
स्वामी जी के शिष्य, भक्त उन्हें साक्षात ईश्वर का रूप मानते हैं।
तो ऐसे स्वामी जो को हम नमन करते हैं और उनके श्री चरणों में बारंबार प्रणाम करते हैं।
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