जब अच्छे पढ़े लिखे लोगों को पीएम मोदी खुद पकौड़े तलने वाला रोजगार बता दें और उन्हें नौकरी की जगह पकौड़ी तलने की सलाह दें तो ऐसे में भारत का क्या होगा? हम राम भरोसे भी नहीं कह सकते हैं क्योंकि भारत में श्री राम खुद सरकार के भरोसे पर अयोध्या में अपने मंदिर बनने का इंतजार कर रहे हैं।
खैर हम यहां राम मंदिर के जुमले की बात तो नहीं कर रहे हैं हम बात कर रहे हैं भारत में रोजगार की। भारत में बेरोजगारी ने अपने रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। भारत में बेरोजगारी अपने पिछले 45 वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। नेशनल सैंपल सर्वे कार्यालय (एनएसएसओ) द्वारा किए गए एक सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है। इससे केंद्र सरकार की परेशानी बढ़ सकती है।
बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी खबर के मुताबिक जुलाई 2017 से जून 2018 तक बेरोजगारी की सीमा 6.1 फीसदी पहुंच गई, जो 1972-73 के बाद सबसे ज्यादा है। इसी डाटा को जारी न करने के फैसले के कारण ही राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के दो सदस्यों ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा देने वाले पीसी मोहनन और जेवी मीनाक्षी का कार्यकाल जून 2020 में पूरा होना था। इस्तीफा देते वक्त उन्होंने सरकार पर आरोप लगाए थे कि सरकार रोजगार के आंकड़े जबरन गलत छपवाती है। और बेरोजगारी के आंकड़ों को छिपाती है उन्हें ना बताने का जोर डालती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारों की संख्या 7.8 फीसदी रही, वहीं ग्रामीण इलाकों में यह 5.3 फीसदी रही। रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी के चलते नई नौकरियों की संख्या में काफी गिरावट आ गई थी, जो अभी तक नहीं संभली है। एक तरफ जहां जीडीपी की रफ्तार 7 फीसदी से ज्यादा है, वहीं बेरोजगारी के आंकड़े सरकार को परेशानी में डाल सकते हैं।
पीएम मोदी ने लोकसभा चुनावों में गरज बरस कर कहा था कि वे देशवासियों को उनकी सरकार बनते ही 5 सालों में 6 करोड़ रोजगार देंगे।
6 करोड़ तो छोड़िए पिछले एक साल में नौकरियां मिलने की संख्या 1.1 करोड़ कम हुई है। यानि देश के युवाओं के हाथ में नौकरी नहीं है। वे बेरोजगार हैं और सरकार उन्हें पकौड़े तलने की सलाह देती हैं।
अब जब पेट है भरना ही है तो पकौड़ियाँ ही सही, अगर पकौड़ियाँ तलने व रिक्शा चलाने को सरकार रोजगार बता सकती है तो ऐसे में सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि पकौड़ी तलने वाले युवाओं और रिक्शा चलाने वालों को कोई समस्या न हो। क्योंकि सरकार के ही विभाग इन लोगों को परेशान करते हैं।
मनीष कुमार “अंकुर”
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