Breaking News
BigRoz Big Roz
Home / Breaking News / तारीख पर तारीख : और इस तरह फिर से टल गई राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई

तारीख पर तारीख : और इस तरह फिर से टल गई राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई

आज सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई हुई। लेकिन महज 60 सेकेंड यानि एक मिनट में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए सुनवाई को 10 जनवरी तक के लिए टाल दिया है।


बता दें कि मालिकाना हक़ का ये मामला देश की अदालतों में 1949 से ही चला आ रहा है। और अभी तक कोई हल नहीं निकला है।

राम जन्म भूमि, मंदिर व मस्जिद का यह विवाद भारत में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। यहां तक कि अयोध्या में छह दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद गिरा दी थी। इसके बाद पूरे देश में कौमी दंगों ने गृहयुद्ध जैसा माहौल पैदा कर दिया था।

कई वर्षों से चले आ रहे इस विवाद का अंत होता दिखाई नहीं दे रहा है।

आज फिर राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद को लेकर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हुई। यह मामला मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच के सामने सूचीबद्ध था। लेकिन कोर्ट ने महज़ 60 सेकेंड में अपना फैसला सुना दिया क्योंकि दोनों तरफ से कोई तर्क नहीं दिया गया। जिसके बाद अदालत ने 10 जनवरी तक के लिए सुनवाई टाल दी।

10 जनवरी को यह मामला एक बार फिर दो जजो की बेंच के पास जाएगा। जो इसे तीन जजों की बेंच को हस्तांतरित कर देंगे। फिलहाल तीन जजों की बेंच का गठन होना बाकी है। 10 तारीख को ही फैसला होगा कि वह तीन जज कौन होंगे जो इसकी सुनवाई करेंगे। इसी दिन यह फैसला होगा कि मामले पर नियमित सुनवाई होगी या नहीं।

वहीं अदालत ने आज राम मंदिर को लेकर दायर की गई एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया। याचिका को वकील हरीनाथ राम ने नवंबर 2018 को दायर किया था। जिसमें उन्होंने इस मामले की सुनवाई को तुरंत और नियमित तौर पर करने के लिए कहा था।

इससे पहले अदालत ने पिछले साल 29 अक्टूबर को कहा था कि यह मामला जनवरी के प्रथम सप्ताह में उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध होगा जो इसकी सुनवाई का कार्यक्रम निर्धारित करेगी। बाद में अखिल भारत हिन्दू महासभा ने एक अर्जी दायर कर सुनवाई की तारीख पहले करने का अनुरोध किया था परंतु न्यायालय ने ऐसा करने से इंकार कर दिया था। न्यायालय ने कहा था कि 29 अक्टूबर को ही इस मामले की सुनवाई के बारे में आदेश पारित किया जा चुका है। हिन्दू महासभा इस मामले में मूल वादकारियों में से एक एम सिद्दीक के वारिसों द्वारा दायर अपील में एक प्रतिवादी है।

बता दें कि 27 सितंबर, 2018 को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 2:1 के बहुमत से 1994 के एक फैसले में की गयी टिप्पणी पांच न्यायाधीशों की पीठ के पास नये सिरे से विचार के लिये भेजने से इंकार कर दिया था। इस फैसले में टिप्पणी की गयी थी कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है। अयोध्या प्रकरण की सुनवाई के दौरान एक अपीलकर्ता के वकील ने 1994 के फैसले में की गयी इस टिप्पणी के मुद्दे को उठाया था।

सुनवाई से पहले मामले पर सियासत तेज हो गई थी। विहिप सहित कई हिंदू संगठन राम मंदिर का निर्माण करने के लिए अध्यादेश लाने की मांग कर रहे हैं। राजग के सहयोगी शिवसेना ने कहा, अगर 2019 चुनाव से पहले मंदिर नहीं बनता तो लोगों से धोखा होगा। इसके लिए भाजपा और संघ को माफी मांगनी पड़ेगी। वहीं, केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने अध्यादेश लाने का विरोध करते हुए कहा कि इस मामले में सभी पक्षों को सुप्रीम कोर्ट का ही आदेश मानना चाहिए।

Follow us :

Check Also

बलसाड ते दानापुर आणि वापी ते गया दरम्यान कुंभमेळा साठी रेल्वे विशेष गाड्या चालवणार

प्रयागराज येथे दि. १३ जानेवारी २०२५ ते २६ फेब्रुवारी २०२५ या कालावधीत होणाऱ्या कुंभमेळा २०२५ …

Leave a Reply

error

Enjoy khabar 24 Express? Please spread the word :)

RSS
Follow by Email
YouTube
YouTube
Set Youtube Channel ID
Pinterest
Pinterest
fb-share-icon
LinkedIn
LinkedIn
Share
Instagram
Telegram
WhatsApp