गोरखपुर के ये योगी विश्व में योग का पहला ब्रांड अंबेसडर बने थे..
योग और उसके क्रिया योग विधि को विश्व भर में पहुंचाने वाले है परमहंस योगानंद..और इनकी लिखी जीवनी योगी विश्व प्रसिद्ध योग पुस्तक है और भारतीय योग के ये पहले ब्रांड अंबेसडर रहें- इनके जीवन के विषय में संछिप्त में उनके जन्मदिन 5 जनवरी को क्रिया योग दिवस का नाम देते स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी बता रहें है की-
1- 5 जनवरी 1893 को गोरखपुर उत्तर प्रदेश में पैदा हुए,इनके बचपन का नाम मुकुंद नाथ घोष था।
2- ये बचपन से साधु संगत के थे।और अपने घर से गुरु की खोज में निकल गए।बचपन से युवावस्था तक इन पर सबसे ज्यादा प्रभाव रहा था-श्री रामकृष्ण परमहंस के शिष्य मास्टर महाशय का जिन्होंने इन्हें अनेक बार शक्तिपात करके अनेक आध्यात्मिक जगत के अलौकिक अनुभूति करायी।ये उन्हें ही गुरु बनाना चाहते थे।पर उन्होंने इन्हें इनके भविष्य गुरु की और इशारा किया और तब ये 1910 में इनकी भेंट हुई प्रसिद्ध योगी श्यामाचरण लाहड़ी जी के शिष्य स्वामी युक्तेश्वर गिरि से,इन्ही से इनकी आध्यात्मिक यात्रा का प्रारम्भ हुआ। कुछ दिन बाद गुरु ने बताया कि भगवान ने तुम्हें इस विश्व में विशेष काम के लिए पृथ्वी पर भेजा है।इनके कारण ही इनके दादा गुरु श्यामाचरण लाहड़ी जी के गुरुदेव महावतार बाबाजी भी लोकख्याति को प्राप्त हुए।
3- इन्होंने 1915 में स्कॉटिश चर्च कॉलेज से इंटर पास किया फिर सीरमपुर कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। उसके बाद अपने गुरु के पास वापस आ गए और फिर उनसे इन्होंने क्रियायोग और शक्तिपात से समाधि योग की प्राप्ति की।
4- इन्होंने सन् 1917, दिहिका पश्चिम बंगाल में एक योग स्कूल खोला।जहाँ मॉडर्न एजूकेशन के साथ योग और मेडिटेशन की पढ़ाई होती थी। अगले एक साल बाद ये स्कूल रांची में स्थानांतरित हो गया।
5- सन्1920 में ये अमेरिका गए और वहां बोस्टन में एक धार्मिक सत्संग सभा में भारतीय धार्मिक योग गुरु के रूप में अपना योग प्रवचन दिया।और उसी काल में वहां एक क्रिया योग की संस्था शुरू की,जिसका नाम सेल्फ रियलाइजेशन फेलोशिप रखा। जिसमें क्रिया योग की शिक्षा दीक्षा चुनिंदा लोगो को दी जाती थी और है।
6-इनके योग शिविरों के माध्यम से अनेक प्रसिद्ध लोग शिष्य बने, जिनमें प्रसिद्ध मार्क ट्वेन की बेटी क्लारा क्लिमेंस भी शिष्य थी।
7- योगानंद परमहंस पहले योगी प्रचारक थे, जिन्होंने भारतीय योग का झंडा यूरोप में बुलंद किया।सन् 1920 से 1952 तक अमेरिका में ये क्रिया योग के प्रचारक रहे।
8- सन 1935 में ये भारत आये और अपने सेल्फ योग इंस्टीट्यूट जिसका नाम यश yas है,उसको आगे बढ़ाया।ये इस बीच महात्मा गांधी से भी उनके आश्रम में जाकर मिले।गांघी जी ने इनके योग कार्य की बड़ी प्रसंशा की।उसी काल में उनके गुरु श्री युक्तेश्वरनन्द जी ने उनको परमहंस की उपाधि दी थी।
9-लगभग एक साल भारत में घूम घूम कर अनेक प्रसिद्ध योगी सन्तों से ये मिले और उनसे अपना उद्धेश्य व्यक्त किया।फिर ये अमेरिका लोट गए।और आगे चार साल यही रहते हुए इन्होंने अपने जीवन में मिले योगियों और उनके अपने ऊपर प्रभाव आदि को संकलित करते हुए अपनी जीवनी लिखी- ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी,जो बड़ी प्रसिद्ध है।
10-7 मार्च 1952 की शाम को इनके साथ अमेरिका में भारत के राजदूत बिनय रंजन सपत्नीक लॉस एंजिल्स के होटल में खाने पर थे।इसके बाद स्वामी जी का योग प्रवचन हुआ।जिसमें इन्होंने दुनिया की एकता पर अपनी कविता कही जिनमें अपने देश भारत की महिमा गान थी।और तभी इन्हें आंतरिक योगिक क्रिया हुयी और ये महासमाधि को प्राप्त हुए।
एक महान योगी को उनके जन्मदिवस पर सत्यास्मि मिशन की और श्रद्धा नमन एक कविता स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी की और से जनसंदेश देती अर्पित है..
योगानंद परमहंस जन्मदिवस
[5 जनवरी-क्रिया योग दिवस]
सनातन योग श्रंखला में
क्रिया योग अवतरण हुआ पहाड़ी।
महा अवतार बाबा जी से दीक्षित
योगावतार श्यामाचरण लाहड़ी।।
इस योगावतार शिष्य परम्परा में
युक्तेश्वरनन्द बने ज्ञानावतार।
क्रिया योग चरम लक्ष्य पहुँचाया
यही योगी हैं योगानंद प्रेमावतार।।
देश विदेश धरातल सारा
क्रिया योग परचम लहराया।
आत्म मुक्ति का सरल रहस्य दे
क्रिया योग जन जन समझाया।।
क्रिया योग सिद्धांत पँच मुद्रा
महामुद्रा मनो प्राणायाम पद्धमासन।
तालव्य संग भृकुटि है त्राटक
आत्मसाक्षात्कार योग सिंहासन।।
आओ क्रिया योग करें सब
शीघ्र पाये आत्म लक्ष्य समाधि।
चरित्र-समाज सभी लक्ष्य मिलेगा
जन जन सत्य प्रेम शांति हो अनादि।।
श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येंद्र जी महाराज
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
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