“भारत सरकार के न्यौते पर एक आतंकवादी की भारत यात्रा”
एक खालिस्तानी आतंकवादी भारत पहुंच जाता है। वही खालिस्तानी आतंकवादी जिनकी मदद पाकिस्तान करता है। पाकिस्तान के आतंकवादी खालिस्तानी आतंकवादियों के साथ भारत में हमले करते हैं, योजना बनाते हैं। और उन्हीं आतंकवादियों में से एक आतंकी वाकायदा भारतीय सरकार के न्यौते पर देश मे आ जाता है। इतना ही नहीं, वह भारतीय सरकार की मेहमाननवाजी के मजे लेता है और भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को धता बता देता है।
हम बात कर रहे हैं एक केंद्रीय मंत्री पर जानलेवा हमले के आरोपी खालिस्तानी आतंकी जसपाल अटवाल की जो बिना किसी समस्या के भारत पहुंच जाता है वो भी भारतीय सरकार के बुलावे पर।
अब इससे विदेश मंत्रालय के साथ-साथ खुफिया एजेंसियों ने सवालों के घेरे में है। दरअसल अटवाल न सिर्फ भारत पहुंचा, बल्कि उसने यहां आए कनाडा के पीएम से मुलाकात करने और उनकी पत्नी के साथ डिनर करने में भी सफलता हासिल की।
दरअसल कनाडा के पीएम भारत यात्रा पर आए हुए हैं और उनकी तरफ से रात्रि भोज के लिए एक लिस्ट सौंपी गई जिसमें आतंकी अटवाल का नाम भी था। लेकिन भारतीय सरकार ने उनकी बिना जांचे निमंत्रण दे दिया और अटवाल बिना किसी रुकावट के भारत आ पहुंचा।
अटवाल एक घोषित आतंकवादी है। उस पर भारत में हमले की योजना बनाने का भी आरोप है। अटवाल पर 1986 में वैंकूवर आइलैंड पर भारतीय कैबिनेट मंत्री मलकीयत सिंह सिंधू की हत्या का प्रयास करने का आरोप है। उस समय अटवाल कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन और भारत में एक आतंकी समूह के तौर पर बैन किए गए इंटरनैशनल सिख यूथ फेडरेशन का सदस्य है। इसके अलावा अटवाल को 1985 में एक ऑटोमोबाइल फ्रॉड केस में भी दोषी पाया गया था।
इंटरनैशनल सिख यूथ फेडरेशन को कनाडा सरकार ने 1980 में एक आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया था। अटवाल उन चार लोगों में से एक था जिसने 1986 में वैंकूवर में सिंधू की कार पर गोलियां चलाईं थीं। अटवाल ने सिंधू पर हुए हमले में अपनी भूमिका होने की बात स्वीकार की थी।
अब इस मामले में हुई बड़ी चूक के बाद विदेश मंत्रालय और खुफिया एजेंसियां अटवाल की सहज भारत यात्रा की जांच में जुटा है। विदेश मंत्रालय सबसे पहले तो यह पता कर रहा है कि क्या उसे कनाडा स्थित भारतीय उच्चायोग से वीजा हासिल करने में सफलता मिली। अगर ऐसा हुआ है तो इस मामले से जुड़े लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई तय है।
दूसरी ओर खुफिया एजेंसिया अटवाल के भारत में होने के अलावा कनाडा के पीएम से संपर्क साधने में सफल रहने के कारणों का पता लगा रही है। सूत्र मानते हैं कि अगर अटवाल की कनाडा के पीएम के साथ डिनर का फोटो सार्वजनिक नहीं होता तो वह निश्चित रूप से उस भोज में भी शामिल होने में कामयाब हो जाते जिसका आयोजन कनाडा के उच्चायोग ने अपने पीएम के सम्मान में बुलाया था।
हालांकि इस बारे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रविश कुमार ने कहा कि फिलहाल इसकी जानकारी नहीं है कि अटवाल ने भारत आने के लिए कौन सा तरीका अपनाया। कनाडा स्थित भारतीय उच्चायोग इसकी जांच कर रहा है। यह भी हो सकता है कि अटवाल ने ईवीजा या ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (ओसीआई) कार्ड का सहारा लिया हो। फिलहाल सही जानकारी छानबीन के बाद ही सामने आ सकती है।
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