सोनीपत हरियाणा में एक अस्पताल का घिनोना चेहरा सामने आया है। जहां देश की रक्षा करते हुए एक सैनिक शहीद हो गया वहीं शहीद की पत्नी के इलाज के लिए अस्पताल ने ऐसा घिनोना खेल खेला जिसे सुनकर किसी को भी गुस्सा आ जाये।
सोनीपत में अस्पताल प्रशासन का अमानवीय चेहरा सामने आया है। अस्पताल में आधार कार्ड नहीं दिखा पाने की वजह से कारगिल शहीद लक्ष्मण दास की पत्नी शकुंतला ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया। कारगिल शहीद विजयंत थापर के पिता ने इस घटना पर दुख जताया है। उन्होंने कहा है कि ऐसी घटनाओं से सेना के मनोबल पर असर पड़ता है।
कारगिल युद्ध में शहीद विजयंत थापर के पिता वीएन थापर ने इस घटना पर दुख जताया है। समाचार एजेंसी से बातचीत में उन्होंने कहा है कि, ‘ इस घिनौने समाचार पर हैरान हूं। इंसान के जीवन को लेकर हमें कोई फर्क नहीं पड़ता! ये ऐसी घटनाओं हैं जिनसे सेना के मनोबल पर असर पड़ता है।
सोनीपत जिले के गांव महलाना निवासी कारगिल शहीद लक्ष्मण दास की वीरांगना शकुंतला को हार्ट की बीमारी थी। बेटा इलाज के लिए अस्पताल की मिन्नतें करता रहा। अस्पताल प्रबंधन आधार कार्ड जमा करवाने पर ही अड़ा रहा। अस्पताल प्रबंधन की जिद्द के चलते मां-बेटे डिस्पेंसरी से घर के चक्कर लगाते रहे। इस बीच शहीद की विधवा ने दम तोड़ दिया। शहीद के बेटे पवन ने बताया कि रविवार को मां की तेरहवीं की रस्म पूरी करने के बाद पुलिस को शिकायत देकर केस दर्ज करवाने की मांग करेंगे। वहीं सरकार और विभाग ने शहीद की विधवा की मौत के दो दिन बाद भी मामले का संज्ञान नहीं लिया। जबकि निजी अस्पताल के इस रवैये का वीडियो वायरल हो चुका है।
कारगिल युद्ध में शहीद हुए मेजर सीबी द्विवेदी की बेटी इस घटना के बाद अपने परिवार को लेकर डर गई हैं। उन्होंने कहा है कि, ‘मुझे यकीन नहीं हो रहा कि ऐसी घटना हुई है। इससे मैं अपने परिवार के बारे में सोचकर डर गई हूं। ईसीएचएस के फायदे हैं लेकिन इसे आधार कार्ड से जोड़ना और इसकी एक कॉपी प्रस्तुत करना हास्यास्पद है।’
दिल की बीमारी से पीड़ित शकुंतला के शरीर में सूजन बढ़ने और गंभीर हालत को देखते हुए बेटे पवन बाल्याण आर्मी कार्यालय पहुंचा। यहां आर्मी डिस्परेंसरी से उन्हें एक निजी अस्पताल रेफर कर दिया गया। जहां अस्पताल प्रबंधन ने उनसे आधार कार्ड की मांग की थी। आधार कार्ड की कॉपी मोबाइल में होने और जल्द मुहैया कराने के आश्वासन के बावजूद अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया।
शहीद का बेटा मां के इलाज के लिए गिड़गिड़ाता रहा, बावजूद इसके अस्पताल प्रबंधन अपनी बात पर अड़ा रहा। पवन ने आरोप लगाया था कि उसके पास आधार कार्ड को छोड़कर सभी कागजात थे फिर भी उसकी सुनवाई नहीं हुई। इस दौरान अस्पताल में ऊंची आवाज में बोलने पर पुलिस को बुलवा लिया गया था। पुलिस ने भी उसे ही चुप रहने को कहा था, जिसके चलते उसे अपनी मां को वापस लेकर जाना पड़ा था।
पवन ने बताया कि वह अपनी मां को अस्पताल से लेकर वापस डिस्पेंसरी पहुंचा था। वहां से दिल्ली के लिए रेफरल कागजात तैयार कराए थे। वहां से आधार कार्ड की कॉपी लेने के लिए वह अपने घर पहुंचा। जहां पर उसकी मां की हालत ज्यादा बिगड़ चुकी थी। उसके बाद वह उसे लेकर सोनीपत के हांडा अस्पताल में पहुंचे थे। हालांकि तब तक उनकी मां मौत हो चुकी थी।
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने पूरे प्रकरण पर कहा है कि, ‘राज्य सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए। हमारी मंत्रालय इस मामले की जांच की जांच करेगा। केंद्र ने सभी राज्यों को ‘क्लीनिकल एस्टेब्लिश्मेंट एक्ट’ लागू करने को भी कहा है, जिससे ऐसी घटनाओं को कम करने में मदद मिलेगी।