फिल्म पद्मावती पर केंद्र सरकार के मंत्रियों की टिप्पणी पर सुप्रीमकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। बता दें कि केंद्र सरकार के कई मंत्री फिल्म को लेकर टिप्पणी करते रहे हैं। यहाँ तक कि कई मंत्री और सांसद फिल्म को लेकर अशोभनीय टिप्पणी कर चुके हैं।
इसीलिए केन्द्र सरकार को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि फिल्म पद्मावती के खिलाफ बयानबाजी से बचें। सुप्रीम कोर्ट ने पद्मावती विवाद पर केन्द्र सरकार को नसीहत दी है कि सेंसर बोर्ड की क्लीयरेंस से पहले फिल्म के खिलाफ बयानबाजी ना करें, इससे माहौल खराब हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अभी तक फिल्म पद्मावती सेंसर बोर्ड की ओर से क्लीयर नहीं हुई है, ऐसे में उच्च पदों पर बैठे जिम्मेदार लोग इस तरह के बयान ना दें। ज्ञातव्य है कि पद्मावती पर जारी विवाद पर राजनेताओं के भी विवादित बयान सामने आए है।
कई केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों, कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने फिल्म पद्मावती पर विवादित बयान दि। हरियाणा बीजेपी के नेता सूरज पाल अम्मू ने संजय लीला भंसाली और दीपिका पादुकोण का सिर काटकर लाने वाले को 10 करोड का इनाम देने की घोषणा कर दी थी।
वहीं उज्जैन से बीजेपी सांसद ने विवादित टिप्पणी करते हुए कहा था कि जिनके घरों में औरतों के कई शौहर होते हैं वो भला जौहर के बारे में क्या जानेंगे। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि फिल्म के खिलाफ हो रहे विरोध-प्रदर्शन और धमकियों के लिए भंसाली भी समान रूप से जिम्मेदार हैं। योगी ने कहा था कि भंसाली लोगों की भावनाओं से खेलने के आदि हो चुके है। पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने फिल्म को लेकर राजपूतों की आपत्तियों का समर्थन किया है।