गोधरा कांड यानि एक ऐसा तूफ़ान जिसने पूरे गुजरात को अपनी चपेट में ले लिया था, गोधरा कांड जिसने पूरे गुजरात की शांति को अशांति में बदल दिया। आज भी लोगों के जख्म हरे हैं और जब भी इस पर चर्चा होती है तो लोग सहम से जाते हैं।
2002 के गोधरा मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने 11 दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। 27 फरवरी 2002 को साबरमती ट्रेन की एस-6 बोगी को जलाने के मामले में ट्रायल कोर्ट ने 1 मार्च 2011 को 31 दोषियों को सजा सुनाई थी।
उल्लेखनीय है कि गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 डिब्बे को फूंक दिए जाने के बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे। रिपोर्टों के मुताबिक, आग लगाए गए डिब्बे में कुल 59 लोग मौजूद थे, जिसमें अधिकतर अयोध्या से लौट रहे कार सेवक शामिल थे। भड़के दंगों में करीब 1 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। मरने वाले लोगों में समुदाय विशेष के लोगों की संख्या बहुत ज्यादा थी।
गौरतलब है कि गुरुवार को गुजरात हाईकोर्ट ने गुलबर्ग सोसायटी मामले में दाखिल की गई जाकिया जाफरी की याचिका को रद्द कर दिया है। आपको बता दें कि उन्होंने गुलबर्ग सोसायटी मामले में दी गई क्लीन चिट को अदालत में चुनौती दी थी। जाकिया ने याचिका में मांग की थी कि गुजरात दंगों के मामले में 59 लोगों के खिलाफ आरोप तय किए जाएं।
जिस पर कोर्ट ने कहा था कि दंगों की दोबारा जांच नहीं होगी और इसमें किसी बड़ी साजिश के आरोप को कोर्ट ने रद्द कर दिया। हालांकि गुजरात हाईकोर्ट ने जाकिया से यह भी कहा था कि वो चाहें तो सुप्रीम कोर्ट भी जा सकती हैं।
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