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जेएनयू के कथित राष्ट्रवाद चुनाव में कौन रहा हावी जानिए इस ख़बर में

 

 

जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) चुनावस के पहले जो हल्ला मचा। यहाँ राष्ट्रवाद बनाम वामवाद हावी रहा। भाजपा के विद्यार्थी परिषद ने जिस तरह से जेएनयू में हंगामा मचाया राष्ट्रवाद बनाम वामवाद का नारा दिया लेकिन परिणाम एक दम उलट रहे।

जेएनयू के केंद्रीय पैनल के लिए हुए चुनाव में यूनाइटेड लेफ्ट (आईसा, एसएफआई और डीएसएफ) ने बाजी मारी और सभी चारों सीटों पर कब्जा कर लिया। छात्रसंघ चुनाव में लेफ्ट यूनिटी की कैंडिडेट गीता कुमारी ने अध्यक्ष पद पर जीत हासिल कर ली है। उन्हें कुल 1506 वोट मिले। विद्यार्थी परिषद की नजदीकी उम्मीदवार को 1042 वोट मिले। उनके साथ सेंट्रल पैनल में जीतने वाले अन्य तीन उम्मीदवार भी लेफ्ट से ही हैं।

गौरतलब है कि गीता कुमारी छात्र संगठन आईसा का हिस्सा हैं। इस बार आईसा, एसएफआई और डीएसएफ साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे थे। यूनाइटेड लेफ्ट ने वाइस प्रेसिडेंट (सिमोन जोया खान), ज्वाइंट सेके्रटरी (शुभांशु सिंह) और जनरल सेक्रेटरी (डुग्गीराला श्रीकृष्ण) पर भी कब्जा कर लिया है।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के छात्र संगठन (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) के प्रत्याशियों ने भी अध्यक्ष पद समेत सेंट्रल पैनल के सारे सीटों पर युनाइटेड लेफ्ट को कड़ी टक्कर दी। विद्यार्थी परिषद् की ओर से अध्यक्ष पद की दावेदार निधि त्रिपाठी दूसरी पोजिशन पर रहीं।

गौरतलब है कि इस चुनाव में परिसर के भीतर बहुजन राजनीति की लकीर खींचने वाला छात्र संगठन BAPSA भी बहुत पीछे नहीं रहा। इस संगठन के प्रत्याशियों ने भी युनाइटेड लेफ्ट को कड़ी टक्कर दी। BAPSA को कैंपस के ही युनाइटेड ओबीसी फोरम जैसे संगठनों ने समर्थन दिया था।

आईसा की अध्यक्ष पद की उम्मीदवार अपराजिता राजा काफी पीछे रह गईं। वहीं कांग्रेस की छात्र संगठन (एनएसयूआई) के प्रत्याशी सबसे पीछे रहे। इस पूरे चुनाव में परिसर में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर दावेदारी करने वाले फारूख आलम को भी अच्छे वोट मिले।

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