Breaking News
BigRoz Big Roz
Home / Breaking News / नमाज़ है एक बेहतरीन किस्म का योग : सैय्यद मज़हर अब्बास रिज़वी

नमाज़ है एक बेहतरीन किस्म का योग : सैय्यद मज़हर अब्बास रिज़वी

27 views

 

आज 21 जून को समूचा विश्व ‘योगा डे’ मना रहा है लेकिन कुछ कट्टर धार्मिक संगठनो ने मोदी सरकार पर इस दिन को थोपने का आरोप लगाया था। धर्म के ठेकेदारों ने तो यहां तक कहा था कि कि योग करने से इंसान हिंदू बन जाता है क्योंकि ये हिंदू धर्म की देन है, इस कारण इस्लामिक लोगों को इससे दूर रहना चाहिए।

लेकिन वहीं दूसरी ओर भाजपा के नेता सयैद मज़हर अब्बास रिज़वी ने यह कहकर सभी को चौंका दिया और कट्टरपंथियों को संदेश दिया कि नमाज़ योगा के जैसी ही है। जैसे योगा शरीर को फिट रखने का काम करता है वैसे ही नमाज है। योग में भी ध्यान होता है वो नमाज़ में भी होता है। नमाज़ में मन को शांत करके अल्लाह का ध्यान किया जाता है वैसे ही योग है। योग एक तरह का ध्यान ही है और नमाज़ की तरह कुछ शारारिक क्रियायें।

 

 

अब्बास का का कहना है कि कुछ कट्टरपंथी इस बात को नही मानते हैं। लेकिन जो योग के बारे में और उसकी उपयोगिता के बारे में जानते हैं वो जानते हैं कि शरीर को कैसे फिट रखा जा सकता है वो सभी योग करते हैं अब उसमें चाहे किसी भी धर्म का इंसान क्यों ना हो।

मज़हर अब्बास का कहना है कि अगर आप ‘योग’ के बारे में पढ़ेंगे तो जानेंगे कि ‘योग’ किसी खास मजहब से संबधित नहीं है बल्कि यह एक आध्यात्मिक प्रकिया है जिसे करने से चित्त शांत और शारीरिक लाभ होता है।

इस्लाम में भी कहा गया है कि सूफी संगीत के विकास में ‘भारतीय योग’ का काफी बड़ा हाथ है क्योंकि योग मन की चंचलता पर रोक लगाता है और अल्लाह के ध्यान में मदद करता है।

 

अशरफ एफ निजामी ने ‘योग’ विषय पर एक किताब लिखी है जिसमें उन्होंने ‘नमाज’ और ‘योग’ को एक बताते हुए लिखा है कि जिस तरह से ‘नमाज’ पढ़ने से पहले ‘वजू’ की प्रथा है ठीक उसी तरह से ‘योग’ करने से पहले कहा जाता है कि इंसान ‘शौच’ करके आये, आशय दोनों का शारीरिक सफाई से ही है।

‘नमाज’ से पहले इंसान ‘नियत’ करता है तो योग करने से पहले ‘संकल्प’ लिया जाता है। जब नमाज ‘कयाम’ के रूप में अता की जाती है तो वो वज्रआसन होता है। नमाज में भी ‘ध्यान’ लगाया जाता है और ‘योग’ में भी यही होता है। ‘सजदा’ करने के लिए इंसान जैसे एक्शन लेता है वो योग में ‘शशंक आसन’ कहा जाता है, जिससे हार्ट और बीपी कंट्रोल में रहते हैं।

 

इसलिए ‘योग’ का अर्थ केवल शारीरिक और मानसिक परेशानियों से मुक्ति पाने से है ना कि किसी धर्म विशेष से इसलिए इस्लामिक देशों में ‘योग’ को गलत नहीं माना गया है। हालांकि ये और बात है कि कुछ कट्टरपंथियों ने इस किसी समुदाय और धर्म विशेष से जोड़ दिया है।

 

ख़बर 24 एक्सप्रेस

Check Also

Nagpur Violence पर बड़ा खुलासा, इस प्लानिंग के साथ आए थे दंगाई

नागपुर की हिंसा इस कदर हिंसक रूप धारण कर लेगी किसी ने सोचा तक नहीं …

Leave a Reply