विश्वविख्यात हिन्दू महागुरु तांत्रिक चंद्रास्वामी के निधन के बाद उनकी गद्दी खाली पड़ी थी इसके लिए काफी अटकलें लगाई जा रही थीं लेकिन खुलकर सामने कोई नहीं आ रहा था तो माँ प्रभा किरण ने संत समाज के साथ मिलकर तांत्रिक चंद्रास्वामी के चहेते उनके भतीजे को उनका उत्तराधिकारी घोषित कर गद्दी पर बिठा दिया।
आपको बता दें कि तांत्रिक चंद्रास्वामी काफी समय से बीमार चल रहे थे लेकिन 23 मई को अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। तभी से उनकी गद्दी खाली पड़ी हुई थी और कोई भी उत्तराधिकारी सामने नहीं आ रहा था। स्वामी जी के चहेते सुनील जैन को संत समाज और माँ प्रभा किरण ने मिलकर सुनील जैन को स्वामी घोषित कर दिया और तांत्रिक चंद्रास्वामी की गद्दी सौंपते हुए इसकी घोषणा कर दी।
कौन थे तांत्रिक चंद्रास्वामी
1990 के दौर में प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव के समय में अचानक सुर्खियों में आए तांत्रिक चंद्रास्वामी के बारे में कहा जाता है कि वह नरसिम्हाराव के आध्यात्मिक गुरू थे। 1991 में जब पीवी नरसिम्हाराव देश के प्रधानमंत्री बने तो उसके तत्काल बाद चंद्रास्वामी ने दिल्ली में एक आश्रम बनाया। कहा जाता है कि इस आश्रम की जमीन इंदिरा गांधी ने दी थी। 1948 में जन्मे चंद्रास्वामी का असली नाम नेमिचंद था। जैन समुदाय से ताल्लुक रखने वाले नेमिचंद बचपन में ही पिता के साथ हैदराबाद चले गए।
तांत्रिक चंद्रास्वामी के भक्तों में ब्रिटेन की प्रधानमंत्री रही मार्ग्रेट थैचर तक का नाम शामिल है।
वैसे तांत्रिक चंद्रास्वामी कई विवादों से भी जुड़े रहे, लेकिन उनकी ख्याति पूरे विश्व में फैली हुई थी और उन्होंने हिन्दू धर्म के नाम को पूरी दुनिया तक पहुंचाया और अपना लोहा मनवाया।
बड़े-बड़े नेताओं से लेकर अभिनेताओं तक तांत्रिक चंद्रास्वामी के भक्तों की लंबी फेहरिस्त थी।
भारत में नरसिंह राव, नटवर सिंह, टीएन शेषन से लेकर राजेश खन्ना और आशा पारिख तक चंद्रास्वामी के भक्तों में शामिल थे। वहीं ब्रूनई के सुल्तान, बहरीन के शेख इसा बिन सलमान अल खलिफा, एक्ट्रेस एलिजाबेथ टेलर, पूर्व ब्रिटिश पीएम मार्ग्रेट थैचर, हरियारों के सौदागर अदनान खशोगी और अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम भी चंद्रास्वामी से परामर्श लेते थे।
ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर के बारे में कहा जाता है कि स्वामी जी ने बहुत पहले भविष्यवाणी कर दी थी कि वो ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बनेंगी और ऐसा ही हुआ। इस संबंध में पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने अपनी किताब ‘वॉकिंग विद लायन्स-टेल्स फ्रॉम अ डिप्लोमेटिक पास्ट’ में जिक्र किया है।
कौन हैं माँ प्रभा किरण
माँ प्रभा किरण लगभग सन 1992 से तांत्रिक चंद्रास्वामी से जुडी हुई हैं। बताया जाता है कि वो स्वामी जी के सबसे करीबियों में से एक थीं। जब स्वामी जी का सबसे बुरा दौर चल रहा था तो प्रभा किरण उनका सहारा बनीं और हर मुसीबत में स्वामी जी के साथ खड़ी नज़र आयीं। या यूँ कहें कि माँ प्रभा किरण उनके सुख दुःख की साथी थीं। जिस दिन स्वामी जी ने अंतिम सांस ली वो उस दिन भी स्वामी जी के ही साथ दिखीं।
संत समाज से जुड़े लोग माँ प्रभा किरण को चंद्रास्वामी के निधन के बाद उनकी गद्दी सौंपना चाहते थे लेकिन प्रभा किरण जी ने इसके लिए मना कर दिया और उन्होंने सुनील जैन का नाम आगे बढ़ाते हुए स्वामी जी का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।
ख़बर 24 एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए माँ प्रभा किरण ने स्वामी जी के साथ अपने संबंधों का खुलासा किया
उन्होंने बताया कि वो दूरदर्शन में काम कर रही थी जब उनकी मुलाक़ात स्वामी जी के साथ हुई। वो स्वामी जी के इंटरव्यू के लिए उनके पास गयी थीं, स्वामी जी से बातचीत करने के बाद वो उनसे इतनी प्रभावित हुईं कि उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ बाकी का जीवन स्वामी जी की सेवा में लगा दिया।
माँ प्रभा किरण ने बताया कि स्वामी जी की बातों में ऐसा जादू था कि वो किसी का भी मन मोह लें और वो इसके बाद तब से स्वामी जी की अंतिम सांस तक लगातार साए की तरह उनके साथ रहीं।
माँ प्रभा किरण ने खुलासा किया कि स्वामी जी उस समय भी चाहते थे कि गायों को कैसे बचाया जाए। गायों को बचाने के लिए कई आंदोलनों में स्वामी जी ने भाग लिया इसके अलावा वह कृषि और ऋषि का भारत निर्माण करना चाहते थे।
राष्ट्रीय एकता व सांप्रदायिक सद्भाव को लेकर भारत को एकता के सूत्र में बांधने के लिए स्वामी जी ने कई कार्य योजना तैयार की थीं जिस पर सब काम कर रहे थे। मुस्लिमों के भीतर किस तरह से स्वैच्छिक परिवर्तन हो, घिसी-पिटी परंपराएं जिनसे वैमनस्यता पैदा हो उन्हें बदलने में ही भलाई है इसी सोच को लेकर यज्ञ वह हिंदू धर्म के प्रति शाकाहारी बनाने के लिए हम स्वामी जी के साथ लगातार भ्रमण व कार्य किया और शाकाहार का प्रचार प्रसार किया।
माँ प्रभा किरण के मुताबिक उन्हें जीवन के 25 साल स्वामी जी के साथ बिताने का मौका मिला।
माँ प्रभा किरण ने भावुक होते हुए हमें ये भी बताया कि एक समय ऐसा भी आया जब स्वामीजी पूरी तरह से उनके ऊपर निर्भर हो गए थे। बीमारी, आरोप-प्रत्यारोपों से घिरे स्वामी जी का सहारा बनी। उन्होंने बताया कि स्वामी जी मां भगवती की आराधना के साथ-साथ नारी का बहुत सम्मान करते थे। मां भगवती में अटूट विश्वास, और पौराणिक ग्रंथों में अटूट विश्वास ज्योतिष यंत्र मंत्र तंत्र इन सभी कार्यों में स्वामी जी बहुत विश्वास करते थे। माँ प्रभा किरण ने बताया कि स्वामी जी अपने शक्तियों का प्रयोग कभी भी गलत दिशा में नहीं किया वह हमेशा भारत की बात करते थे भारत को बचाने की बात करते थे। देश को लेकर उनकी सोच हर वक्त काम करती थी देश कैसे आगे बढ़ेगा लोगों में पारस्परिक प्रेम व शांति स्थापना कैसे होगी इसी सोच को लेकर वह निरंतर कार्य करते थे। हजारों लाखों लोगों से वो स्वयं व्यक्तिगत रुप से जुड़े हुए थे।
माँ प्रभा किरण के मुताबिक वे सुख-दुख में उनके भागीदारी निरंतर बनी रहती थी।
कौन है सुनील जैन
सुनील जैन तांत्रिक चंद्रास्वामी के भाई के बेटे हैं। सुनील जैन ने स्वामी जी की बहुत सेवा की है, सुनील जैन के पिता ने उनको स्वामी जी की सेवा करने के लिए बचपन में ही सौंप दिया था।
इसी को देखते हुए सुनील जैन को संत समाज और माँ प्रभा किरण ने स्वामी जी का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया, संत समाज चाहता था कि माँ प्रभा किरण उनकी उत्तराधिकारी बनें और स्वामी जी की गद्दी संभालें लेकिन माँ प्रभा किरण ने कहा कि वो स्वामी जी की सेविका हैं और स्वामी जी के नाम और कार्य को आगे बढ़ाना चाहती हैं और साधना में अपना ध्यान लगाना चाहती हैं तो वो सुनील जी को उत्तराधिकारी चुनती हैं।
वहीँ स्वामी सुनील जी महाराज का कहना है कि वे स्वामी जी के नाम को आगे बढ़ाएंगे माँ प्रभा किरण उनकी माँ जैसी ही हैं और वो उनके आशीर्वाद के साथ स्वामी जी के कार्यों को गति देंगे और हिन्दू धर्म के नाम को आगे बढ़ाएंगे।
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ख़बर 24 एक्सप्रेस