अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प को हम राष्ट्रपति से पहले उद्योगपति क्यों कह रहे हैं इसके मायने हैं। डोनाल्ड ट्रम्प पहले बिज़नसमेन हैं इसके बाद वो अमेरिका के राष्ट्रपति हैं। ट्रम्प के बिज़नस दुनिया के कई देशों में फैले हैं। आपको बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों से पहले ट्रम्प ने दुनियाभर के मुसलमानों के खिलाफ मोर्चा खोला था और इसी बात पर अपनी राजनीति चमकायी थी। ट्रम्प ने कई सार्वजानिक सभाओं में कहा कि उन्हें मुसलमानों से नफरत है और अगर वो राष्ट्रपति बनें तो एक भी मुसलमान अमेरिका में नहीं घुस पायेगा। और जब ट्रम्प राष्ट्रपति बनें हैं उनकी पहली विदेश यात्रा एक मुस्लिम देश ही है।
अब इस यात्रा के क्या मायने हैं? वैसे तो ये आपकी समझ पर छोड़ते हैं लेकिन साथ ही आपको बता दें कि राजनीति में ये सब बातें जरूर होती हैं… सिर्फ बातें.. जो असलियत से परे होती हैं। जो व्यापारी होते हैं वो दिल में कुछ जुबा पर कुछ रखते हैं, उन्हें अपने व्यापार से मतलब होता है, वो अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए किसी के पैरों में गिर सकते हैं या किसी भी हद तक जा सकते हैं।
ट्रम्प ने कट्टरवादी छवि इसीलिए पेश की क्योंकि अमेरिका में बहुत ज्यादा मुद्दे नहीं थे जिनपर ट्रम्प चुनाव लड़ सकें 9/11 सबसे बड़ा मुद्दा था और इस मुद्दे से अमेरिकियों की भावनाएं जुडी हुई थीं बस ट्रम्प ने इसी चीज को भुनाया और परिणाम सबके सामने हैं। 9/11 में 5000 अमेरिकियों की मौत हुई थी और काफी कुछ तबाह हुआ था। ये विश्व के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका पर सबसे बड़ा आतंकी हमला था जिसने हर अमेरिकी के दिल में एक नफ़रत पैदा कर दी थी।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का शनिवार से सऊदी अरब का दौरा दो मायने में आलोचकों के निशाने पर आ गया है। ट्रंप मुसलमानों को न सिर्फ सबसे ज्यादा कोसने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं बल्कि अपने चुनाव प्रचार के दौरान 11 सितंबर के आतंकी हमलों में सऊदी के कुछ मुसलमानों का भी हाथ बता चुके हैं। दूसरी तरफ, उन्होंने सऊदी के साथ 110 अरब डॉलर का हथियार सौदा करके सबको चौंका दिया है।
राष्ट्रपति बनने के बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा है। उनकी इस यात्रा का लक्ष्य क्षेत्र में आतंकवाद को खत्म करने के लिए इस्लामिक देशों से मजबूत साझेदारी बनाना है। ट्रंप ने शुक्रवार रात को एयर फोर्स वन से रियाद के लिए उड़ान भरी थी और शनिवार को रियाद हवाईअड्डे पर उतरते ही सऊदी के किंग सलमान ने उनका गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया।
ट्रंप ने अपने चिरपरिचित अंदाज में किंग सलमान से हाथ मिलाया। सऊदी अरब या किसी मुस्लिम बहुल देश की यात्रा पर आने वाले ट्रंप पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं और पहले दिन ही दोनों देशों के बीच कुल 380 अरब डॉलर का समझौता हुआ। इस दौरान सऊदी अरब के शाह सलमान ने ट्रंप को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से भी सम्मानित किया।
अपने राष्ट्रपति चुनाव अभियान और राष्ट्रपति बनने के बाद मुस्लिम विरोधी अभियान के कारण पूरी दुनिया में निंदा के पात्र बने ट्रंप की इस यात्रा ने मुस्लिम बहुल इस क्षेत्र के लिए सम्मान दर्शाता है। ट्रंप यहां दो दिन रुकेंगे और 50 से ज्यादा इस्लामिक देशों के नेताओं से मुलाकात करेंगे। इस दौरान वे उनसे आतंकवाद और आईएस के खात्मे के लिए इस्लामिक देशों को एकजुट करने की कोशिश करेंगे। साथ ही अफगानिस्तान और पाकिस्तान में तालिबानी और आईएस आतंकियों के खिलाफ एक ठोस रणनीति पर भी विचार-विमर्श करेंगे।
अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि ईरानी खतरों का मुकाबला करने, रक्षा उपकरणों और सेवाओं के लिए 110 अरब डॉलर का यह पैकेज लंबी अवधि तक सऊदी अरब और खाड़ी क्षेत्र की सुरक्षा को सहयोग करेगा। यह सभी क्षेत्रों में आतंकवाद विरोधी अभियानों में योगदान करने की क्षमता को बढ़ाएगा और चल रहे अभियानों को पूरा करेगा।
साथ ही इससे अमेरिकी अभियानों पर भी बोझ कम होगा। इस समझौते पर हस्ताक्षर समारोह में ट्रंप और विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन भी मौजूद होंगे। हालांकि अधिकारी ने रियाद से समझौते की विस्तृत जानकारी नहीं दी है।
ट्रंप का कार्यक्रम
20-21 मई : सऊदी अरब
22 मई : इस्राइल, बेन्यामिन नेतन्याहू से मुलाकात
23 मई : बेथलेहम में
24 मई : वेटिकन, पोप से मिलेंगे
25 मई : ब्रसेल्स, नाटो सम्मेलन
26 मई : सिसिली, जी-7 समिट
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि दुनिया के तीन बड़े धर्मों से जुड़े देशों की उनकी पहली विदेश यात्रा का लक्ष्य आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सभ्य दुनिया को एकजुट करना है। सऊदी अरब, इस्राइल, वेटिकन, बेल्जियम और इटली के 9 दिवसीय दौरे पर निकले ट्रंप ने देश के नाम अपने साप्ताहिक रेडियो संबोधन में कहा कि इन दौरों में वह अमेरिकी लोगों के विचार का स्पष्टता और बेबाकी से प्रतिनिधित्व करेंगे। यात्रा से पहले रिकॉर्ड किए गए संदेश को ट्रंप के एयरफोर्स वन से सऊदी अरब के लिए उड़ान भरने के बाद प्रसारित किया गया।
संदेश में ट्रंप ने कहा, मैं इस यात्रा में अपने पुराने संबंधों को मजबूत करने, नए संबंध बनाने और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सभ्य दुनिया को एकजुट करने के लिए विभिन्न देशों के नेताओं से मिलूंगा। एकजुटता की इस भावना के तहत मैं विश्व के तीन महान धर्मों से जुड़े देशों की यात्रा करूंगा। नौ दिन के इस दौरे में ट्रंप सबसे पहलेे सऊदी अरब जाएंगे। वहां वह 50 मुस्लिम देशों के नेताओं की सभा को संबोधित भी करेंगे।
सऊदी अरब से ट्रंप ने कहा कि वह इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से बातचीत के लिए वह प्राचीन शहर यरूशलेम जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस्राइल अमेरिका का पुराना सहयोगी रहा है लेकिन हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच पहले जैसे संबंध नहीं रहे हैं, इसलिए अब समय आ गया है कि इस दोस्ती को फिर से गहरा किया जाए। ट्रंप ने कहा कि इस्राइल दौरे पर वह फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास से भी मुलाकात करेंगे। उसके बाद ट्रंप वेटिकन जाएंगे जहां वह पोप फ्रांसिस से मुलाकात करेंगे। ट्रंप ने बताया कि वेटिकन के बाद नाटो की एक बैठक में यूरोपीय नेताओं से मिलने के लिए वह ब्रुसेल्स जाएंगे और उसके बाद जी-7 देशों के सम्मेलन में भाग लेने इटली जाएंगे।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से सऊदी अरब में मुलाकात कर सकते हैं। रियाद में होनेवाले ‘अरब इस्लामिक अमेरिकन शिखर सम्मेलन’ में नवाज शरीफ और डोनाल्ड ट्रंप दोनों शामिल हो रहे हैं। इस दौरान इन दोनों के बीच मुलाकात की उम्मीद जताई जा रही है। पाकिस्तानी न्यूज चैनल जीओ न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक नवाज शरीफ इस शिखर सम्मेलन में शामिल हो रहे विश्व प्रमुख नेताओं से मुलाकात करेंगे और उम्मीद है कि उनकी मुलाकात निजी रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से भी होगी।
सऊदी अरब के किंग सलमान बिन ने इस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए नवाज शरीफ को आमंत्रित किया है। रविवार से शुरू हो रहे इस दो दिवसीय सम्मेलन में आतंकवाद और अमेरिका के साथ मुस्लिम देशों के संबंध जैसे मुद्दे प्रमुखता से छाए रहने की संभावना है।
इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए शनिवार को ही ट्रंप रियाद पहुंच चुके हैं, जबकि नवाज शरीफ रविवार को रियाद पहुंचेंगे। राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप की यह पहली आधिकारिक विदेश यात्रा है। सऊदी अरब यात्रा के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति इजरायल, वेटिकन सिटी और ब्रूसेल्स में नाटो सम्मेलन में हिस्सा लेने जाएंगे।