बसपा के सबसे करीबी और मायावती के वफादारों में से एक नसीमुद्दीन सिद्दीकी को जैसे ही मायावती ने बाहर किया इस पर नसीमुद्दीन का दर्द छलक पड़ा। पार्टी में नं0 दो की हैसियत रखने वाले नसीमुद्दीन ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनका हश्र ये होगा। कभी खुद पार्टी को बनवाने में सहयोग करने वाले नसीमुद्दीन आज उसी पार्टी से निकाल दिए जाएंगे।
वैसे नसीमुद्दीन केवल अकेले ऐसे नेता नहीं हैं जिन्हें मायावती द्वारा निकाला गया हो। कई सारे बड़े नेता या तो पार्टी छोड़ गए या उनको निकाल दिया गया।
पिछले 3 दशकों से मायावती के वफादार रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने मायावती के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सिद्दीकी ने प्रेस कॉन्फ्रेंंस कर मायावती के खिलाफ कई खुलासे किए। उन्होंंने मायावती पर कई गंभीर आरोप भी लगाए। अपनी बातों को साबित करने के लिए नसीमुद्दीन ने कुछ रिकॉर्डिंग्स भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुनाई। पढ़िए प्रेस कॉन्फ्रेंस में मायावती पर नसीमुद्दीन की ओर से लगाए 10 बड़े आरोप।
एक दिन उन्होंने मुझे अकेले बुलाया। मैं गया तो बोलीं पार्टी को पैसे की बहुत जरूरत है। मैंने कहा कि पैसे की जरूरत तो हमेशा रहती है। तो बोलीं कि आपको पैसे का इंतजाम करना है तो मैंने कहा कि आप बताएं वही करूँगा कहने लगीं कि पार्टी को 50 करोड़ की जरूरत है। मैंन कहा इतना पैसा कहां से लाऊं तो कहने लगीं कि अपनी प्रॉपर्टी बेच दो। मैंने कहा आपको कैश चाहिए पर मैं अपने प्रॉपर्टी बेच भी दूं तो भी चौथाई पैसा नहीं जुटेगा। बोलीं आगे बढ़ना है तो ऐसा करो।
मायावती ने कहा, किसी से भी मांगो और पैसे की व्यवस्था करो। मैंने कई लोगों के सामने हाथ फैलाए। प्रॉपर्टी बेचने की कोशिश की। मैंने पार्टी के लोगों से कहा पर किसी को नहीं बताया कि क्या करना है। मैंने अपने पुरखों की खेती-बाड़ी बेचने की कोशिश भी की। मैंने कुछ पैसा इकट्ठा करके उन्हें फोन किया और कहा कि लेकर आऊं तो कहने लगीं कि सारा लेकर आओ।
‘मायावती की वजह से मेरी बेटी मर गई’
मैंने उनसे कहा, आप बदायूं से चुनाव लड़ रही थीं आपने मुझे इलेक्शन एजेंट और चुनाव प्रभारी बनाया था। उस वक्त मोबाइल नहीं थे। मैंने पीसीओ से फोन पर बात की। उस वक्त मेरी आठ साल की बड़ी बेटी बीमार थी। पत्नी ने कहा चले आओ, मुझे लगता है कि बचेगी नहीं। मैंने बहन जी से बात की। मैंने कहा कि मेरी सिर्फ एक बेटी है सबसे बड़ी संतान है। बोलीं, तुम चले जाओगे तो मैं चुनाव हार जाऊंगी, तुम्हें नहीं जाना चाहिए। मैं नहीं गया, दूसरे दिन मेरी बेटी मर गई।
इसके बाद भी बहन जी ने मुझे छुट्टी नहीं कहा जो होना था हो गया। सारे केस आप मुझ पर लगवाती रहीं। मेरी कोई कुर्बानी नहीं याद है आपको? थोड़ी देर में आनंद भाई साहब और सतीश मिश्रा जी आ गए फिर मैं बता नहीं सकता क्या सुलूक हुआ मेरे साथ। ये मुझे बार-बार फोन करती रहीं कि क्या प्रोग्रेस है। फिर मुझे और काम सौंप दिए गए। मैं तभी समझ गया था कि मुझे निकाला जाएगा। लेकिन जिस पार्टी को 34 साल मैंने खून पसीने से सींच कर यहां तक पहुंचाने का काम किया था। कांशीराम की कुर्बानी और बाबा साहब की प्रेरणा से चलने वाला मैं भी एक कार्यकर्ता हूं।
मेरी संपत्ति को भी बेनामी बता दिया। 2003 में ताज कॉरिडोर के मामले में जब मेरी और मायावती की संपत्ति की जांच हुई तो सीबीआई ने लिखा कि नसीमुद्दीन की संपत्ति के खिलाफ कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई जिनका कोर्ट आज भी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। इसके बाद जब हमारी सरकार बनी तो मैं समझ नहीं पाया तब सुश्री मायावती, सतीश चंद्र मिश्र और स्वर्गीय हैं उनका नाम नहीं लूंगा, उन्होंने लोकायुक्त से जांच करवाई जो इसी साल पूरी हुई विजिलेंस को आय से कम संपत्ति मिली।
मायावती के पास गुंडों के कई गिरोह!
कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल हुई, ईडी में दाखिल हुई फिर विजिलेंस ने भी जांच खत्म की। अब कौन सी संपत्ति है। और अब मायावती, सतीश चंद्र और आनंद की संपत्ति खोल दूंगा तो तमाशा बन जाएगा। मेरे पास ऐसे सुबूत हैं कि खोल दूंगा तो पूरी दुनिया में भूचाल आ जाएगा।
मायावती किसे मरवाना चाहती थीं सब प्रमाण से खोलूंगा लेकिन बाद में अभी सिर्फ खुद पर लगे आरोपों का जवाब दूंगा। मायावती को मुझसे ज्यादा आनंद कुमार भी नहीं जानते क्योंकि वो दूर थे। मायावती के कई गिरोह हैं। एक अपराधियों का भी गिरोह है।
ये गिरोह उनकी खिलाफत करने वालों को पिटवाने, गाड़ी जलवाने जैसे काम करता है। नेताओं के खिलाफ नारे लगाता है। मैं सबकी जन्म़कुंडली जानता हूं। मैं ये भी जानता हूं कि मैं जो भी बोल रहा हूं इसके बाद उस गिरोस से मेरा घर जलवा सकती हैं और मेरे घर परिवारवालों पर हमला करवा सकती हैं।
जहां तक मेरा सवाल है, मैंने आर्मी का नमक खाया। मैंने कई बार लाशों को बरफ के पहाड़ में कंधों पर लादकर भी लाना पड़ा है। मैं इन अपराधियों से नहीं डरा हूं जो करवाना है करवा लें। अब बीएसपी से बाहर हूं गलत बात नहीं सुनूंगा।